11:06 pm
दीपक कुमार भानरे
जी हाँ इस दिवाली पर आप कुछ खरीदने जा रहें है । आकर्षक पैकिंग मैं मिलावटी मिठाई और खाद्य सामग्रियां , विशेष छूट के साथ महेंगे कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक समान और कालाबाजारी के कारण महेंगे होते अनाज और डाले सभी की धूम मची हुई है । व्यापारी कपडों और भोग विलास की चीज़ों के दाम बढाकर और उसी पर छूट का लालच देकर उपभोक्ताओं को लूटने का प्रयास कर रहें है । मिलावट खोर मिठाई और खाद्य सामग्रियों मैं हानिकारक सामग्री और रसायन मिलकर आम जनता के स्वस्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहें हैं । कालाबाजारी और जमाखोरी कर कृत्रिम अभाव पैदा कर मंहगे दामों मैं अनाज और दैनिक उपयोग की सामग्रियों मनमाने दामों मैं बेच रहे हैं । न तो कीमत मैं नियंत्रण की कोई नीति और न ही मिलावट अवं कालाबाजारी और जमाखोरी को रोकने की कारगर पहल । और न ही खतरनाक मिलावट के काले कारनामे को रोकने हेतु पर्याप्त प्रशसनिक अमला और न ही पर्याप इंतज़ाम हैं ।ऐसे मैं आम जनता कान्हा जाएँ और क्या करें ? जब भी बड़े त्यौहार और उत्सव का माहोल देश मैं होता है यह सब बड़े पैमाने पर धड़ल्ले से चलता है । और यह सब हर बार की तरह मातृ सनसनी खेज़ ख़बर बनकर रह जाती है । न तो सरका चेतती है और न ही जनता । इस दिवाली मैं भी ऐसे ही हो रहा है ।अतः इस हेतु एक स्पश्ष्ट और कारगर नीति बनाकर उसके प्रभावी क्रियान्वयन करने की , इस हेतु कुछ सुझाव इस प्रकार हैं -१। अभी तक ऐसी कोई नीति बनायी गई है की जिससे बाजार मैं सामग्रियों की कीमतें निर्धारित और नियंत्रित किया जा सके । उत्पादक कंपनी और व्यापारी अपनी सहूलियत से कीमतें तय करते रहते हैं । अतः जरूरी है की सरकार को उपभोक्ता सामग्रियां की गुणवत्ता और परिमाण के आधार पर एक मानक तय किया जाकर अधिकतम दाम तय किए जाना चाहिए । २। चुकी देश और बाज़ार की आकार के हिसाब से उपभोक्ता सामग्री और खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता जाँच हेतु पर्याप्त मात्रा मैं मैदानी अमला की कमी है । अतः इस हेतु एक शसक्त और प्रभावी विभाग के गठन की आवश्यकता है जो प्रत्येक पंचायत स्तर तक कार्य करे ।३। हो सके तो खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग को पुलिस विभाग अथवा सीधे जिला कलेक्टर के अधीन रखा जाना चाहिए । जिससे शीग्रहता पूर्वक सख्ती से कार्यवाही कर कानूनी कार्याही की जा सके ।४। सभी जिला स्तर एवं ब्लाक स्तर पर खाद्य सामग्रियों की मिलावट की जांच हेतु परिक्षण लैब की स्थापना की जानी चाहिए । जिससे शीग्रह और समय पर जांच परिणाम मिल सके और दोषियों के ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही की जा सके ।५। मिलावटी सामग्रियों की जांच और परिक्षण को आम उपभोक्ता आसानी से कर सके , इस हेतु फर्स्ट एड बॉक्स की अवधारणा अपनाकर फर्स्ट टेस्ट कित का विकास किया जाना चाहिए । जो सभी उपभोक्ता को आसानी से उपलब्ध हो सके , और मिलावट की जांच की जा सके । साथ इस बाबत प्रचार प्रसार कर आम उपभोक्ता को जागरूक करने की आवश्यकता है ।