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10.9.09

....क्यों देर हुई साजन...


क्यों देर हुई साजन तेरे यहाँ आने में?

क्या क्या न सहा हमने अपने को मनानेमें।

तुने तो हमें ज़ालिम क्या से क्या बना डाला?

अब कैसे यकीँ कर लें, हम तेरे बहाने में।

उम्मीदों के दीपक को हमने जो जलाया था।

तुने ये पहल कर दी, क्यों उसको बुज़ाने में।

बाज़ारों में बिकते है, हर मोल नये रिश्ते।

कुछ वक्त लगा हमको, ये दिल को बताने में।

थोडी सी वफ़ादारी गर हमको जो मिल जाती,

क्या कुछ भी नहिं बाक़ी अब तेरे ख़ज़ाने में।

अय ‘राज़’ उसे छोडो क्यों उसकी फ़िकर इतनी।

अब ख़ैर यहीं करलो, तुम उसको भुलाने में।

9.9.09

लोकतंत्र - जनता के ऊपर शासन और जनता के पैसों पर सुखासन करने का नाम है !

लोकतंत्र जनता का , जनता के लिए और जनता द्वारा शाशित शाशन कहलाता है । क्या आज के बदलते दौर के साथ इसके मायने नही बदल गया हैं , और इसे नए सिरे से परिभाषित किए जाने की जरूरत नही है । तो क्या आज की जननायक के चाल चलन और चरित्र को देखकर नही लगता है । वो पाँच सितारा होटलों का रहन सहन , वो भरी भरकम सुरक्षा का ताम झाम , वो बड़े बड़े बुतों और स्मारकों का जंगल क्या ये सब काफी नही आज के लोकतंत्र की परिभाषा बदलने के लिए ।
जन्हा जनता का शासन कहकर लोकतंत्र की दुहाई दी जाती है उसी के नाम पर मंत्री जी आलिशान पाँच सितारा होटल मैं लाख रुपयों प्रतिदिन किराए के खर्च पर ना जाने कौन सी विदेश नीति बना रहे हैं और पड़ोसी देश देश की सीमाओं को लांघकर कुत्षित कारनामे को अंजाम दे रहें है । चुनाव के समय जो जनता भगवान् होती है उसी से डर कर करोड़ों रुपयों वाली भरी भरकम ताम झाम वाली सुरक्षा का लबादा ओढ़कर विशिष्ट होने का स्वांग रच रहे हैं और दूसरी और जनता आतंकवाद , नक्सल वाद , तोड़फोड़ और आगजनी के भय और असुरक्षा के साए मैं जीने को मजबूर है । एक और तो करोड़ों रुपयों खर्च करके बड़ी बड़ी मूर्तियों और बुत बनाए जा रहे हैं वन्ही जनता रोटी , बिजली , स्वास्थय , शिक्षा और सुरक्षा के आभाव मैं बुत बनी जा रही है । मंच पर से नेता जी और मंत्रीजी द्वारा बड़े बड़े वादे , आश्वाशन और घोषणाएं हो रही है वन्ही दूसरी और नकली नोटों से चरमराती अर्थव्यवस्था , भ्रष्टाचार और अव्यवस्था इनकी पोल खोल खोलकर सरकार और प्रशासन को मुंह चिढा रही है । एक और जन्हा मंत्री और नेताओ द्वारा पाँच सितारा होटलों मैं दावतें और पार्टियाँ उडाई जा रही है वन्ही देश के लोगों की कमर तोड़ मंहगाई , कालाबाजारी और जमा खोरी जनता के चेहरे की रंगत और हवाइयां उड़ा रही है । जनता किम कर्तव्य विमूढ़ होकर अपने खून पसीने कमाई से भरे गए सरकारी खजाने को इस तरह से लुटते देख रही है और लोकतंत्र के नाम पर मातृ वोट का झुनझुना पाकर शासन करने और शाशित होने की भ्रम मैं जी रही है ।
तो क्या लोकतंत्र को कुछ इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है की लोकतंत्र जननेता और जनसेवकों का जनता के ऊपर शासन करने और जनता के पैसों पर सुखासन करने का नाम है ।

