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28.9.09

जिला जींद में पादपखोर - तेलन

यह कीट ना तो तेली की बहु और ना इस कीट का तेली से कोई वास्ता फ़िर भी हरियाणा में पच्चास तै ऊपर की उम्र के किसान, अंग्रेजों द्वारा ब्लिस्टर बीटल कहे जाने वाले इस कीट को तेलन कहते हैं। हरियाणा के इन किसानों को यह मालुम हैं कि इस तेलन का तेल जैसा गाढा  मूत्र अगर हमारी खाल पर लग जाए तो फफोले पड़ जाते हैं। इन किसानों को यह भी पता हैं कि पशु-चारे के साथ इन कीटों को भी खा लेने से, हमारे पशु बीमार पड़ जाते हैं। घोडों में तो यह समस्या और भी ज्यादा थी। एक आध किसान को तो थोड़ा-बहुत यह भी याद हैं कि पुराने समय में देशी वैद्य इन कीटों को मारकार व सुखा कर, इनका पौडर बना लिया करते। इस पाउडर नै वे गांठ, गठिया व संधिवात जैसी बिमारियों को ठीक करने मै इस्तेमाल किया करते। इस बात में कितनी साच सै अर् कितनी झूठ - या बताने वाले किसान जानै या इस्तेमाल करने वाले वैद्य जी। कम से कम हमनै तो कोई जानकारी नही।

हमनै तो न्यूँ पता सै अक् या तेलन चर्वक किस्म की कीट सै। कीट वैज्ञानिक इस नै Mylabris प्रजाति की बीटल कहते हैं जिसका Meloidae नामक परिवार Coleaoptera नामक कुनबे मै का होता है। इसके शरीर में कैन्थारिडिन नामक जहरीला रसायन होता है जो इन फफोलों के लिए जिम्मेवार होता है। इस बीटल के प्रौढ़ कपास की फसल में फूलों की पंखुडियों , पुंकेसर व स्त्रीकेसर को खा कर गुजारा करते हैं। कपास के अलावा यह बीटल सोयाबीन, टमाटर, आलू, बैंगन व घिया-तोरी आदि पर भी हमला करती है जबकि इस बीटल के गर्ब मांसाहारी होते हैं। जमीन के अंदर रहते हुए इनको खाने के लिए टिड्डों, भुन्डों, मैदानी-बीटलों व् बगों के अंडे एवं बच्चे मिल जाते हैं।जीवन चक्र:इस बीटल का जीवन चक्र थोड़ा सा असामान्य होता है। अपने यहाँ तेलन के प्रौढ़ जून के महीने में जमीन से निकलना शुरू करते है तथा जुलाई के महीने में थोक के भावः निकलते हैं। मादा तेलन सहवास के 15-20 दिन बाद अंडे देने शुरू कराती है। मादा अपने अंडे जमीन के अंदर 5-6 जगहों पर गुच्छों में रखती है। हर गुच्छे में 50 से 300 अंडे देती है। अण्डों की संख्या मादा के भोजन, होने वाले बच्चों के लिए भोजन की उपलब्धता व मौसम की अनुकूलता पर निर्भर करती है। भूमि के अंदर ही इन अण्डों से 15-20 दिन में तेलन के बच्चे निकलते है जिन्हें गर्ब कहा जाता है। पैदा होते ही ये गर्ब अपने पसंदीदा भोजन "टिड्डों के अंडे" ढुंढने के लिए इधर-उधर निकलते हैं। इस तरह से भूमि में पाए जाने वाले विभिन्न कीटों के अंडे व बच्चों को खाकर, ये तेलन के गर्ब पलते व बढते रहते है। अपने जीवन में चार कांजली उतारने के बाद, ये लार्वा भूमि के अंदर ही रहने के लिए प्रकोष्ठ बनते हैं। पाँचवीं कांजली उतारने के बाद, लार्वा इसी प्रकोष्ठ में रहता है। इस तरह से यह कीट सर्दियाँ जमीन के अंदर अपने पाँच कांजली उतार चुके लार्वा के रूप में बिताता है। यह लार्वा जमीन के अंदर तीन-चार सेंटीमीटर की गहराई पर रहता है। बसंत ऋतु में इस प्रकोष्ठ में ही इस कीट की प्युपेसन होती है। और जून में इस के प्रौढ़ निकलने शुरू हो जाते हैं।

