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29.9.09

पूनम जाटान बनी जिले की पहली महिला नर्सिंग सर्विस में लेफ्टिनेंट

जींद (हरियाणा) :- अर्बन एस्टेट निवासी पूनम जाटान ने मिल्ट्री नर्सिंग सर्विस में लेफ्टिनेंट बनकर केवल जिले का नाम रोश किया है बल्कि अपने माता पिटा का भी नाम रोशन किया है। पूनम के लेफ्टिनेंट बनने पर जहां परिवार खुशी से फूला नहीं मा रहा है, वहीं पूनम को बधाई देने वालों का तांता लग गया है। फिलहाल पूनम को कमांड अस्पताल लखनऊ में नियुक्ति मिली है और वह जिले की पहली महिला नर्सिंग लेफ्टिनेंट है।
सेवानिवृत स्टेशन सुप्रीटेंडेंट पूनम जाटान के दादा उमेद सिंह ने बताया कि पूनम बचपन से ही काफी प्रतिभाशाली थी और समें सीखने की ललक थी। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों राष्ट्रीय स्तर पर कमीशनिंग इन नर्सिंग ऑफिसर का टेस्ट हुआ था। जिसमें प्रतिभागियों ने भाग लिया था। पूनम प्रतिभाशाली चयनित प्रतिभागियों में शामिल थी।
उन्होंने बताया कि पूनम जब चार वर्ष की थी, तो उसके पिता उदयराज सिंह की दुर्घटना में मौत हो गई थी। पूनम ने बारहवीं तक की पढ़ाई डीएवी स्कूल जींद तथा नर्सिंग की पढ़ाई एमएम कालेज ऑफ नर्सिंग मुलाना से की। अब उसका चयन मिल्ट्री नर्सिंग सर्विस में लेफ्टिनेंट के पद पर हुआ है। उन्होंने बताया कि पूनम की मां कुसुम देवी घरेलू महिला है और वह अपनी बेटी को आगे बढऩे के लिए हमेशा प्रेरित करती रही है।