६। कालाबाजारी और जमाखोरी को रोकने हेतु सभी व्यापारी को लाईसेन्स लिया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए । यह भी अनिवार्य किया जाना चाहिए की व्यापारी अपनी दूकान के सामने सूचना पटल पर प्रतिदिन भण्डारण किए जाने वाले अनाज और सामग्रियों की जानकारी प्रर्दशित करें । उनके द्वारा प्रर्दशित सूचना सही है या ग़लत इसकी आकस्मिक जांच आम उपभोक्ता को शामिल कर की जानी चाहिए ।७। मिलावट खोरी और कालाबाजारी एवं जमाखोरी पर दोषी पाये जाने पर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए एवं ऐसे मामलों के निराकरण हेतु स्पेशल कोर्ट की स्थापना की जाकर दोषियों को कड़ी सजा दिलवाई जानी चाहिए ।ऐसी मंगल कामना है की दिवाली के पावन पर्व सभी के लिए मंगल may और सुखमय हो । प्रज्जवलित होने वाले दीपो के पवित्र और अलोकिक प्रकाश की रौशनी से जीवन खुशियों मैं अन्धकार फैलाने वाली मिलावात्खोरी , कालाबाजारी , जमाखोरी और मंहगाई जैसी विकृतियों का नाश होगा और देश मैं शान्ति और सुख माय वातावरण का निर्माण होगा । ऐसी मंगल कामना के साथ सभी को दीपावली पर्व की कोटि कोटि बधाईयाँ और सुभ कामनाएं ।
9:49 pm
Akbar Khan Rana
दि नेटप्रेस परिवार की ओर से आप सबको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
दिवाली के प्रत्येक दीये की हर किरण आप और आपके अपनों के जीवन में नई उमंग, खुशियाँ एवं समृद्धि लाये !
9:21 pm
manmohit grover
सिरसा(प्रैसवार्ता) कालांवाली (आरक्षित) विधानसभा क्षेत्र के रिट्रनिंग अधिकारी एवं उपमंडल अधिकारी नागरिक (सिरसा) श्री एस.के सेतिया ने बताया कि कालांवाली हल्के में 13 अक्तूबर को संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जिन कर्मचारियों ने अवकाश के दिन चुनाव कार्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी, वे कर्मचारी अपने विभागाध्यक्ष को अपनी ड्यूटी स्लिप दिखाकर उस दिन का प्रतिपूरक अवकाश ले सकते है। इसके अतिरिक्त यदि अधिकारी द्वारा कर्मचारी को अवकाश देने में किसी तरह की बाधा आती है तो वह कर्मचारी रिट्रनिंग अधिकारी एवं उपमंडल अधिकारी सिरसा से स्वीकृति व ड्यूटी प्रमाणपत्र लेकर अवकाश ले सकते है।
4:25 pm
manmohit grover
हिसार (प्रैसवार्ता) ''देसां में देस हरियाणा, जहां दूध दही का खाना'' की कहावत देने वाले हरियाणा प्रदेश में, जहां नशे का चलन बढ़ रहा है वहीं भ्रूण हत्या में निरंतर बढ़ रही संख्या के चलते भविष्य में युवकों के विवाह को लेकर होने वाली गंभीर समस्या को प्रदेशवासी व सरकार चिंतित तो है, मगर सक्रियता से इस ओर ध्यान न देने के कारण भ्रूण हत्याएं धडल्ले से हो रही है। हरियाणा सरकार ने भू्रण हत्या को रोकने के लिए एक कानून बनाकर अपना कत्र्तव्य निभा दिया है। मगर प्रदेश में ज्यादातर चिकित्सक सरकार के इस कानून की उल्लंघना करते प्रतिदिन