अश्लीलता परोसते साईबर कैफेज़

जींद (हरियाणा) : यदि आप अश्लील फिल्में देखने के शौकीन है और समाज तथा कानून की नजरों से बचे रहना चाहते है तो घबराइए मत साइबर कैफे पहुंचिए और मनचाही अश्लील साइट खोलकर बैठ जाइए। यहां आप दरवाजे लगे केबिन में पैक होकर इत्मीनान से अश्लील चित्रों और फिल्मों का लुत्फ उठा सकते है। 
हैरानी की बात यह है कि पुलिस और प्रशासन का ध्यान अभी तक इस ओर नहीं गया है। इन साइटस् का सबसे ज्यादा आनंद लेने वाला युवा वर्ग ही है। कैफे मालिक इस धंधे के जरिए अच्छी खासी कमाई कर रहे है। वैसे तो इंटरनेट के माध्यम से दुनिया की कोई भी जानकारी हासिल की जा सकती है, किंतु शहर में खुले कुछ साइबर कैफेज़ की हालत देखकर लगता है कि यह केवल अश्लीलता परोसने का केंद्र बनकर रह गए है। पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के चलते शहर का युवा बहुत तेजी से अश्लीलता के इस जाल में फंसता जा रहा है। कुछ साइबर कैफे संचालकों का कहना है कि इसके बिना उनका धंधा भी नहीं चलता। शहर में इस समय एक दर्जन से अधिक साइबर कैफे मौजूद है तथा इनमें से अधिकतर में केबिन सुविधा उपलब्ध है। कैफे मालिकों का तर्क है कि केबिन से प्राइवेसी बनी रहती है तथा लोग बिना किसी बाधा के अपने मतलब की जानकारियां हासिल करते है। उधर इंटरनेट पर अंगुलियां चलाने वाले युवाओं का कहना है कि जानकारिया लेने का कार्यक्रम तो केवल कुछ समय ही चलता है. इसके बाद तो पोर्न साइटे ही खोली जाती है। 
इतना ही नहीं कई युवा तो अपने मित्रों के साथ यहां पहुंचते है और केबिन का दरवाजा बंद होते ही इंटरनेट पर फिल्म देखने का सिलसिला शुरू हो जाता है। बात यहीं खत्म नहीं हो जाती कुछ साइबर कैफे, जहां सीडी देखने की सुविधा उपलब्ध है, वहां युवा बाजार से खरीदी गई सीडी ले जाते है और अश्लील फिल्में देखते है। एक साइबर कैफे में पहुंचे कालेज के छात्र का कहना है कि उन्हे यहां आते करीब एक वर्ष हो चुका है और अब तो इसकी आदत सी पड़ गई है। उन्होंने बेहिचक बताया कि वह कभी-कभी अश्लील साइट्स भी खोलता है। वहीं एक अन्य का कहना है कि उन्होंने तो अश्लील चित्र एकत्रित करने के लिए अपना एक अलग फोल्डर तैयार कर रखा है, जिसे केवल वही खोल सकता है। प्रशासन कब कसेगा अश्लीलता परोसते इस धंधे पर लगाम   ?

पुलिस व पब्लिक के बीच कहासुनी, गाड़ी की हवा सुर्र

जींद (हरियाणा) : गाँव हाड़वा में लड़की के साथ हुई छेड़छाड़ के मामले को लेकर पंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें पहुंचे थाना प्रभारी व ग्रामीणों के बीच जमकर कहासुनी हुई। इसी बीच ग्रामीणों ने थाना प्रभारी की गाड़ी की हवा निकाल दी। मौके पर पहुंचे डीएसपी सभा चंद के आश्वासन के बाद गुस्साए ग्रामीण शांत हुए। 
जानकारी के अनुसार हाड़वा गांव की एक लड़की गांगोली गांव में पढ़ने के लिए जा रही थी। रास्ते में कुछ लड़कों ने स्कूल जा रही छात्रा के साथ छेड़छाड़ की। आरोपी लड़कों के खिलाफ कार्रवाही को लेकर गांव हाड़वा में पंचायत का आयोजन किया गया। पंचायत में पिल्लूखेड़ा थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। पुलिस द्वारा आरोपी लड़कों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किये जाने पर ग्रामीणों में रोष फैल गया। गुस्साए ग्रामीणों की पुलिस के साथ कहासुनी भी हुई। इसी बीच ग्रामीणों ने थाना प्रभारी की गाड़ी की हवा निकाल दी। गांव में फैल रहे तनाव की सूचना मिलते ही डीएसपी व अन्य पुलिस अधिकारी भी गांव में पहुंचे। डीएसपी के उचित कार्रवाही के आश्वासन के बाद गुस्साएं ग्रामीण शांत हुए।

मैं तेरे साथ - साथ हूँ।।


देखो तो एक सवाल हूँ
समझो तो , मैं ही जवाब हूँ ।।

उलझी हुई,इस ज़िन्दगी में।
सुलझा हुआ-सा तार हूँ।।

बैठे है दूर तुमसे , गम करो
मैं ही तो बस, तेरे पास हूँ।।

जज्वात के समन्दर में दुबे है।
पर मैं ही , उगता हुआ आफ़ताब हूँ

रोशनी से भर गया सारा समा
पर मैं तो, खुद ही में जलता हुआ चिराग हूँ ।।

जैसे भी ज़िन्दगी है, दुश्मन तो नही है।
तन्हा-सी हूँ मगर, मैं इसकी सच्ची यार हूँ।।

जलते हुए जज्वात , आंखो से बुझेंगे
बुझ कर भी बुझी, मैं ऐसी आग हूँ।।

कैसे तुम्हे बता दें , तू ज़िन्दगी है मेरी
अच्छी या बुरी जैसे भी, मैं घर की लाज हूँ ।।

