आप अपने क्षेत्र की हलचल को चित्रों और विजुअल समेत नेटप्रेस पर छपवा सकते हैं I सम्पर्क कीजिये सेल नम्बर 0 94165 57786 पर I ई-मेल akbar.khan.rana@gmail.com दि नेटप्रेस डॉट कॉम आपका अपना मंच है, इसे और बेहतर बनाने के लिए Cell.No.09416557786 तथा E-Mail: akbar.khan.rana@gmail.com पर आपके सुझाव, आलेख और काव्य आदि सादर आमंत्रित हैं I

1.10.09

विवाहिता को मारने के प्रयास में पति तथा सास नामजद

सफीदों (हरियाणा)
सफीदों थाना पुलिस ने दहेज की मांग पूरा न करने पर विवाहिता पर मिट्‌टी का तेल छिड़क कर जलाकर मारने के प्रयास में पति तथा सास के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया है। गांव बहादुरपुर निवासी पच्चीस वषर््ीय मोनिका ने सफीदों थाना पुलिस को दिए यान में बताया कि उसकी शादी लगभग पांच वर्ष् पूर्व गांव बहादुरपुर निवासी सुखदेव के साथ हुई थी। शादी के बाद से उसका पति तथा सास उस पर दहेज लाने केलिए दबाव डालते थे। दहेज की मांग पूरा न होने पर उनाीस सितंबर रात को पति सुखदेव तथा सास सुनहरी ने उस पर मिट्‌टी का तेल छिड़क कर आग लगा दी। उसके द्वारा बचाव में शोर मचाए जाने पर पड़ोसी घटना स्थल पर पहुंच गए और आग पर काबू पा उसे सामान्य अस्पताल पहुंचाया जहां चिकित्सकों ने उसकी गंभीर हालत देख पीजीआईएमएस रोहतक रेफर कर दिया। पुलिस ने मोनिका केयान पर पति सुखदेव तथा सास सुनहरी के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया है।

30.9.09

सेंटरो कार लुटी

सफीदों (हरियाणा)
सफीदों स्थित जींद बाईपास पर मंगलवार रात हथियारबंद चार युवकों ने सेंटरो कार चालक को बंधक बना अपहरण कर लिया और मारपीट कर गांव ढाठरथ के निकट चालक को छोड़कर कार लेकर फरार हो गए। घटना की सूचना पाकर पुलिस ने पूरे क्षेत्र की नाकाबंदी कर तलाशी अभियान चलाया। मगर लुटेरे युवकों का कोई सुराग नहीं लगा। पुलिस ने कार चालक की शिकायत पर चार युवकों के खिलाफ लूट का मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
गांव निंबरी (पानीपत) निवासी रोहताश मंगलवार को कार्यवश सेंटरो कार से असंध (करनाल) गया हुआ था। रात को जब वह वापस लौट रहा था तो सफीदों स्थित जींद बाईपास पर चार युवकों ने इशारा कर कार को रूकवा लिया। कार में बैठते ही चारों युवकों ने अपने हथियारों को निकाल लिया और चालक रोहताश को बंधक बनाकर पिछली सीट पर डाल लिया। इस दौरान युवकों ने रोहताश के साथ मारपीट की और गांव ढाठरथ के निकट सुनसान जगह पर छोड़कर कार लेकर फरार हो गए। रोहताश ने घटना की सूचना पुलिस को दी। कार लूटने की सूचना मिलते ही पुलिस ने पूरे क्षेत्र की नाकेबंदी कर तलाशी अभियान चलाया। मगर लुटेरे युवकों का कोई सुराग नहीं लगा। पुलिस ने रोहताश की शिकायत पर चार युवकों के खिलाफ लूट का मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।