सैंकड़ों भू्रण हत्याएं कर रहे है, और यदि यही सिलसिला एक दशक तक चलता रहा, तो दूसरे दशक तक पहुंचते पहुंचते एक तिमाही प्रदेश के युवक अविवाहत रह जाएंगे। अविवाहित युवकों का रूझान अपराधों की ओर बढेगा तथा प्रदेश में बलात्कार, दुष्कर्म आदि की घटनाओं में भी वृद्धि होगी। प्रैसवार्ता द्वारा दिए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि भू्रण हत्या के मामले में ग्रामीण क्षेत्र शहरों को पीछे छोड़ गए है और मुस्लिम, सिक्ख व अन्य वर्गों के लोग भी भू्रण हत्या की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे है। हरियाणा सरकार ने भू्रण हत्या रोकने के लिए एक कानून बनाया है लेकिन उसकी पालना नहीं हो रही है। सरकार ने कई योजनाएं चलाकर भी भू्रण हत्या को रोकने के लिए भी कई प्रयास किए है, परन्तु यह प्रयास भी कारगर सिद्ध हो रहे है। पिछले पांच वर्षों में हरियाणा में 100 पुरूषों के पीछे 78 महिलाओं की दर निरंतर कम होकर 72 प्रतिशत पहुंच गई है और यदि यही रफ्तार चलती रही, तो यह आंकड़ा 60 प्रतिशत तक भी पहुंच सकता है। हरियाणा में मृत्यु दर के संबंध में भी पुरूषों की मृत्यु दर यदि 100 है तो महिलाओं की यह दर 63 प्रतिशत के करीब ही है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में अंध विश्वास की सोच के चलते भू्रण हत्या तेजी पकड़ रही है। जबकि प्रैसवार्ता को ज्यादातर लोगों ने इसके लिए कन्याओं की समाज द्वारा उपेक्षा को जिम्मेवार ठहराते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा किया है, क्योंकि कानून बनाकर उसे लागू करवाना उसकी जिम्मेवारी है। कुछ महिलाओं ने प्रैसवार्ता को यह भी बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ही महिला कर्मचारी उन्हें भू्रण हत्या के लिए न केवल प्रेरित करती है, बल्कि मददगार भी बनती है। प्रदेश में लड़कियों की कम हो रही संख्या का एक दुखद पहलू यह भी है कि बीमार होने पर 80 प्रतिशत लड़कियों को अस्पताल नसीब नहीं होता, जबकि शेष लड़कियां अस्पताल तक पहुंच तो जाती है, मगर तब जब मौत करीब पहुंच चुकी होती है। दो दशक पूर्व 1981 की जनगणना के अनुसार एक हजार पुरूषों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 972 थी, जो आज कम होते होते 742 तक पहुंच गई है, और यदि भू्रण हत्या को रोकने के कारगर कदम न उठाए गए तो आने वाले दशक में यह आंकड़ा 600 तक पहुंच सकता है। वर्तमान की जन्म दर को देखने से पता लगता है कि भारतवर्ष में प्रति मिन्ट 400 के करीब महिलाएं गर्भवती होती है। 