कांग्रेस घास, मिलीबग व परजीवी सम्भीरकाएं

कांग्रेस घास, जी हाँ! वही कांग्रेस घास जिसे कभी ख़त्म करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों व उनकी चहेती बीटल जाय्गोग्रामा ने ताणे तक तुडवा लिए थे मगर पार नहीं पड़ी थी। पर समय सदा एकसा नही रहता। कपास की साधारण किस्मों की जगह बी.टी. हाइब्रिडों का प्रचलन हुआ। इसके साथ ही कपास की फसल में फिनोकोक्स सोलेनोप्सिस नाम का मिलीबग भस्मासुर बन कर सामने आया और देखते-देखते ही कांग्रेस घास के पौधों पर भी छा गया। संयोग देखिये, अमेरिकन कपास, कांग्रेस घास व मिलीबग का निकासी स्थल एक ही है। हिंदुस्तान में आते ही मिलीबग को कांग्रेस घास के रूप में पूर्व परिचित, एक सशक्त वैकल्पिक आश्रयदाता मिल गया। किसानों के घातक कीटनाशकों से पुरा बचाव व सारे साल अपने व बच्चों के लिए भोजन का पुरा जुगाड़। पर प्रकृति की प्रक्रियाएं इतनी सीधी व सरल नही होती। बल्कि इनमेँ तो हर जगह हर पल द्वंद्व रहता है। प्रकृति में सुस्थापित भोजन श्रृंख्ला की कोई भी कड़ी इतनी कमजोर नही होतीं कि जी चाहे वही तोड़ दे। फ़िर इस मिलीबग कि तो बिसात ही क्या जिसकी मादा पंखविहीन हो तथा अन्डे थैली में देती हो। जिला जींद की परिस्थितियों में ही सात किस्म की लेडी बिटलों, पांच किस्म की मकडियों व पांच किस्म के बुगडों आदि परभक्षियों के अलावा तीन किस्म की परजीवी सम्भीरकाओं ने मिलीबग को कांग्रेस घास पर ढूंढ़ निकाला। यहाँ स्थानीय परिस्थितियों में मिलीबग को परजीव्याभीत करने वाली अंगीरा, जंगीरा व फंगीरा नामक तीन सम्भीरकाएं पाई गई है। इनमेँ से अंगीरा ने तो कांग्रेस घास के एक पौधे पर मिलीबग की पुरी आबादी को ही परजीव्याभीत कर दिया है। इस तरह की घटना कम ही देखने में आती है। मिलीबग नियंत्रण के लिए प्रकृति की तरफ़ से कपास उत्पादक किसानों के लिए एनासिय्स नामक सम्भीरका एक गजब का तोहफा है। भीरडनूमा महीन सा यह जन्नोर आकर में तो बामुश्किल एक-दो मिलीमीटर लंबा ही होता है। एनासिय्स की प्रौढ़ मादा अपने जीवनकाल में सैकडों अंडे देती है पर एक मिलीबग के शरीर में एक ही अंडा देती है। इस तरह से एक एनासिय्स सैकडों मिलिबगों को परजीव्याभीत करने का मादा रखती है। मिलीबग के शरीर में एनासिय्स को अंडे से पूर्ण प्रौढ़ विकसित होने में तकरीबन 15 दिन का समय लगता है। इसीलिए तो एनासिय्स को अंडे देते वक्त मिलीबग की ऊमर का ध्यान रखना पड़ता है। गलती से ज्यादा छोटे मिलीबग में अंडा दिया गया तो प्रयाप्त भोजन के आभाव में मिलीबग के साथ-साथ एनासिय्स की भी मौत हो जाती है। खुदा न खास्ता एनासिय्स ने अपना अंडा एक इसे ऊमर दराज मिलीबग के शरीर में दे दिया जिसकी जिन्दगी दस दिन की भी न रह रही हो तो भी एनासिय्स के पूर्ण विकसित होने से पहले ही मिलीबग की स्वाभाविक मौत हो जायेगी। परिणाम स्वरूप एनासिय्स की भी मौत हो जायेगी। इसीलिए तो एनासिय्स का पुरा जोर रहता है कि अंडा उस मिलीबग के शरीर में दिया जाए जिसकी जिन्दगी के अभी कम से कम 15 दिन जरुए बच रहे हों। अंडा देने के लिए सही मिलीबग के चुनाव पर ही एनासिय्स की वंश वृध्दि की सफलता निर्भर करती है। मिलीबग के शरीर में अंड विस्फोटन के बाद ज्योंही एनासिय्स का शिशु मिलीबग को अंदर से खाना शुरू करता है, मिलीबग गंजा होना शुरू हो जाता है। इसका रंग भी लाल सा भूरा होना शुरू हो जाता है। मिलीबग का पाउडर उड़ना व इसका रंग लाल सा भूरा होना इस बात की निशानी है कि मिलीबग के पेट में एनासिय्स का बच्चा पल रहा है। मिलीबग को अंदर से खाते रह कर एक दिन एनासिय्स का किशोर मिलीबग के अंदर ही प्युपेसन कर लेता है। फ़िर एक दिन पूर्ण प्रौढ़ के रूप में विकसित होकर मिलीबग के शरीर से बाहर आने के लिए गोल सुराख़ करेगा। इस सुराख़ से एनासिय्स अपना स्वतन्त्र प्रौढिय जीवन जीने के लिए मिलीबग के शरीर से बहर निकलेगा। और इस प्रक्रिया में मिलीबग को मिलती है मौत तथा अब वह रह जाता सिर्फ़ खाली खोखा। यहाँ एनासिय्स यानि कि अंगीरा के जीवन कि विभिन्न अवस्थाओं के फोटों दी गई है। कांग्रेस घास सम्मेत विभिन्न गैरफसली पौधे जो मिलीबग के लिए आश्रयदाता है, एनासिय्स कि वंश वृध्दि के लिए भी वरदान है क्योंकि इन्हे इन पौधों पर अपनी वंश वृध्दि के लिए मिलीबग बहुतायत में उपलब्ध हो जाता है।