मनीष व कविता ने भारत का नाम रोशन किया

जींद (हरियाणा)
भाई सुरेंद्र मलिक मैमोरियल खेल स्कूल निडानी की मनीष कविता ने मलेशिया में आयोजित पांचवी एशियन जूनियर कबड्डी प्रतियोगिता में भारत की टीम से खेलते हुए अंतिम मुकाबले में ईरान की टीम को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया। बुधवार को दोनों खिलाड़ियों के गांव पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया।
खेल स्कूल निडानी की प्राचार्या राजवंती मलिक ने बताया कि गांव फतेहगढ़ निवासी मनीष तथा गांव पडाना निवासी कविता किसान परिवार से संबंध रखती हैं। दोनों ही छात्राएं पिछले सात वर्षें से खेल स्कूल में पढ़ते हुए शैक्षणिक एवं खेल क्षेत्र में लगातार अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाती रही हैं। पच्चीस से सताईस सितंबर तक मलेशिया में आयोजित पांचवीं एशियन जूनियर कबड्डी प्रतियोगिता के लिए दोनों का चयन किया गया था। भारतीय टीम में मनीष को पहले कविता को चौथे स्थान पर रखा गया। दोनों ही खिलाड़ियों ने टीम में मौजूद अन्य खिलाड़ियों के सहयोग से अंतिम मुकाबले में ईरान की टीम को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया। इस अवसर पर विद्यालय निदेशक दलीप सिंह ने मनीष, कविता प्रशिक्षक नरेंद्र देशवाल को नगद पुरस्कार देने की घोषणा की।

जिला जींद में हितकारी डायन

जिला जींद के फसलतंत्र में किसान मित्र के रूप में डायन मक्खी भी पाई जाती। जी, हाँ! , राजपुरा, ईगराह, रूपगढ, निडाना ललित खेडा के किसान तो इसे इसी नाम से जानते हैं जबकि अंग्रेज इसे Robber Fly कहते हैं। नामकरण की द्विपदी प्रणाली के अनुसार यह मक्खी Dipterans के Asilidae परिवार की Machimus प्रजाति है। डायन मक्खी जहाँ एकतरफ स्वभावगत घोर अवसरवादी होती है वही दूसरी तरफ कौशलवत प्रभावशाली परभक्षी भी होती है। इनके भोजन में मक्खी, टिड्डे, भुंड, भिरड, बीटल, बग़, पतंगे तितली आदि कीट शामिल होते हैं। डायन मक्खी कई बार अपने से बड़े जन्नौर का शिकार भी कुशलता से कर लेती है। डायन मक्खी अपने अड्डे से शिकार करती है। यह मक्खी अपना अड्डा खुली एवं धुप वाली जगह बनाती है। अड्डे की जगह पौधों की टहनी, ठूंठ, पत्थर ढेला आदि कुछ भी हो सकता है। इस मचान से ही डाय मक्खी शिकार करने के लिए उड़ान भरती है। कीट वैज्ञानिकों का कहना है कि डायन मक्खी अपनी टोकरीनुमा कंटीली टांगों से उड़ते हुए कीटों को काबू करती है। हमने तो इस मक्खी को कई बार जमीन पर बैठे - बिठाए टिड्डों को भी झपटा मार कर अपनी गिरफ्त में लेते हुए देखा है।
शिकार को पकड़ते ही, डायन अपना डंक उसके शरीर में घोपती है इस डंक के जरिये ही वह शिकारी के शरीर में अपनी लार छोड़ती है। इसकी लार में एक तो ऐसा जहरीला प्रोटीन होता है जो तुंरत कारवाई करते हुए शिकार के स्नायु -तंत्र को सुन्न करता है तथा दूसरा एक ऐसा पाचक प्रोटीन होता है जो शिकार के शरीर के अंदरूनी हिस्सों को अपने अंदर घोल लेता है। घुले हुए इन हिस्सों को डायन मक्खी ठीक उसी तरह से पी जाती है जैसे बड़ा-बूढा दूध में दलिया घोल कर पी जाता है।