27.9.09

चरस तस्करी के आरोप में दो काबू, एक फरार

जींद (हरियाणा) शहर थाना पुलिस ने रात को अलग-अलग स्थानों से नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप में दो लोगों को काबू कर उनके कब्जे से चरस तथा एक स्कूटर बरामद किया है। जबकि एक नशीले पदार्थों का तस्कर अंधेरे का लाभ उठाकर भागने में कामयाब हो गया। पुलिस ने तीनों के खिलाफ नशीले पदार्थ निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
शहर थाना पुलिस को सूचना मिली थी कि रामराये गेट निवासी अजय तथा अजमेर बस्ती निवासी कश्मीर सिंह नशीले पदार्थों की तस्करी करते हैं। शनिवार रात को बाहर से नशीले पदार्थों की डील हो रही थी। पुलिस ने सूचना के आधार पर रामराये गेट पर खड़े अजय को धर दबोचा। अजय की तलाशी लिए जाने पर उसके कब्जे से कुछ ग्राम चरस बरामद हुई। पुलिस रेड पड़ने की भनक लगते ही अजय के पास खड़े दो व्यक्ति स्कूटर पर सवार होकर भागने लगे। पुलिसकर्मियों ने पीछा कर मंयुसिपल कमेटी चौक पर स्कूटर सवारों को घेर लिया। इसी दौरान स्कूटर के पीछे बैठा दूसरा व्यक्ति अंधेरे का लाभ उठाकर भागने में कामयाब हो गया जबकि स्कूटर चालक को पुलिस ने धर दबोचा। उसकी तलाशी लिए जाने पर उसमें से चरस बरामद हुई। स्कूटर चालक की पहचान अजमेर बस्ती निवासी कशमीर के रूप में हुई जबकि फरार होने वाले व्यकित की पहचान गांव मिताथल (भिवानी) निवासी पप्पू के रूप में हुई। पुलिस ने तीनों के खिलाफ नशीले पदार्थ निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।

युवकों ने परिवहन समिति बस के शीशे तोड़े

जींद (हरियाणा): पटियाला चौक पर रविवार शाम को कुछ युवकों ने नरवाना से जींद आ रही परिवहन समिति की बस के चालक, परिचालक तथा हैल्पर की धुनाई कर डाली और बस के शीशे तोडक़र क्षतिग्रस्त कर दिया। घटना को अंजाम देकर हमलावर युवक फरार हो गए। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
परिवहन समिति बस का चालक गांव उचाना खुर्द निवासी जितेन्द्र बस परिचालक सुरेन्द्र, हैल्पर गांव बडनपुर निवासी सोनू रविवार शाम को रोहित डबवाली परिवहन समिति की बस नरवाना से वाया काकड़ौद से होकर जींद की तरफ आ रहा था। गांव डोहानाखेड़ा से बस में सवार हुए एक युवक को बस परिचालक सुरेन्द्र ने टिकट लेने के लिए कहा, जिस पर युवक उखड़ गया और परिचालक सुरेन्द्र के साथ हाथापाई करने लगा। उस समय तो यात्रियों के हस्तक्षेप से मामला शांत हो गया, मगर युवक ने मोबाइल फोन से अपने दोस्तों को पटियाला चौक पर बुला लिया। जैसे ही बस पटियाला चौक पर पहुंची तो पहले से खड़े लगभग एक दर्जन युवकों ने बस को घेर लिया और चालक जितेन्द्र, परिचालक सुरेन्द्र, हैल्पर सोनू को नीचे उतारकर उनकी बुरी तरह पिटाई की। बाद में युवकों ने लाठियों तथा डंडों से बस के शीशों पर प्रहार कर उन्हें तोड़ डाला।
घटना की सूचना पाकर जब तक पुलिस मौकें पर पहुंचती तब तक हमलावर युवक फरार हो चुके थे। बस के चालक जितेन्द्र ने बताया कि गांव डोहानाखेड़ा निवासी विक्की गांव के बस अड्डे से बस में सवार हुआ था। परिचालक सुरेन्द्र ने उसे टिकट लेने के लिए कहा था। जिसकों लेकर दोनों की तकरार हो गई। उसने पटियाला चौक पर कुछ बदमाशों को बुला लिया। जैसे ही उसने पटियाला चौंक पर सवारियां उतारने के लिए बस रोकी तो बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया और बस के शीशे तोड़ डाले। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