28.9.09

शोभा यात्रा निकाल मां दुर्गा का विसर्जन किया


जींद (हरियाणा)
विजयदशमी पर्व पर महिषासुर मर्दनी मां दुर्गा, कार्तिक, गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती की प्रतिमाओं का सोमवार को हांसी ब्रांच नहर में पूजा पाठ के बाद विसर्जन किया गया। विसर्जन से पूर्व सैंकड़ों भक्तों ने रंगों व आतिशबाजी के साथ शहर में शोभा यात्रा निकाली। जैसे ही शोभा यात्रा हांसी ब्रांच नहर पुल पर पहुंची तो वैदिक मंत्रों के साथ मां दुर्गा की पूजा की गई।
विजयदशमी पर्व पर सोमवार को भारत विकास परिषद भूतेश्वर शाखा के तत्वाधान में महिषासुर मर्दनी मां दुर्गा, कार्तिक, गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती आदि की शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा के दौरान भक्तों ने मां भगवती के जयकारे लगाए और नाच गाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। शाखा प्रधान केपी सिंह ने बताया कि पिछले पांच दिनों से बड़े डाकखाना के निकट महिषासुर मर्दनी मां दुर्गा, कार्तिक, गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती आदि की पूजा के लिए पंडाल लगाया गया था। जिसमें प्रतिदिन पूजा-पाठ के बाद भंडारे का आयोजन किया जाता था। विजयदशमी के दिन अगले वर्ष फिर से मां दुर्गा के घर आने की कामना को लेकर शहर में शोभायात्रा निकाल सभी प्रतिमाओं का नहर में विसर्जन किया गया।

जिला जींद में पादपखोर - तेलन

यह कीट ना तो तेली की बहु और ना इस कीट का तेली से कोई वास्ता फ़िर भी हरियाणा में पच्चास तै ऊपर की उम्र के किसान, अंग्रेजों द्वारा ब्लिस्टर बीटल कहे जाने वाले इस कीट को तेलन कहते हैं। हरियाणा के इन किसानों को यह मालुम हैं कि इस तेलन का तेल जैसा गाढा  मूत्र अगर हमारी खाल पर लग जाए तो फफोले पड़ जाते हैं। इन किसानों को यह भी पता हैं कि पशु-चारे के साथ इन कीटों को भी खा लेने से, हमारे पशु बीमार पड़ जाते हैं। घोडों में तो यह समस्या और भी ज्यादा थी। एक आध किसान को तो थोड़ा-बहुत यह भी याद हैं कि पुराने समय में देशी वैद्य इन कीटों को मारकार व सुखा कर, इनका पौडर बना लिया करते। इस पाउडर नै वे गांठ, गठिया व संधिवात जैसी बिमारियों को ठीक करने मै इस्तेमाल किया करते। इस बात में कितनी साच सै अर् कितनी झूठ - या बताने वाले किसान जानै या इस्तेमाल करने वाले वैद्य जी। कम से कम हमनै तो कोई जानकारी नही।