29.9.09

पूनम जाटान बनी जिले की पहली महिला नर्सिंग सर्विस में लेफ्टिनेंट

जींद (हरियाणा) :- अर्बन एस्टेट निवासी पूनम जाटान ने मिल्ट्री नर्सिंग सर्विस में लेफ्टिनेंट बनकर केवल जिले का नाम रोश किया है बल्कि अपने माता पिटा का भी नाम रोशन किया है। पूनम के लेफ्टिनेंट बनने पर जहां परिवार खुशी से फूला नहीं मा रहा है, वहीं पूनम को बधाई देने वालों का तांता लग गया है। फिलहाल पूनम को कमांड अस्पताल लखनऊ में नियुक्ति मिली है और वह जिले की पहली महिला नर्सिंग लेफ्टिनेंट है।
सेवानिवृत स्टेशन सुप्रीटेंडेंट पूनम जाटान के दादा उमेद सिंह ने बताया कि पूनम बचपन से ही काफी प्रतिभाशाली थी और समें सीखने की ललक थी। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों राष्ट्रीय स्तर पर कमीशनिंग इन नर्सिंग ऑफिसर का टेस्ट हुआ था। जिसमें प्रतिभागियों ने भाग लिया था। पूनम प्रतिभाशाली चयनित प्रतिभागियों में शामिल थी।
उन्होंने बताया कि पूनम जब चार वर्ष की थी, तो उसके पिता उदयराज सिंह की दुर्घटना में मौत हो गई थी। पूनम ने बारहवीं तक की पढ़ाई डीएवी स्कूल जींद तथा नर्सिंग की पढ़ाई एमएम कालेज ऑफ नर्सिंग मुलाना से की। अब उसका चयन मिल्ट्री नर्सिंग सर्विस में लेफ्टिनेंट के पद पर हुआ है। उन्होंने बताया कि पूनम की मां कुसुम देवी घरेलू महिला है और वह अपनी बेटी को आगे बढऩे के लिए हमेशा प्रेरित करती रही है।

कांग्रेस घास, मिलीबग व परजीवी सम्भीरकाएं

कांग्रेस घास, जी हाँ! वही कांग्रेस घास जिसे कभी ख़त्म करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों व उनकी चहेती बीटल जाय्गोग्रामा ने ताणे तक तुडवा लिए थे मगर पार नहीं पड़ी थी। पर समय सदा एकसा नही रहता। कपास की साधारण किस्मों की जगह बी.टी. हाइब्रिडों का प्रचलन हुआ। इसके साथ ही कपास की फसल में फिनोकोक्स सोलेनोप्सिस नाम का मिलीबग भस्मासुर बन कर सामने आया और देखते-देखते ही कांग्रेस घास के पौधों पर भी छा गया। संयोग देखिये, अमेरिकन कपास, कांग्रेस घास व मिलीबग का निकासी स्थल एक ही है। हिंदुस्तान में आते ही मिलीबग को कांग्रेस घास के रूप में पूर्व परिचित, एक सशक्त वैकल्पिक आश्रयदाता मिल गया। किसानों के घातक कीटनाशकों से पुरा बचाव व सारे साल अपने व बच्चों के लिए भोजन का पुरा जुगाड़। पर प्रकृति की प्रक्रियाएं इतनी सीधी व सरल नही होती। बल्कि इनमेँ तो हर जगह हर पल द्वंद्व रहता है। प्रकृति में सुस्थापित भोजन श्रृंख्ला की कोई भी कड़ी इतनी कमजोर नही होतीं कि जी चाहे वही तोड़ दे। फ़िर इस मिलीबग कि तो बिसात ही क्या जिसकी मादा पंखविहीन हो तथा अन्डे थैली में देती हो। जिला जींद की परिस्थितियों में ही सात किस्म की लेडी बिटलों, पांच किस्म की मकडियों व पांच किस्म के बुगडों आदि परभक्षियों के अलावा तीन किस्म की परजीवी सम्भीरकाओं ने मिलीबग को कांग्रेस घास पर ढूंढ़ निकाला। यहाँ स्थानीय परिस्थितियों में मिलीबग को परजीव्याभीत करने वाली अंगीरा, जंगीरा व फंगीरा नामक तीन सम्भीरकाएं पाई गई है। इनमेँ से अंगीरा ने तो कांग्रेस घास के एक पौधे पर मिलीबग की पुरी आबादी को ही परजीव्याभीत कर दिया है। इस तरह की घटना कम ही देखने में आती है। मिलीबग नियंत्रण के लिए प्रकृति की तरफ़ से कपास उत्पादक किसानों के लिए एनासिय्स नामक सम्भीरका एक गजब का तोहफा है। भीरडनूमा महीन सा यह जन्नोर आकर में तो बामुश्किल एक-दो मिलीमीटर लंबा ही होता है। एनासिय्स की प्रौढ़ मादा अपने जीवनकाल में सैकडों अंडे देती है पर एक मिलीबग के शरीर में एक ही अंडा देती है। इस तरह से एक एनासिय्स सैकडों मिलिबगों को परजीव्याभीत करने का मादा रखती है। मिलीबग के शरीर में एनासिय्स को अंडे से पूर्ण प्रौढ़ विकसित होने में तकरीबन 15 दिन का समय लगता है। इसीलिए तो एनासिय्स को अंडे देते वक्त मिलीबग की ऊमर का ध्यान रखना पड़ता है। गलती से ज्यादा छोटे मिलीबग में अंडा दिया गया तो प्रयाप्त भोजन के आभाव में मिलीबग के साथ-साथ एनासिय्स की भी मौत हो जाती है। खुदा न खास्ता एनासिय्स ने अपना अंडा एक इसे ऊमर दराज मिलीबग के शरीर में दे दिया जिसकी जिन्दगी दस दिन की भी न रह रही हो तो भी एनासिय्स के पूर्ण विकसित होने से पहले ही मिलीबग की स्वाभाविक मौत हो जायेगी। परिणाम स्वरूप एनासिय्स की भी मौत हो जायेगी। इसीलिए तो एनासिय्स का पुरा जोर रहता है कि अंडा उस मिलीबग के शरीर में दिया जाए जिसकी जिन्दगी के अभी कम से कम 15 दिन जरुए बच रहे हों। अंडा देने के लिए सही मिलीबग के चुनाव पर ही एनासिय्स की वंश वृध्दि की सफलता निर्भर करती है। मिलीबग के शरीर में अंड विस्फोटन के बाद ज्योंही एनासिय्स का शिशु मिलीबग को अंदर से खाना शुरू करता है, मिलीबग गंजा होना शुरू हो जाता है। इसका रंग भी लाल सा भूरा होना शुरू हो जाता है। मिलीबग का पाउडर उड़ना व इसका रंग लाल सा भूरा होना इस बात की निशानी है कि मिलीबग के पेट में एनासिय्स का बच्चा पल रहा है। मिलीबग को अंदर से खाते रह कर एक दिन एनासिय्स का किशोर मिलीबग के अंदर ही प्युपेसन कर लेता है। फ़िर एक दिन पूर्ण प्रौढ़ के रूप में विकसित होकर मिलीबग के शरीर से बाहर आने के लिए गोल सुराख़ करेगा। इस सुराख़ से एनासिय्स अपना स्वतन्त्र प्रौढिय जीवन जीने के लिए मिलीबग के शरीर से बहर निकलेगा। और इस प्रक्रिया में मिलीबग को मिलती है मौत तथा अब वह रह जाता सिर्फ़ खाली खोखा। यहाँ एनासिय्स यानि कि अंगीरा के जीवन कि विभिन्न अवस्थाओं के फोटों दी गई है। कांग्रेस घास सम्मेत विभिन्न गैरफसली पौधे जो मिलीबग के लिए आश्रयदाता है, एनासिय्स कि वंश वृध्दि के लिए भी वरदान है क्योंकि इन्हे इन पौधों पर अपनी वंश वृध्दि के लिए मिलीबग बहुतायत में उपलब्ध हो जाता है।