जिला जींद में कीटखोर कीट-बिन्दुआ बुगडा

बिन्दुआ बुगडा एक मांसाहारी कीट है जो अपना गुजर-बसर दुसरे कीटों का खून चूस कर करता है। कांग्रेस घास पर यह कीट दुसरे कीटों की लाश में ही आया है। कांग्रेस घास के पौधों पर इसे मिलीबग, मिल्क-वीड बग़ जाय्गोग्राम्मा बीटल आदि शाकाहारी कीट इनके शिशु अंडे मिल सकते है। इन पादपखोर कीटों के अलावा कीटाहारी कीट भी मिल सकते है। इन सभी मध्यम आकर के कीटों का खून चूस कर ही बिन्दुआ बुगडा इसके बच्चों का कांग्रेस घास पर गुजारा हो पाता है। आलू की फसल को नुकशान पहुचने वाली कोलोराडो बीटल के तो ग्राहक होते है ये बिन्दुआ बुगडे। इसी जानकारी का फायदा उठाकर कीटनाशी उद्योग द्वारा इन बुगडों को भी जैविक-नियंत्रण के नाम पर बेचा जाने लगा है। साधारण से साधारण जानकारी को भी मुनाफे में तब्दील करना कोई इनसे सीखे।
चलते-चलते आपको बता दे कि माँ के दूध के साथ अंग्रेजी सीखे लोग इस बिन्दुआ बुगडे को "Two spotted bug" कहते हैं। जबकि वैज्ञानिकों कि भाषा में इसे "Perillus bioculatus" kahte haen.

26.9.09

बहादरपुर में अज्ञात कारणों से हजारों मछलियाँ मरी

सफीदों (हरियाणा)
गांव बहादरपुर में अज्ञात कारणों के चलते तालाब में हजारों की तादाद में अचानक मछलियाँ मरने से ग्रामीण सकते में है। बड़ी संख्या में मछलियों के तालाब में मरने से ग्रामीणों को पशुओं के बीमार होने की आशंका सताने लगी है। इसके अलावा ग्रामीणों के समक्ष पशुओं के पीने के पानी की भी समस्या खड़ी हो गई है।
गांव बहादुरपुर स्थित पंचायती तालाब में पिछले एक पखवाड़े से अज्ञात कारणों के चलते लगातार मछलियां मर रही हैं। अब नौबत यहां तक पहुंची है कि तालाब के किनारे मरी हुई मछलियों से अट गए हैं। मरी हुई मछलियों से उठने वाली सडांध के कारण लोगों का गांव में रहना दूभर हो गया है। भारी सख्या में मछलियों के मरने के कारण तालाब का पानी भी दूषित हो गया है। जिससे ग्रामीणों के समक्ष पशुओं के पीने के पानी की समस्या खड़ी हो गई है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले पंद्रह दिन से लगातार तालाब में मछलियां मर रही हैं। मरी हुई मछलियां हवा के चलते किनारों पर जमा हो गई हैं। तालाब का पानी भी बदबूदार हो गया है। तालाब की सफाई कराने की मांग अधिकारियों से की गई थी। लेकिन आजतक इस समस्या पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ग्रामीणों ने मांग की कि तालाब की सफाई करवाई जाए और उसमें स्वच्छ पानी भरवाया जाए।