हमनै तो न्यूँ पता सै अक् या तेलन चर्वक किस्म की कीट सै। कीट वैज्ञानिक इस नै Mylabris प्रजाति की बीटल कहते हैं जिसका Meloidae नामक परिवार Coleaoptera नामक कुनबे मै का होता है। इसके शरीर में कैन्थारिडिन नामक जहरीला रसायन होता है जो इन फफोलों के लिए जिम्मेवार होता है। इस बीटल के प्रौढ़ कपास की फसल में फूलों की पंखुडियों , पुंकेसर व स्त्रीकेसर को खा कर गुजारा करते हैं। कपास के अलावा यह बीटल सोयाबीन, टमाटर, आलू, बैंगन व घिया-तोरी आदि पर भी हमला करती है जबकि इस बीटल के गर्ब मांसाहारी होते हैं। जमीन के अंदर रहते हुए इनको खाने के लिए टिड्डों, भुन्डों, मैदानी-बीटलों व् बगों के अंडे एवं बच्चे मिल जाते हैं।जीवन चक्र:इस बीटल का जीवन चक्र थोड़ा सा असामान्य होता है। अपने यहाँ तेलन के प्रौढ़ जून के महीने में जमीन से निकलना शुरू करते है तथा जुलाई के महीने में थोक के भावः निकलते हैं। मादा तेलन सहवास के 15-20 दिन बाद अंडे देने शुरू कराती है। मादा अपने अंडे जमीन के अंदर 5-6 जगहों पर गुच्छों में रखती है। हर गुच्छे में 50 से 300 अंडे देती है। अण्डों की संख्या मादा के भोजन, होने वाले बच्चों के लिए भोजन की उपलब्धता व मौसम की अनुकूलता पर निर्भर करती है। भूमि के अंदर ही इन अण्डों से 15-20 दिन में तेलन के बच्चे निकलते है जिन्हें गर्ब कहा जाता है। पैदा होते ही ये गर्ब अपने पसंदीदा भोजन "टिड्डों के अंडे" ढुंढने के लिए इधर-उधर निकलते हैं। इस तरह से भूमि में पाए जाने वाले विभिन्न कीटों के अंडे व बच्चों को खाकर, ये तेलन के गर्ब पलते व बढते रहते है। अपने जीवन में चार कांजली उतारने के बाद, ये लार्वा भूमि के अंदर ही रहने के लिए प्रकोष्ठ बनते हैं। पाँचवीं कांजली उतारने के बाद, लार्वा इसी प्रकोष्ठ में रहता है। इस तरह से यह कीट सर्दियाँ जमीन के अंदर अपने पाँच कांजली उतार चुके लार्वा के रूप में बिताता है। यह लार्वा जमीन के अंदर तीन-चार सेंटीमीटर की गहराई पर रहता है। बसंत ऋतु में इस प्रकोष्ठ में ही इस कीट की प्युपेसन होती है। और जून में इस के प्रौढ़ निकलने शुरू हो जाते हैं।

27.9.09

चरस तस्करी के आरोप में दो काबू, एक फरार

जींद (हरियाणा) शहर थाना पुलिस ने रात को अलग-अलग स्थानों से नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप में दो लोगों को काबू कर उनके कब्जे से चरस तथा एक स्कूटर बरामद किया है। जबकि एक नशीले पदार्थों का तस्कर अंधेरे का लाभ उठाकर भागने में कामयाब हो गया। पुलिस ने तीनों के खिलाफ नशीले पदार्थ निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
शहर थाना पुलिस को सूचना मिली थी कि रामराये गेट निवासी अजय तथा अजमेर बस्ती निवासी कश्मीर सिंह नशीले पदार्थों की तस्करी करते हैं। शनिवार रात को बाहर से नशीले पदार्थों की डील हो रही थी। पुलिस ने सूचना के आधार पर रामराये गेट पर खड़े अजय को धर दबोचा। अजय की तलाशी लिए जाने पर उसके कब्जे से कुछ ग्राम चरस बरामद हुई। पुलिस रेड पड़ने की भनक लगते ही अजय के पास खड़े दो व्यक्ति स्कूटर पर सवार होकर भागने लगे। पुलिसकर्मियों ने पीछा कर मंयुसिपल कमेटी चौक पर स्कूटर सवारों को घेर लिया। इसी दौरान स्कूटर के पीछे बैठा दूसरा व्यक्ति अंधेरे का लाभ उठाकर भागने में कामयाब हो गया जबकि स्कूटर चालक को पुलिस ने धर दबोचा। उसकी तलाशी लिए जाने पर उसमें से चरस बरामद हुई। स्कूटर चालक की पहचान अजमेर बस्ती निवासी कशमीर के रूप में हुई जबकि फरार होने वाले व्यकित की पहचान गांव मिताथल (भिवानी) निवासी पप्पू के रूप में हुई। पुलिस ने तीनों के खिलाफ नशीले पदार्थ निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।

