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10.9.09

बेटिकट सवारियों ने की रोडवेज फ्लाइंग से हाथापाई

जींद : पिल्लूखेड़ा से जींद आ रही रोडवेज बस की पिंडारा गांव के पास रोडवेज फ्लाइंग द्वारा चेक किए जाने पर बेटिकट यात्रियों द्वारा हाथापाई की गई और गाली-गलोच किया गया। हाथापाई को अंजाम देकर बेटिकट यात्री मौके से फरार हो गए। चेकिंग दस्ते ने इसकी शिकायत रोडवेज महाप्रबंधक से की है। रोडवेज महाप्रबंधक ने इस बस को आगामी एक-दो दिन तक बंद करने के निर्देश दिए हैं। जानकारी के अनुसार पिल्लूखेड़ा से वाया खरक, आसन, बराह कलां, खुर्द होते हुए जींद के लिए रोडवेज बस नंबर-एचआर-56-1612 आ रही थी। जैसे ही बस पिंडारा गांव के नजदीक पहुंची तो फ्लाइंग को देखकर चालक रणबीर ने बस को रोक दिया। बस रुकने पर फ्लाइंग दस्ता नंबर-दो बस में चला गया और यात्रियों की टिकट चेक करने लगा। बस में लगभग डेढ़ दर्जन युवक बेटिकट यात्रा कर रहे थे। जैसे ही फ्लाइंग दस्ते ने टिकट की मांग की तो वह टिकट दिखाने की बजाय फ्लाइंग दस्ते से उलझ गए। बेटिकट यात्रियों ने फ्लाइंग के साथ गाली-गलोच करते हुए हाथापाई की। बेटिकट यात्रियों ने निरीक्षक रामकिशन तथा कंडक्टर विजय के साथ बदतमीजी की। लगभग 15-20 मिनट तक यह नजारा जारी रहा। घटना को अंजाम देकर उक्त बेटिकट यात्री मौके से फरार हो गए। इसके बाद चालक बस को बस स्टैंड पर ले आया और इसकी शिकायत रोडवेज महाप्रबंधक से की। रोडवेज महाप्रबंधक एमएस खर्ब ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इस बारे में जब रोडवेज महाप्रबंधक एमएस खर्ब से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि फ्लाइंग दस्ते द्वारा शिकायत की गई है। इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि आगामी दो दिनों के लिए उक्त बस को बंद कर दिया गया है तथा उक्त रूट पर दोनों फ्लाइंग दस्ते तथा अन्य कर्मचारियों को चेकिंग के लिए लगाया जाएगा और चेकिंग की जाएगी। बेटिकट यात्रा करने वालों तथा बदतमीजी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने बताया कि यह स्कूली छात्र नहीं बल्कि शरारती तत्व है, जो जान-बूझकर बेटिकट यात्रा करते है और रोब झाड़ते है।