कालाबाजारी के मामले में डिपो होल्डर के खिलाफ मामला दर्ज

जींद(हरियाणा) : सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आए केरोसिन की कालाबाजारी करने के मामले में पुलिस ने एक डिपो होल्डर के खिलाफ आवश्यक खाद्य वस्तु अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने उसकें पास से एक सौ पिचासी लीटर केरोसिन तेल बरामद किया है। पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है। जानकारी के अनुसार पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि सींसर गांव में राशन डिपो चलाने वाला बलबीर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आए केञ्रोसिन को लोगों में वितरित करने की बजाए लैक में बेचने के लिए गांव हथो जा रहा है। सूचना के आधार पर पुलिस ने गांव हथो में छापा मारा। पुलिस पार्टी को देख बलबीर केरोसिन ड्रम को छोड़कर फरार हो गया। पुलिस द्वारा ड्रम से एक सौ पिचासी लीटर केरोसिन तेल बरामद किया गया। पुलिस ने बलबीर के खिलाफ आवश्यक खाद्य वस्तु अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है।

कपास में स्लेटी भुंड

स्लेटी भुंड जिला जींद में कपास का नामलेवा सा हानिकारक कीट है। लेकिन "घनी सयानी दो बर पोया करै" अख़बारों में पढ़ कर अपनी फसल में कीडों का अंदाजा लगाने वाले किसानों की इस जिला में भी कोई कमी नहीं है। कागजी व हाटिय ज्ञान से लैस किसान इस स्लेटी भुंड को ही सफ़ेद मक्खी समझ कर धड़ाधड़ अपनी फसल में स्प्रे करते हुए आमतौर पर मिल जायेगें। इसमे खोट किसानों का भी नहीं है। एक तो घरेलु मक्खी व इस भुंड का साइज बराबर हो सै। दूसरी रही रंग की बात। स्लेटी अर् सफ़ेद रंग में फर्क करना म्हारे हरियाणा के माणसां के बस की बात कोन्या। लील देकर पहना हुआ सफ़ेद कुर्ता भी दो दिन में माट्टी अर् पसीने के मेल से स्लेटी ही बन जाता है। इसीलिए तो रंगों व कीटों की पहचान का कार्य यहाँ के किसानों को बुनियाद से ही सिखने की आवश्यकता है। यह स्लेटी भुंड कपास की फसल के अलावा बाजरा, ज्वार व अरहर की फसल में भी नुकशान करते हुए पाया जाता है। इस कीट का प्रौढ़ पौधों के जमीं से ऊपरले व गर्ब जमीं के निचले हिस्सों पर नुक्शान करता है। इस कीट की दोनों अवस्थाए पौधों की विभिन्न हिस्सों को कुतरकर व चबाकर खाती हैं। इस कीट का प्रौढ़ पत्तों या फूलों की पंखुडियों के किनारे नोच कर खाता है। यह पुंकेसर भी खा जाता है जबकि इसका गर्ब पौधों की जडें खाता है।खानदानी परिचय:स्लेटी भुंड को द्विपदी प्रणाली मुताबिक कीट विज्ञानी माइलोसेर्स प्रजाति का भुंड कहते है इसके कुल का नाम कुर्कुलिओनिडि होता है। इस कीट की मादाएं पौण महीने की अवधि में लगभग साढे तीन सौ अंडे जमीन के अंदर देती हैं। इन अण्डों का रंग क्रीमी होता है जो बाद में मटियाला हो जाता है। अंडो का आकार एक मिलीमीटर से कम ही होता है। तीन-चार दिन की अवधि में अंड-विस्फोटन हो जाता है। इस कीट के शिशु जिन्हें विज्ञानी गर्ब कहते हैं, जमीन के अंदर रहते हुए ही पौधों की जड़े खाकर गुजारा करते हैं। मौसम के मिजाज व भोजन की उपलब्धता अनुसार इनकी यह शिशु अवस्था 40 -45 दिन की होती है।पैरविहिन इन शिशुओं के शरीर का रंग सफ़ेद व सिर का रंग भूरा होता है। इनके शरीर की लम्बाई लगभग आठ मिलीमीटर होती है। स्लेटी भुंड का प्यूपल जीवन सात-आठ दिन का होता है। प्युपेसन भी जमीं के अंदर ही होती है। इसका प्रौढिय जीवन गर्मी के मौसम में दस- ग्यारह दिन का तथा सर्दी के मौसम में चार-पांच महीने का होता है। सर्दी के मौसम में यह कीट अडगें में छुपा बैठा रहता है।