190 अनचाहे गर्भ को लेती है, 110 गर्भ से संबंधित बीमारियों का शिकार है, 40 प्रतिशत गर्भपात करवाती है और करीब एक प्रतिशत जन्म देते समय बच्चे को खो बैठती है या स्वयं मृत्यु का शिकार बन जाती है। निरंतर कम हो रही लड़कियों की संख्या के लिए भारतीय संस्कृति के पुराने रिवाज व मान्यताओं को ही दोषी माना जा सकता है। हमारे समाज में औरतों की भूमिका की अनदेखी की जा रही है जन्म लेने से पूर्व मृत्यु द्वार दिखा दिया जाता है और फिर भी यदि वह बचती बचाती दुनिया में आ ही जाए, तो वह समाज में फैली कुरीतियों का शिकार हो जाती है। कम हो रही संख्या में पुरूषों का हाथ नहीं है - बल्कि महिलाएं स्वयं ही अपनी नस्ल को समाप्त करने का मुख्य कारण बन रही है। कई बार सास भी पुत्ररत्न प्राप्ति के चक्कर में पुत्रवधु को गर्भपात के लिए विवश भी कर देती है। इस प्रकार गर्भपात से, जहां भू्रण हत्या होती है, वहीं कई बार गर्भपात करवाने वाली महिला की मृत्यु भी हो जाती है। भारतीय समाज में लड़कों के लालन-पालन, शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है - जबकि लड़कियों की तरफ कम। लड़के के बीमार होने पर हर तरह का उपचार करवाया जाता है, जबकि लड़की के बीमार होने पर उपचार की अनदेखी की जाती है। सरकार कानून बनाकर या महिलाओं को आकर्षित करने के लिए योजनाएं बनाकर अपनी जिम्मेवारी से नहीं बच सकती, बल्कि उसे कानून का पालन करवाने के लिए तथा भ्रूण हत्या के लिए प्रेरित करने वाली सरकारी तंत्र पर कानूनी शिकंजा कसते हुए धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से जागरूकता लाने के लिए प्रयास करने चाहिए, ताकि भू्रण हत्या पर अंकुश लगाया जा सके, अन्यथा आने वाले समय में अविवाहितों के लिए लड़की ढूंढना टेढ़ी खीर साबित होगा।
4:06 pm
manmohit grover
श्री अमृतसर साहिब(प्रैसवार्ता) लंगर प्रथा लगभग 15 वीं सदी में शुरू हुई थी। श्री गुरू नानक देव जी के उपदेशों से वाणी में, जो एकता और भाईचारे का संदेश मिलता है, उससे स्पष्ट है कि लंगर प्रथा श्री गुरू नानक देव जी के समय शुरू हुई थी। बाला-मरदाना के साथ रहकर वह जहां भी गये, भूमि पर बैठकर ही भोजन करते थे। ऊंच-नीच, जात-पात से उपर उठकर ही श्री गुरू नानक देव जी ने अपनी कर्मशीलता को प्राथमिकता दी। भाई लालो की उदाहरण, जिसमें साधारण रोटी में दूध के उदाहरण दी गई, भाव कि ईमानदारी की साधारण रोटी दूध की तरह पवित्र होती है, जिसमें ईमानदारी की बरकत होती है। श्री गुरु नानक देव जी के प्रवचन, यात्राएं, सम्पर्क सूत्रों से स्पष्ट होता है, कि वह भूमि पर बैठकर साथियों, श्रद्धालुओं के साथ भोजन करते थे, परन्तु हालात ही नाजुकता और बढ़ रहे अंधविश्वास, रूढिवाद, जातपात, उंच-नीच को समाप्त करने के लिए तीसरे गुरू अमरदास जी ने अमली रूप में लंगर प्रथा को शुरू किया। लंगर प्रथा से विभिन्न जातियों के लोग, छोटे बड़े सब लोग एक ही स्थान पर बैठकर लंगर खाते हैं। इससे मोहभाव, ऐकता भाव, शक्ति बल से सांझी कद्र वाली कीमतों को चार चांद लगते हैं। पूर्ण विश्व में पंजाब ही एक ऐसा राज्य है, जहां सिख संगत में लंगर प्रथा की मर्यादा चली आ रही है। सिख कौम के लोग, जहां भी, देश या विदेश में, लंगर प्रथा सुरजीत है। इसकी मिसाल कहीं ओर नहीं मिलती। लंगर तैयार करने की विधि बहुत ही सरल और शुद्ध पवित्र ढंग की है। जिस स्थान पर भी लंगर लगाना हो, विशेष रूप से औरतों की इसमें अह्म