बेरहम पति ने पत्नी से कहा- बीमार बच्चे को फेंक दो

गुड़गांव: पति के संबंध खराब होते देख अन्नू ने अपने बच्चे को उसका हक़ दिलवाना चाहा। लेकिन जब परमीत के परिवार ने बच्चे को नहीं अपनाया तो फिर उसके पास एक ही रास्ता बचता था। अन्नू ने परमीत का घर छोड़ दिया।
घर छोड़ने के बाद उसने कानून का सहारा लेने का मन बनाया। और फिर गुडगांव के सेक्टर 56 के पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया। लेकिन पुलिस का इस मामले पर बिल्कुल अलग रवैया है। पुलिस इसे एक मामूली मामला मान रही है।
दरअसल अन्नू का एक बेटा लगभग चार साल का है और दूसरा जो गोद में है वो लगभग सवा दो महीने का है। बस इसी बच्चे के जन्म के बाद अन्नू की जिंदगी में एकदम से भूचाल आ गया। बच्चे के पैदा होने के बाद डॉक्टरों ने बताया कि इसका फेफड़ा खराब है। डॉक्टरों ने ये भी बताया कि इसके इलाज में तकरीबन तीन लाख रुपए लगेंगे। इससे पहले तक सब कुछ ठीक था।
लेकिन यहीं से अन्नू के पति परमीत सिन्हा का रवैया बदल गया। परमीत निजी कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट है और उसकी तनख्वाह लाखों में है। लेकिन परमीत को अपने बेटे के इलाज के लिए तीन लाख रुपए देना भारी पड़ गया। ऊपर से पत्नी अन्नू को मारना पीटना शुरू कर दिया। और आरोप लगाया कि उसी में कोई दिक्कत है जिसकी वजह से उसका बेटा बीमार पैदा हुआ है।
इसके बाद अन्नू के पति परमीत ने ये भी कहना शुरू कर दिया कि इलाज के पैसे अपने मायके से लेकर आए। अन्नू के पति ने उसे यहां तक कहा कि वो इस बीमार बच्चे को सड़क पर लावारिस फेंक दे। लेकिन जब अन्नू ने ये सब करने से मना कर दिया तो फिर उसने अन्नू और उसके मायके के लोगों को मानसिक रूप से सताना शुरू कर दिया। आखिरकार अन्नू इतनी टूट गई कि उसे अपना घर छोड़ना पड़ा। अन्नू के पास कानून का सहारा लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था। आखिरकार अन्नू ने पुलिस में मामला दर्ज कराया। वहीं पुलिस का कहना है कि शिकायत में बच्चे का जिक्र नहीं किया गया है। शिकायत में अन्नू ने इसे सिर्फ दहेज़ उत्पीड़न का मामला बताया है। अन्नू के घर वालों को अब कोर्ट से इंसाफ की उम्मीद है। अन्नू के घर वालों का आरोप है कि परमीत मौके की तलाश में था और मौका मिलते ही उसने अपना काम कर दिया।

....क्यों देर हुई साजन...


क्यों देर हुई साजन तेरे यहाँ आने में?

क्या क्या न सहा हमने अपने को मनानेमें।

तुने तो हमें ज़ालिम क्या से क्या बना डाला?

अब कैसे यकीँ कर लें, हम तेरे बहाने में।

उम्मीदों के दीपक को हमने जो जलाया था।

तुने ये पहल कर दी, क्यों उसको बुज़ाने में।

बाज़ारों में बिकते है, हर मोल नये रिश्ते।

कुछ वक्त लगा हमको, ये दिल को बताने में।

थोडी सी वफ़ादारी गर हमको जो मिल जाती,

क्या कुछ भी नहिं बाक़ी अब तेरे ख़ज़ाने में।

अय ‘राज़’ उसे छोडो क्यों उसकी फ़िकर इतनी।

अब ख़ैर यहीं करलो, तुम उसको भुलाने में।

9.9.09

लोकतंत्र - जनता के ऊपर शासन और जनता के पैसों पर सुखासन करने का नाम है !

