आप अपने क्षेत्र की हलचल को चित्रों और विजुअल समेत नेटप्रेस पर छपवा सकते हैं I सम्पर्क कीजिये सेल नम्बर 0 94165 57786 पर I ई-मेल akbar.khan.rana@gmail.com दि नेटप्रेस डॉट कॉम आपका अपना मंच है, इसे और बेहतर बनाने के लिए Cell.No.09416557786 तथा E-Mail: akbar.khan.rana@gmail.com पर आपके सुझाव, आलेख और काव्य आदि सादर आमंत्रित हैं I

3.9.09

स्टेशन से लावारिस हालत में मिली युवति

जींद (हरियाणा) : रेलवे जंक्शन स्थित पुल के पास देर रात एक युवति लावारिस हालत में मिली। आसपास बैठे यात्रियों ने इसकी सूचना रेलवे पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उससे पूछताछ की।
जानकारी के अनुसार देर रात रेलवे पुलिस को सूचना मिली कि रेलवे जंक्शन पुल के पास एक युवति काफी समय से बैठी हुई है। सूचना मिलने पर रेलवे पुलिस मौके पर पहुंच गई और युवति से पूछताछ की। पूछताछ में उसकी पहचान उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ स्थित भरौती निवासी मंजू के रूप में हुई। उसकी उम्र लगभग 16-17 साल बताई जा रही है। युवति ने बताया कि दिमागी हालत ठीक न होने के कारण उसे नहीं पता कि वह यहां कैसे आ गई। बताया जाता है कि वह गुवाहटी एक्सप्रेस में चढ़कर जींद पहुंची।
युवति को उसके घर पहुंचाने के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी गई है। इस बारे में नवनियुक्त जीआरपी प्रभारी सतपाल सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि युवति को उसके घर छोड़ने के लिए रेलवे पुलिस के कर्मचारियों को भेजा जा रहा है, जिसमें एक महिला कर्मचारी भी शामिल है। वह गलती से यहां आ गई थी।

2.9.09

वह कार किसकी थी?

वह बिना नम्बर प्लेट की कार किसकी थी; वो भी चंडीगढ़ की सड़कों पर सरपट दौडती हुई। चंडीगढ़ वह शहर माना जाता है, जहाँ ट्रेफिक नियमों का बड़ी कड़ाई से पालन होता है। इन सड़कों पर नियमों का उलंघन करने वाले किसी तुर्रम खां को भी बख्शा नही जाता

यह
कार बिना नम्बर प्लेट के ही जालंधर से चंडीगढ़ पहुँची और यहाँ दोपहर बाद तक अपने मालिक को गोद में लेकर सड़कों पर इठलाती रही। यह हमर कार किसी और की नही, बल्कि आपके चहेते और लाखों नौजवानों के आदर्श क्रिकेटर हरभजन सिंह की है, जो मोहाली के पी०सी०ए० स्टेडियम में आयोजित किये जा रहे बी०सी०सी०आई० के कार्पोरेट क्लब के मैच में हिस्सा लेने चंडीगढ़ पहुंचे हुए हैं

परन्तु
तारीफ़ करनी होगी चंडीगढ़ ट्रेफिक पुलिस की, क्योंकि गाड़ी का आनंद लेते हुए दोपहर बाद जब हरभजन सेक्टर-17 स्थित होटल ताज पहुंचे तो ट्रेफिक पुलिस के कर्मचारी भी वहां जा पहुंचे तथा इस अनियमितता हेतु हरभजन सिंह को 3000 रूपये की चालान स्लिप थमा दी

हरभजन
जी, आप जैसी हस्ती ही अगर ऎसी हरकत करेगी तो आपको आदर्श मानने वालों पर क्या असर होगा ?

स्वास्थ्य सुविधाओं से नाराज ग्रामीणों ने जड़ा डिलीवरी हट पर ताला

जींद (हरियाणा) : स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की कार्यप्रणाली से नाराज गागोली गांव के ग्रामीणों ने डिलीवरी हट पर ताला जड़ दिया। दो घंटे तक जडे़ इस ताले के कारण मरीजों खासकर गर्भवती महिलाओं को अच्छी-खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। ताला जड़ने की सूचना मिलते ही डिलीवरी हट के चिकित्सक मौके पर पहुंच गए और समझा-बुझाकर ताला खुलवाया। गागोली गांव स्थित डिलीवरी हट में स्वास्थ्य कर्मियों की कार्यप्रणाली से नाराज सरपंच लालाराम ने ताला जड़ दिया। उनका कहना था कि सोमवार रात को गाव में एक गर्भवती महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया। गर्भवती महिला को लेकर जब डिलीवरी हट पहुंचे तो यहां कोई स्वास्थ्य कर्मी नहीं था। ऐसे में डिलीवरी हट की ट्रेंड दाई ने निजी तौर पर उस बच्ची को जन्म दिलाया। उन्होंने बताया कि डिलीवरी हटों में कोई कर्मचारी होने के कारण गर्भवती महिलाओं को दूर दराज के क्षेत्रों में ले जाना पड़ता है, जिससे महिलाओं की जान को खतरा बना रहता है। इस बारे में जब डिलीवरी हट की एएनएम ऊषा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि डिलीवरी हट पर उनकी ड्यूटी का समय सुबह 9 बजे से लेकर सायं 4 बजे तक का है और यह मामला रात का है। उन्होंने कहा कि इस प्रसव के बारे में उन्हे कोई सूचना नहीं दी गई है। सरपंच द्वारा सुबह की ताला बंदी गलत नाजायज है।