भूमिका होती है। अस्थाई चुल्हा बनाना और उसका आधार जरूरत अनुसार बनाने उपरांत उसके इर्द-गिर्द मिट्टी का लेप कर दिया जाता है-ताकि सेक और अग्रि का प्रयोग सही ढंग से हो सके। आटा काफी मात्रा में गूंथ लिया जाता है। जिसे मिलजुल कर औरतें करती हैं। जलाने के लिए गोबर, पाथी, लक्कड़ चूरा का प्रयोग किया जाता है। लंगर पकाने की सारी विधि और खर्च सामूहिक रूप से साधारण होता है-जो किसी बड़े खर्च से रहित होता है। सिख जगत में लंगर मर्यादा खुशी, गम के अतिरिकत त्यौहार मेले व शुभ अवसरों पर लाभकारी होता है और लोग खुशी-खुशी से इसमें अपना योगदान देते हैं। वर्तमान में लंगर तैयार करने के लिए आधुनिक तकनीक का भी प्रयोग होने लगा है-जिसमें रोटी बेलना, आटा गूंथना और बर्तन साफ करने वाली मशीने विशेष रोल अदा करती है। लंगर प्रथा सिख धर्म में एकता, सांझे भाई-चारे की मजबूत नींव का आधार है।
4:01 pm
manmohit grover
ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी ने अपने निवास पर ''प्रैसवार्ता'' को दिये गये एक साक्षात्कार में बताया कि 16 अक्तूबर 1948 को तमिलनाडू के अमनकुडी क्षेत्र में उनका जन्म हुआ और उन्हांने आंध्र महिला सभा चेन्नई से शिक्षा ग्रहण की। 1961 में सबसे पहले तेलगू फिल्म ''पांडव वनमासम'' में नर्तकी की एक छोटी भूमिका की और 1964 में फिल्मी जगत में आने का प्रयास किया, परन्तु तमिल निदेशक श्रीधर ने यह कहकर वापिसी कर दी, कि मेरे में स्टार बनने की अपील नहीं है, परन्तु मैंने साहस नहीं छोड़ा और प्रयास जारी रखा। 1968 में हेमा मालिनी ने प्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक राज कपूर के साथ फिल्म 'सपनों के सौदागर' द्वारा फिल्म जगत में प्रवेश किया। 1970 में देवानंद के साथ मेरी फिल्म 'जोनी मेरा नाम' रिलीज हुई और इस फिल्म की सफलता ने मुझे स्टार बना दिया। धमेन्द्र और संजीव कुमार के साथ मेरे डबल रोल वाली फिल्म 'सीता और गीता' 1972 में रीलिज हुई, जिसे दर्शकों का भरपूर स्नेह मिला। 1990 और 2000 के दशक में मैंने बहुत कम फिल्में की, जबकि 2004 में अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म 'वीर जारा' में काम किया। 1992 में हेमा मालिनी 'दिल आशना है' के जरिये निर्देशक बनी। इस फिल्म में शाहरुख खान और दिव्या भारती थी। मैंने टी.वी लड़ीवार 'नुपुर' का निर्देशन करने के साथ इसमें अभिनय भी किया। अभिनेत्री होने का एहसास किस प्रकार लेते हो, पूछे जाने पर हेमा मालिनी ने कहा कि यदि निदेशक तुम्हें कहानी सही ढंग से बताये, तो अभिनय सहज-सुभाव हो जाता है। मैंने हमेशा निदेशक के आदेश का पालन करते हुए भली भांति समझने उपरांत ही अभिनय किया है। कोई एवार्ड या सम्मान, पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि फिल्म 'सीता और गीता' के लिए 1973 में सर्वोत्तम अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार और 2000 में भारत सरकार द्वारा पदम श्री एवार्ड से सम्मानित किया।