कुछ रंग तो दिखाएगी , जो चल रहा है अब।
खामोशी के लबो पर छिड़ा , में वक्त का मीठा राग हूँ।।

कलकल-सी वह चली, पर्वत को तोड़ कर
मैं कैसे भूल जाऊ, मैं बस तेरा प्यार हूँ।।

भुजंग जैसे लिपटे है , चंदन के पेड़ पर
मजबूरियों में लिपटा हुआ , तेरा ख्बाव हूँ।।

चुप हूँ मगर , में कोई पत्थर तो नही हूँ।
जो तुम कह सके, मैं वो ही बात हूँ

बस भी कर, के तू मुझको याद
वह सकेगा जो, में ऐसा आव हूँ।।

मेहदी बारातै सिन्दूर चाहिए
मान लिया हमने जब तुम ने कह दिया , मैं तेरा सुहाग हूँ।।

खुद को समझना, कभी तन्हा और अकेला।
ज़िन्दगी के हर कदम पर , मैं तेरे साथ - साथ हूँ।।

मोहब्बत की सजा मौत, जालिम बना ज़माना

रोहतक( हरियाणा ) : एक बार फिर हरियाणा के एक गांव में मोहब्बत का कत्ल हुआ है। झूठी शान के चक्कर में रोहतक के एक गांव में भाई और मामा ने मिलकर एक युवति को प्यार की सज़ा मौत के रूप में दे दी है। मोहब्बत और रिश्तों का गला घोंटने वालों की करतूत कानून से छिपी नहीं रही और अब गुनहगार हवालात की हवा खा रहे हैं।
12वीं कक्षा में पढ़ने वाली 19 साल की छात्रा गुड्डी को प्यार करने की सजा मिली है। हरियाणा के रोहतक जिले के करौंथा गांव में गुड्डी की मौत का राज़ अब किसी से नहीं छिपा है। पुलिस का दावा है कि उसके सगे भाई और मामा ही गुड्डी का कातिल है।
दरअसल गुड्डी ने प्यार करने का गुनाह किया था। पुलिस ने हत्या की खबर मिलने के बाद इससे जुड़े तमाम सुराग जमा कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। गुड्डी भिवानी के पास के तालू गांव की रहने वाली थी। वह गांव के पास के ही एक लड़के से प्यार करती थी।
घरवालों के विरोध के डर से बीते 13 मई को वो उस लड़के साथ गांव छोड़कर चली गई थी। इसके बाद वही हुआ जिसका डर था। पकड़े जाने के बाद गुड्डी के घरवालों ने पहरेदारी शुरू कर दी और ननिहाल करौंथा गांव भेज दिया। इस दौरान गुड्डी के प्रेम को इज्जत के खिलाफ मानने वाले घर वालों ने एक खतरनाक साजिश रच डाली। गुड्डी के भाई प्रवीण ने अपने दो चचेरे भाई सतीश, संजय और मामा रणधीर सिंह के साथ मिलकर कपड़े से उसका गला घोंट डाला। इसके बाद रात के अंधेरे में ही शव को जला दिया। झूठी इज्जत की खातिर रिश्तों के कत्ल का ये मामला नया नहीं है। खासकर हरियाणा झूठी शान की ऐसी कहानियों से पटा पड़ा है।
आख़िर कब तक यह झूठी शान प्यार करने वालों को लीलती रहेगी ???

8.9.09

महंगाई के खिलाफ किया प्रदर्शन

जींद(हरियाणा) : नरवाना जनसंघर्ष मंच हरियाणा की तहसील इकाई ने बढ़ती हुई महंगाई के खिलाफ नगर में जोरदार प्रदर्शन किया। मंच इकाई प्रधान जोगेन्द्र के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन में नगर व ग्रामीण क्षेत्र के काफी संख्या में कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। रेलवे स्टेशन से शुरू हुए इस प्रदर्शन में कार्यकर्ताओं ने हाथों में पट्टिकाएं एवं बैनर पकड़े हुए थे। मुख्य बाजारों से होकर लघु सचिवालय पहुचे इस प्रदर्शन में कार्यकर्ता नारेबाजी कर रहे थे। लघु सचिवालय में सभा का संचालन जिला सचिव सुरेश ने किया। प्रांतीय प्रधान का० पाल सिंह ने कहा कि कमर तोड़ महंगाई पर केंद्रीय सरकार काबू पाने में नाकाम रही है। प्रातीय सचिव सोमदत्त गौतम ने कहा कि अनियंत्रित महंगाई से निपटने की केंद्रीय सरकार की कोई प्राथमिकता नहीं है। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन उपमंडल अधिकारी को सौंपा। इस ज्ञापन में मांग की गई है कि सरकार खुदरा व्यापार को अपने हाथ में लेकर महंगाई को कम करे। बीपीएल राशन कार्ड धारकों को सस्ती दरों पर दाल,चावल, चीनी, गेहू, तेल घी आदि आवश्यक वस्तुएं मुहैया करवाई जाएं।