युवकों ने परिवहन समिति बस के शीशे तोड़े

जींद (हरियाणा): पटियाला चौक पर रविवार शाम को कुछ युवकों ने नरवाना से जींद आ रही परिवहन समिति की बस के चालक, परिचालक तथा हैल्पर की धुनाई कर डाली और बस के शीशे तोडक़र क्षतिग्रस्त कर दिया। घटना को अंजाम देकर हमलावर युवक फरार हो गए। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
परिवहन समिति बस का चालक गांव उचाना खुर्द निवासी जितेन्द्र बस परिचालक सुरेन्द्र, हैल्पर गांव बडनपुर निवासी सोनू रविवार शाम को रोहित डबवाली परिवहन समिति की बस नरवाना से वाया काकड़ौद से होकर जींद की तरफ आ रहा था। गांव डोहानाखेड़ा से बस में सवार हुए एक युवक को बस परिचालक सुरेन्द्र ने टिकट लेने के लिए कहा, जिस पर युवक उखड़ गया और परिचालक सुरेन्द्र के साथ हाथापाई करने लगा। उस समय तो यात्रियों के हस्तक्षेप से मामला शांत हो गया, मगर युवक ने मोबाइल फोन से अपने दोस्तों को पटियाला चौक पर बुला लिया। जैसे ही बस पटियाला चौक पर पहुंची तो पहले से खड़े लगभग एक दर्जन युवकों ने बस को घेर लिया और चालक जितेन्द्र, परिचालक सुरेन्द्र, हैल्पर सोनू को नीचे उतारकर उनकी बुरी तरह पिटाई की। बाद में युवकों ने लाठियों तथा डंडों से बस के शीशों पर प्रहार कर उन्हें तोड़ डाला।
घटना की सूचना पाकर जब तक पुलिस मौकें पर पहुंचती तब तक हमलावर युवक फरार हो चुके थे। बस के चालक जितेन्द्र ने बताया कि गांव डोहानाखेड़ा निवासी विक्की गांव के बस अड्डे से बस में सवार हुआ था। परिचालक सुरेन्द्र ने उसे टिकट लेने के लिए कहा था। जिसकों लेकर दोनों की तकरार हो गई। उसने पटियाला चौक पर कुछ बदमाशों को बुला लिया। जैसे ही उसने पटियाला चौंक पर सवारियां उतारने के लिए बस रोकी तो बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया और बस के शीशे तोड़ डाले। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

जिला जींद में कीटखोर कीट-बिन्दुआ बुगडा

बिन्दुआ बुगडा एक मांसाहारी कीट है जो अपना गुजर-बसर दुसरे कीटों का खून चूस कर करता है। कांग्रेस घास पर यह कीट दुसरे कीटों की लाश में ही आया है। कांग्रेस घास के पौधों पर इसे मिलीबग, मिल्क-वीड बग़ जाय्गोग्राम्मा बीटल आदि शाकाहारी कीट इनके शिशु अंडे मिल सकते है। इन पादपखोर कीटों के अलावा कीटाहारी कीट भी मिल सकते है। इन सभी मध्यम आकर के कीटों का खून चूस कर ही बिन्दुआ बुगडा इसके बच्चों का कांग्रेस घास पर गुजारा हो पाता है। आलू की फसल को नुकशान पहुचने वाली कोलोराडो बीटल के तो ग्राहक होते है ये बिन्दुआ बुगडे। इसी जानकारी का फायदा उठाकर कीटनाशी उद्योग द्वारा इन बुगडों को भी जैविक-नियंत्रण के नाम पर बेचा जाने लगा है। साधारण से साधारण जानकारी को भी मुनाफे में तब्दील करना कोई इनसे सीखे।
चलते-चलते आपको बता दे कि माँ के दूध के साथ अंग्रेजी सीखे लोग इस बिन्दुआ बुगडे को "Two spotted bug" कहते हैं। जबकि वैज्ञानिकों कि भाषा में इसे "Perillus bioculatus" kahte haen.