राजनीति की चर्चा करते हुए ड्रीम गर्ल बताती है कि उन्हें राजनीति में दिलचस्पी तो थी, मगर विनोद खन्ना द्वारा प्रेरित करने पर उसने राजनीति में उस समय कदम रखा, जब श्री खन्ना पंजाब राज्य के गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे। यह कहना कि अभिनेता एक कुशल नेता नहीं बन सकता, गलत है। फिल्मी जगत के लोगों में भी, जितना भी हो सके, समाज के हर वर्ग की सहायता करने का जज्बा होता है। धमेन्द्र के साथ शादी उपरात पंजाब राज्य से जुडऩे पर पंजाब कैसा लगा, पूछे जाने पर हेमा मालिनी कहती है कि उन्हें पंजाब और चंडीगढ़ ही सबसे अच्छा लगता है। पंजाबी भाषा मैं सीख रही हूं और धमेन्द्र जी की इच्छानुसार पंजाब में ही फिल्म स्टूडियो खोलने पर विचार किया जा रहा है। नृत्य बारे पूछे जाने पर हेमा मालिनी ने ''प्रैसवार्ता'' से कहा कि नृत्य ईश्वर की सौगात है और वह नृत्य तथा अभिनय दोनों कर सकती है, हालांकि मेरी प्राथमिकता नृत्य है। 6 वर्ष की आयु से नृत्य कर रही हेमा मालिनी भरत नाट्यम, उड़ीसी मोहिनी अटम में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी है।
शारीरिक फिटनैस कितनी जरूरी है, के बारे में उन्होंने बताया कि एक अभिनेत्री और नर्तकी के लिए शरीर फिट रखना बेहद जरूरी है। जरूरत पडऩे पर हेमा मालिनी डायटिंग भी करती है, नृत्य का सहारा लेने के साथ-साथ योगा भी करती है।
पंजाब प्रदेश में लड़कियों का अनुपात गिरने पर चिंतित हेमा मालिनी इस क्षेत्र में कुछ ऐसा करने की इच्छुक है कि सामाजिक बुराई भ्रूण हत्या को रोकने के लिए लोगों को जागरूक किया जाये। महिलाओं को अपने संदेश में ''प्रैसवार्ता'' के माध्यम से हेमा मालिनी की अपील है कि गर्भावस्था के समय लिंग निर्धारण जांच करवाने वाले परिवारजनों का डटकर विरोध करे और कानून भी उनकी मदद करेगा। अपनी अपील से सभी राजनीतिक पार्टियों से 33 प्रतिशत महिला आरक्षण की मांग भी हेमा मालिनी ने की है। भविष्य बारे उनका कहना है कि वह राज्य कंवर के साथ एक फिल्म में काम करने जा रही है, जिसमें उसकी प्रिय सहेली रेखा भी है। मुझे वही रोल अच्छे लगते हैं, जिनके जरिये अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकूं, परन्तु अब ऐसा लगता है कि अपने मनपसंद किरदार निभाने के लिए मुझे खुद ही फिल्म बनानी पड़ेगी। राजनीतिक मीटिगें, नृत्य प्रदर्शन, समाज सेवा की व्यवस्थाओं के चलते फिल्मों के प्रति रूझान कम हुआ है।
नई अभिनेतित्रयों को सलाह देते हुए उनका कहना है कि अपने आप पर हमेशा यकीन रखो, चुनौतियों का डटकर सामना करो, ताकि परस्थितियों का सामना करने में समर्थ हो जाओ। मार्ग में आने वाली असफलताओं से न घबराये, सफलता आपके कदम चूमेगी। अपनी कीमत पहचाने और अपनी बात पर दृढ़ रहने से मेरी तरह जवान महसूस करे। द्वारा : प्रैसवार्ता
8:18 am
manmohit grover