28.9.09

शोभा यात्रा निकाल मां दुर्गा का विसर्जन किया


जींद (हरियाणा)
विजयदशमी पर्व पर महिषासुर मर्दनी मां दुर्गा, कार्तिक, गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती की प्रतिमाओं का सोमवार को हांसी ब्रांच नहर में पूजा पाठ के बाद विसर्जन किया गया। विसर्जन से पूर्व सैंकड़ों भक्तों ने रंगों व आतिशबाजी के साथ शहर में शोभा यात्रा निकाली। जैसे ही शोभा यात्रा हांसी ब्रांच नहर पुल पर पहुंची तो वैदिक मंत्रों के साथ मां दुर्गा की पूजा की गई।
विजयदशमी पर्व पर सोमवार को भारत विकास परिषद भूतेश्वर शाखा के तत्वाधान में महिषासुर मर्दनी मां दुर्गा, कार्तिक, गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती आदि की शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा के दौरान भक्तों ने मां भगवती के जयकारे लगाए और नाच गाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। शाखा प्रधान केपी सिंह ने बताया कि पिछले पांच दिनों से बड़े डाकखाना के निकट महिषासुर मर्दनी मां दुर्गा, कार्तिक, गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती आदि की पूजा के लिए पंडाल लगाया गया था। जिसमें प्रतिदिन पूजा-पाठ के बाद भंडारे का आयोजन किया जाता था। विजयदशमी के दिन अगले वर्ष फिर से मां दुर्गा के घर आने की कामना को लेकर शहर में शोभायात्रा निकाल सभी प्रतिमाओं का नहर में विसर्जन किया गया।