1.9.09

....दर्पण....



जाने कैसा ये बंधन है?

उजला तन और मैला मन है।


एक हाथ से दान वो देता।

दूजे से क्यों जाने लेता।


रहता बन के दोस्त सभी का।

पर ये तो उनका दुश्मन है।


इन्सानो के भेष में रहता।

शैतानों से काम वो करता।


बन के रहता देव सभी का।

पर ना ये दानव से कम है।


चाहे कितने भेष बनाये।

चाहे कितने भेद छुपाये।


राज़ उसके चेहरे में क्या है?

देखो सच कहता दर्पण है।

प्रेमी युगल ने जहर खाकर जान दी

फतेहाबाद (हरियाणा) : गांव बोस्ती में बी।कॉम प्रथम वर्ष में पढने वाले युगल प्रेमी ने रात को अपने गांव के जौहड़ के पास सल्फास की गोलियां खाकर आत्महत्या कर ली। मिली जानकारी मुताबिक गांव बोस्ती निवासी कर्मबीर रंगा की पुत्री रितु व गांव बीराराम के पुत्र जेलदार का प्रेम प्रसंग चल रहा था। इसी के चलते दोनों ने जहर खाकर जान दे दी। गांव बोस्ती के लोग जब प्रातः अपने घरों से बाहर आये तो उन्होंने जौहड़ किनारे वृक्षों के बीच पडे़ दो शवों को देखकर मृतक प्रेमी युगल के परिजनों को सूचना दी। इससे पूर्व दोनों परिवार अपने लड़के और लड़की की तलाश कर रहे थे। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस के बीट ईंचार्ज फौजा सिह, थानाध्यक्ष बिमला देवी गांव बोस्ती पहुंचे और दोनों शवों को कब्जे में लेकर टोहाना के सामान्य अस्पताल में पहुंचाया। हादसे की सूचना मिलने पर एस.पी सीएस राव फतेहाबाद अस्पताल पहुंचे और दोनो परिवारों के बयान दर्ज कर शवों के पोस्टमार्टम करने के आदेश जारी किये। श्री राव ने बताया कि शवों के पास एक सुसाइड नोट मिला है। जिसमें दोनों प्रेमियों के हस्ताक्षर है और लिखा है कि समाज उनकी मित्रता में दीवार की तरह है, इसलिये हम आत्महत्या कर रहे है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच आरम्भ कर दी है। गांव बोस्ती एवं कालेज में इस युगल प्रेमी की मौत के बाद मातम छाया हुआ है।

31.8.09

सरकारी टीम से हाथापाई, पांच नामजद

जींद(हरियाणा):प्लाटों पर कब्जा दिलाने गई सरकारी टीम के साथ हाथापाई करने सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में जिले की सफीदों पुलिस ने स्थानीय खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी की शिकायत पर गांव मुआना के पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी धर्मबीर द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत में कहा गया है कि काफी दिनों से गांव मुआना के किशन, बशीर सहित अनेक लोगों के प्लाटों पर गांव के ही कुछ लोगों द्वारा कब्जा किए जाने की शिकायत की जा रही थी। शिकायत को देखते हुए नायब तहसीलदार लक्ष्मण दास के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया, जिसने गांव में जाकर कब्जाधारियों को जैसे ही कब्जा छोड़ने के निर्देश दिए तभी कब्जाधारियों ने कर्मचारियों के साथ हाथापाई शुरू कर दी। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी द्वारा दी गई शिकायत पर पुलिस ने मुआना गांव के रमेश, रामनिवास पुत्रान कृष्ण, कृष्ण, ओमप्रकाश पुत्रान मोलू अनिल पुत्र देशराज के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

घर का "दीपक"


सुनती हो? अभी तक तुम्हारा लाड़ला घर पहुंचा नहीं है। रसोई से ज़रा बाहर तो आओ! प्रोफ़ेसर अनिल अपनी पत्नी से बोले।

अभी थोडी देर पहले कालेज से आकर बैठक में बैठी राजुल दैनिक पेपर में अपना मुंह लगाकर चुपके से अपने बाबू जी का गुस्सा देख रही थी।

अपने हाथों को रुमाल से पोंछती हुई निर्मला गभराई सी रसोई से बाहर आ गई।

क्या है? चिल्लाते क्यों हो? आ जायेगा। कहकर तो गया है कि दोस्तों के साथ घूमने जा रहा हूं

आज चौथा दिन है। पता नही कहाँ है? एक तो उसने अपना मोबाइल भी बंद कर रखा है। यहाँ सर पर बेटी की शादी की चिंता है । इसे तो हमारी या बहन की कोई चिंता ही कहाँ?