लखनऊ (प्रैसवार्ता) उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री राम अचल राजभर किसी समय चूहामार दवा बेचकर परिवार चलाते थे-जबकि वर्तमान में करोड़ों की अचल-सम्पति के मालिक हैं, जो भ्रष्टाचार और अवैध ढंग से बनाई गई है। इतना ही नहीं, इस मंत्री ने अपने परिजनों के नाम से भी काफी नामी-बेनामी सम्पति गैर कानूनी ढंग से एकत्रित की है। यह कहना है, बार एसोसिएशन अम्बेडकर नगर का। एसोसियेशन के सचिव ने राज्यभर के संपतियों की जांच सी.बी.आई से करवाये जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है-जिसमें कहा गया है कि राम अचल एक भ्रष्ट नेता है और उन्होंने आय से ज्यादा संपति अपने पद का दुरुपयोग कर जमा की है। एसोसियेशन के सदस्यों का मानना है कि अनेक नेता व जन सेवकों के भ्रष्टाचार से अम्बेडकर नगर जिला का विकास अवरूद्ध हुआ है। अम्बेडकर नगर के इतिहास में अनेक लोकप्रिय शख्सियत हुई हैं, किन्तु मंत्री राम अचल ने तो भ्रष्टाचार की हद कर दी। बार ऐसोसियेशन की सामान्य सभा की बैठक में भ्रष्ट राजनेताओं के खिलाफ जंग छेडऩे का ऐलान किया गया और इसी के अंतर्गत पहला निशाना राम अचल है। याचिका में कहा गया है कि एक भूमिहीन मजदूर के परिवार के राम अचल राजभर, जो खुद साईकल पर चूहेमार दवा बेचा करते थे, राजनीति में आये और वर्ष 1993 में विधायक बने, तो उन्होंने करोड़ों रुपयों की संपत्तियां अपने, परिवारजन तथा निकटतम रिश्तेदारों के नाम अर्जित कर ली। याचिका में राम अचल द्वारा थोड़े ही समय में अर्जित की गई अकूत संपतियों का ब्यौरा भी दिया गया है। ब्यौरे के मुताबिक मंत्री और परिवारजनों ने अपने आय के स्त्रोत से अधिक आय जैसे गाटा संख्या-184 क्षेत्रफल 4.007 हैक्टेयर, जो गांव बाराखान हासिमपुर, अम्बेडकरनगर में वर्ष 2005-5 में जमीन खरीदी। एक दो मंजिला मकान अम्बेडकर नगर के पॉश इलाके में राजभर के पुत्र संजय कुमार राजभर के नाम 26 नवंबर 2007 को खरीदा। एक आटा मिल एवं अजंता राईस मिल, जो अकबरपुर बरसारी रोड पर स्थित है, उसे राजभर और उसके पुत्र संजय कुमार ने मुकेश अग्रवाल से खरीद की। करोड़ों रुपयों के मूल्य की संपति ग्राम अटवारा अम्बेडकर नगर एवं ईंट का भट्टा पुत्र संजय कुमार के नाम खरीदा गया। संजय कुमार राजभर ने 10-12 दुकानें शहजादपुर-मालीपुर बाईपास पर सिंह मार्किट के सामने गयासुद्दीन से खरीदी। संजय कुमार ने करोड़ों रुपयों की संपति सरदार संतोष सिंह के पुत्र से खरीदी। इतना ही नहीं, अपने परिवार के नाम पर राजभर ने कुर्की बाजार से काफी भूमि खरीदी है। एक 4600 वर्गफुट का भूखंड राम अचल ने बुध विहार कालौनी चिनहट में खरीदा। एक तालाब गाटा संख्या 1444 क्षेत्रफल .961 हैक्टेयर गांव रिझौली अम्बेडकर नगर को पाटकर राजभर के प्रबंधक दया राम राजभर ने वहां बिल्डिंग का निर्माण करवा दिया। इन संपतियों के अतिरिक्त मंत्री, परिवारजन व रिश्तेदारों द्वारा अनेक बसें राजभर के विधायक व मंत्रीकाल में अर्जित की गई। जिक्रयोग है कि राम अचल राजभर के पूर्व में, जब वह बेसिक मंत्री थे, आवास पर सी.बी.आई ने छापा मारकर अवैध तरीके से अर्जित किये धन को जब्त किया था।