लोकतंत्र जनता का , जनता के लिए और जनता द्वारा शाशित शाशन कहलाता है । क्या आज के बदलते दौर के साथ इसके मायने नही बदल गया हैं , और इसे नए सिरे से परिभाषित किए जाने की जरूरत नही है । तो क्या आज की जननायक के चाल चलन और चरित्र को देखकर नही लगता है । वो पाँच सितारा होटलों का रहन सहन , वो भरी भरकम सुरक्षा का ताम झाम , वो बड़े बड़े बुतों और स्मारकों का जंगल क्या ये सब काफी नही आज के लोकतंत्र की परिभाषा बदलने के लिए ।
जन्हा जनता का शासन कहकर लोकतंत्र की दुहाई दी जाती है उसी के नाम पर मंत्री जी आलिशान पाँच सितारा होटल मैं लाख रुपयों प्रतिदिन किराए के खर्च पर ना जाने कौन सी विदेश नीति बना रहे हैं और पड़ोसी देश देश की सीमाओं को लांघकर कुत्षित कारनामे को अंजाम दे रहें है । चुनाव के समय जो जनता भगवान् होती है उसी से डर कर करोड़ों रुपयों वाली भरी भरकम ताम झाम वाली सुरक्षा का लबादा ओढ़कर विशिष्ट होने का स्वांग रच रहे हैं और दूसरी और जनता आतंकवाद , नक्सल वाद , तोड़फोड़ और आगजनी के भय और असुरक्षा के साए मैं जीने को मजबूर है । एक और तो करोड़ों रुपयों खर्च करके बड़ी बड़ी मूर्तियों और बुत बनाए जा रहे हैं वन्ही जनता रोटी , बिजली , स्वास्थय , शिक्षा और सुरक्षा के आभाव मैं बुत बनी जा रही है । मंच पर से नेता जी और मंत्रीजी द्वारा बड़े बड़े वादे , आश्वाशन और घोषणाएं हो रही है वन्ही दूसरी और नकली नोटों से चरमराती अर्थव्यवस्था , भ्रष्टाचार और अव्यवस्था इनकी पोल खोल खोलकर सरकार और प्रशासन को मुंह चिढा रही है । एक और जन्हा मंत्री और नेताओ द्वारा पाँच सितारा होटलों मैं दावतें और पार्टियाँ उडाई जा रही है वन्ही देश के लोगों की कमर तोड़ मंहगाई , कालाबाजारी और जमा खोरी जनता के चेहरे की रंगत और हवाइयां उड़ा रही है । जनता किम कर्तव्य विमूढ़ होकर अपने खून पसीने कमाई से भरे गए सरकारी खजाने को इस तरह से लुटते देख रही है और लोकतंत्र के नाम पर मातृ वोट का झुनझुना पाकर शासन करने और शाशित होने की भ्रम मैं जी रही है ।
तो क्या लोकतंत्र को कुछ इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है की लोकतंत्र जननेता और जनसेवकों का जनता के ऊपर शासन करने और जनता के पैसों पर सुखासन करने का नाम है ।

अश्लीलता परोसते साईबर कैफेज़

जींद (हरियाणा) : यदि आप अश्लील फिल्में देखने के शौकीन है और समाज तथा कानून की नजरों से बचे रहना चाहते है तो घबराइए मत साइबर कैफे पहुंचिए और मनचाही अश्लील साइट खोलकर बैठ जाइए। यहां आप दरवाजे लगे केबिन में पैक होकर इत्मीनान से अश्लील चित्रों और फिल्मों का लुत्फ उठा सकते है। 
हैरानी की बात यह है कि पुलिस और प्रशासन का ध्यान अभी तक इस ओर नहीं गया है। इन साइटस् का सबसे ज्यादा आनंद लेने वाला युवा वर्ग ही है। कैफे मालिक इस धंधे के जरिए अच्छी खासी कमाई कर रहे है। वैसे तो इंटरनेट के माध्यम से दुनिया की कोई भी जानकारी हासिल की जा सकती है, किंतु शहर में खुले कुछ साइबर कैफेज़ की हालत देखकर लगता है कि यह केवल अश्लीलता परोसने का केंद्र बनकर रह गए है। पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के चलते शहर का युवा बहुत तेजी से अश्लीलता के इस जाल में फंसता जा रहा है। कुछ साइबर कैफे संचालकों का कहना है कि इसके बिना उनका धंधा भी नहीं चलता। शहर में इस समय एक दर्जन से अधिक साइबर कैफे मौजूद है तथा इनमें से अधिकतर में केबिन सुविधा उपलब्ध है। कैफे मालिकों का तर्क है कि केबिन से प्राइवेसी बनी रहती है तथा लोग बिना किसी बाधा के अपने मतलब की जानकारियां हासिल करते है। उधर इंटरनेट पर अंगुलियां चलाने वाले युवाओं का कहना है कि जानकारिया लेने का कार्यक्रम तो केवल कुछ समय ही चलता है. इसके बाद तो पोर्न साइटे ही खोली जाती है। 
इतना ही नहीं कई युवा तो अपने मित्रों के साथ यहां पहुंचते है और केबिन का दरवाजा बंद होते ही इंटरनेट पर फिल्म देखने का सिलसिला शुरू हो जाता है। बात यहीं खत्म नहीं हो जाती कुछ साइबर कैफे, जहां सीडी देखने की सुविधा उपलब्ध है, वहां युवा बाजार से खरीदी गई सीडी ले जाते है और अश्लील फिल्में देखते है। एक साइबर कैफे में पहुंचे कालेज के छात्र का कहना है कि उन्हे यहां आते करीब एक वर्ष हो चुका है और अब तो इसकी आदत सी पड़ गई है। उन्होंने बेहिचक बताया कि वह कभी-कभी अश्लील साइट्स भी खोलता है। वहीं एक अन्य का कहना है कि उन्होंने तो अश्लील चित्र एकत्रित करने के लिए अपना एक अलग फोल्डर तैयार कर रखा है, जिसे केवल वही खोल सकता है। प्रशासन कब कसेगा अश्लीलता परोसते इस धंधे पर लगाम   ?