एक मेरी कमाई पे सारा घर चलाना है। बेटी की शादी कोई छोटी-मोटी बात थोडी है? प्रो.अनिल ने कहा

शांत हो जाओ। इस बार उसे ठीक से समझाउंगी। आप परेशान न हो। बी०पी० बढ़ जायेगा। निर्मला वातावरण को नोर्मल बनाने का प्रयास करने लगी।

तभी राजुल की सहेली कल्पना घर में आई। जो दीपक के दोस्त विनय की बहन थी। राजुल ने उस से कहा क्या विनय, दीपक के साथ नहीं गया? सुरेश और पंकज तो दीपक के साथ गये हुए हैं?

क्या बात करती हो! आज ही तो वो दोनों मेरे घर आये थे।कल्पना ने कहा।

सुना!! ये दीपक ही हमारे घर में अँधेरा कर देगा, देखना तुम। प्रो.अनिल ने घबराहट में कहा।

वे सब आज ही आए होंगे। दीपक भी आ जायेगा। चिंता मत करो राजुल बेटी तू ही अब अपने पिताजी को ज़रा समझा"। निर्मला स्वस्थ होने का दिखावा करते हुए बोली।

.....कि एकदम" लडख़डाता हुआ दीपक घर में आया। राजुल डर गई। कहीं पिताजी का हाथ ना उठ जाये भैया पर। वातावरण को गरम देखकर कल्पना ने भी यहाँ से उठ जाना ही ठीक समझा।

दीपक अपने बेडरूम की ओर चला गया। हाथों में वही सूटकेस थी, जो हर बार घूमने जाता तो ले जाया करता।

लो अब तो नशा भी करने लग गया है, तुम्हारा बेटा ! मैं अब उसे फूटी कौड़ी भी नहीं देने वाला। खुद ही

कमाए और खुद ही ख़ाए। मुझे कुछ भी नहीं चाहिए। अपने भारी स्वर में निर्मला को डाँटते हुए प्रोफ़ेसर अनिल बोले।

शाम होने लगी थी। पर अभी तक दीपक अपने कमरे से बाहर नहीं आया था। निर्मला ने राजुल को कुछ इशारा किया। राजुल आहिस्ता से दीपक के कमरे में देखकर आई और अपनी माँ को सोने का संकेत दिया। मां और बेटी दूसरे कमरे की ओर चल दीं।

कनखियों से झाँकते हुए प्रोफ़ेसर अनिल ने माँ बेटी का संकेत देख लिया और अनजान बनकर टी.वी का स्विच ओन कर दिया।

टी वी पर लोकल न्युज़ थी। लाली वाला किडनी अस्पताल में किडनी एजेंट का भंडाफोड़। डॉक्टर और एजेंट गिरफ्तार। निर्दोष लोगों को बहला फ़ुसलाकर उनके गुरदे परदेश में बेच दिया करते थे

एक अन्जान डर ने प्रोफ़ेसर अनिल को हिलाकर रख दिया। सहसा खडे होकर दीपक के कमरे की ओर चल पडे। कमरे में अँधेरा था। डिम लाईट का स्विच ओन किया। बेड के पास रखा काला एयरबेग खोला एक पोलीथीन में सो-सो के करारनोट रख़े हुए थे। साथ में एक लेटर था। लिखा था बाबूजी-माँ ! मैं फ़िलहाल बेकार हुं। कंई जगह इंटरव्यू देता रहा कि नौकरी मिल जाये। पर हरबार निराशा मिली।

मुझे पता है दीदी की शादी है। मैं आपका हाथ कैसे बंटाता? तभी मुझे ये रास्ता मिला....

आपने मुझे जन्म दिया है। मेरा इतना तो फ़र्ज़ है कि मैं आपके कुछ काम आ सकुं। सोरी पिताजी!!!!

प्रोफेसर अनिल बेड का कोना पकडकर लडखडाते हुए खडे हुए। आहिस्ता-आहिस्ता दीपक के करीब पहुंचे। उसका शर्ट उंचा करके डरते हुए देखा पेट पर ड्रेसिंग लगी हुई थी। उन्हें अपना दीपक अंधेरे में ज़गमगाता नज़्रर आने लगा।

उन्हें लगा वो जल्दी बूढे होने चले हैं...............