पुलिस व पब्लिक के बीच कहासुनी, गाड़ी की हवा सुर्र

जींद (हरियाणा) : गाँव हाड़वा में लड़की के साथ हुई छेड़छाड़ के मामले को लेकर पंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें पहुंचे थाना प्रभारी व ग्रामीणों के बीच जमकर कहासुनी हुई। इसी बीच ग्रामीणों ने थाना प्रभारी की गाड़ी की हवा निकाल दी। मौके पर पहुंचे डीएसपी सभा चंद के आश्वासन के बाद गुस्साए ग्रामीण शांत हुए। 
जानकारी के अनुसार हाड़वा गांव की एक लड़की गांगोली गांव में पढ़ने के लिए जा रही थी। रास्ते में कुछ लड़कों ने स्कूल जा रही छात्रा के साथ छेड़छाड़ की। आरोपी लड़कों के खिलाफ कार्रवाही को लेकर गांव हाड़वा में पंचायत का आयोजन किया गया। पंचायत में पिल्लूखेड़ा थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। पुलिस द्वारा आरोपी लड़कों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किये जाने पर ग्रामीणों में रोष फैल गया। गुस्साए ग्रामीणों की पुलिस के साथ कहासुनी भी हुई। इसी बीच ग्रामीणों ने थाना प्रभारी की गाड़ी की हवा निकाल दी। गांव में फैल रहे तनाव की सूचना मिलते ही डीएसपी व अन्य पुलिस अधिकारी भी गांव में पहुंचे। डीएसपी के उचित कार्रवाही के आश्वासन के बाद गुस्साएं ग्रामीण शांत हुए।

मैं तेरे साथ - साथ हूँ।।


देखो तो एक सवाल हूँ
समझो तो , मैं ही जवाब हूँ ।।

उलझी हुई,इस ज़िन्दगी में।
सुलझा हुआ-सा तार हूँ।।

बैठे है दूर तुमसे , गम करो
मैं ही तो बस, तेरे पास हूँ।।

जज्वात के समन्दर में दुबे है।
पर मैं ही , उगता हुआ आफ़ताब हूँ

रोशनी से भर गया सारा समा
पर मैं तो, खुद ही में जलता हुआ चिराग हूँ ।।

जैसे भी ज़िन्दगी है, दुश्मन तो नही है।
तन्हा-सी हूँ मगर, मैं इसकी सच्ची यार हूँ।।

जलते हुए जज्वात , आंखो से बुझेंगे
बुझ कर भी बुझी, मैं ऐसी आग हूँ।।

कैसे तुम्हे बता दें , तू ज़िन्दगी है मेरी
अच्छी या बुरी जैसे भी, मैं घर की लाज हूँ ।।

कुछ रंग तो दिखाएगी , जो चल रहा है अब।
खामोशी के लबो पर छिड़ा , में वक्त का मीठा राग हूँ।।

कलकल-सी वह चली, पर्वत को तोड़ कर
मैं कैसे भूल जाऊ, मैं बस तेरा प्यार हूँ।।

भुजंग जैसे लिपटे है , चंदन के पेड़ पर
मजबूरियों में लिपटा हुआ , तेरा ख्बाव हूँ।।

चुप हूँ मगर , में कोई पत्थर तो नही हूँ।
जो तुम कह सके, मैं वो ही बात हूँ

बस भी कर, के तू मुझको याद
वह सकेगा जो, में ऐसा आव हूँ।।

मेहदी बारातै सिन्दूर चाहिए
मान लिया हमने जब तुम ने कह दिया , मैं तेरा सुहाग हूँ।।

खुद को समझना, कभी तन्हा और अकेला।
ज़िन्दगी के हर कदम पर , मैं तेरे साथ - साथ हूँ।।