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2.9.09

स्वास्थ्य सुविधाओं से नाराज ग्रामीणों ने जड़ा डिलीवरी हट पर ताला

जींद (हरियाणा) : स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की कार्यप्रणाली से नाराज गागोली गांव के ग्रामीणों ने डिलीवरी हट पर ताला जड़ दिया। दो घंटे तक जडे़ इस ताले के कारण मरीजों खासकर गर्भवती महिलाओं को अच्छी-खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। ताला जड़ने की सूचना मिलते ही डिलीवरी हट के चिकित्सक मौके पर पहुंच गए और समझा-बुझाकर ताला खुलवाया। गागोली गांव स्थित डिलीवरी हट में स्वास्थ्य कर्मियों की कार्यप्रणाली से नाराज सरपंच लालाराम ने ताला जड़ दिया। उनका कहना था कि सोमवार रात को गाव में एक गर्भवती महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया। गर्भवती महिला को लेकर जब डिलीवरी हट पहुंचे तो यहां कोई स्वास्थ्य कर्मी नहीं था। ऐसे में डिलीवरी हट की ट्रेंड दाई ने निजी तौर पर उस बच्ची को जन्म दिलाया। उन्होंने बताया कि डिलीवरी हटों में कोई कर्मचारी होने के कारण गर्भवती महिलाओं को दूर दराज के क्षेत्रों में ले जाना पड़ता है, जिससे महिलाओं की जान को खतरा बना रहता है। इस बारे में जब डिलीवरी हट की एएनएम ऊषा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि डिलीवरी हट पर उनकी ड्यूटी का समय सुबह 9 बजे से लेकर सायं 4 बजे तक का है और यह मामला रात का है। उन्होंने कहा कि इस प्रसव के बारे में उन्हे कोई सूचना नहीं दी गई है। सरपंच द्वारा सुबह की ताला बंदी गलत नाजायज है।

1.9.09

....दर्पण....



जाने कैसा ये बंधन है?

उजला तन और मैला मन है।


एक हाथ से दान वो देता।

दूजे से क्यों जाने लेता।


रहता बन के दोस्त सभी का।

पर ये तो उनका दुश्मन है।


इन्सानो के भेष में रहता।

शैतानों से काम वो करता।


बन के रहता देव सभी का।

पर ना ये दानव से कम है।


चाहे कितने भेष बनाये।

चाहे कितने भेद छुपाये।


राज़ उसके चेहरे में क्या है?

देखो सच कहता दर्पण है।

प्रेमी युगल ने जहर खाकर जान दी

फतेहाबाद (हरियाणा) : गांव बोस्ती में बी।कॉम प्रथम वर्ष में पढने वाले युगल प्रेमी ने रात को अपने गांव के जौहड़ के पास सल्फास की गोलियां खाकर आत्महत्या कर ली। मिली जानकारी मुताबिक गांव बोस्ती निवासी कर्मबीर रंगा की पुत्री रितु व गांव बीराराम के पुत्र जेलदार का प्रेम प्रसंग चल रहा था। इसी के चलते दोनों ने जहर खाकर जान दे दी। गांव बोस्ती के लोग जब प्रातः अपने घरों से बाहर आये तो उन्होंने जौहड़ किनारे वृक्षों के बीच पडे़ दो शवों को देखकर मृतक प्रेमी युगल के परिजनों को सूचना दी। इससे पूर्व दोनों परिवार अपने लड़के और लड़की की तलाश कर रहे थे। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस के बीट ईंचार्ज फौजा सिह, थानाध्यक्ष बिमला देवी गांव बोस्ती पहुंचे और दोनों शवों को कब्जे में लेकर टोहाना के सामान्य अस्पताल में पहुंचाया। हादसे की सूचना मिलने पर एस.पी सीएस राव फतेहाबाद अस्पताल पहुंचे और दोनो परिवारों के बयान दर्ज कर शवों के पोस्टमार्टम करने के आदेश जारी किये। श्री राव ने बताया कि शवों के पास एक सुसाइड नोट मिला है। जिसमें दोनों प्रेमियों के हस्ताक्षर है और लिखा है कि समाज उनकी मित्रता में दीवार की तरह है, इसलिये हम आत्महत्या कर रहे है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच आरम्भ कर दी है। गांव बोस्ती एवं कालेज में इस युगल प्रेमी की मौत के बाद मातम छाया हुआ है।

31.8.09

सरकारी टीम से हाथापाई, पांच नामजद

जींद(हरियाणा):प्लाटों पर कब्जा दिलाने गई सरकारी टीम के साथ हाथापाई करने सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में जिले की सफीदों पुलिस ने स्थानीय खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी की शिकायत पर गांव मुआना के पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी धर्मबीर द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत में कहा गया है कि काफी दिनों से गांव मुआना के किशन, बशीर सहित अनेक लोगों के प्लाटों पर गांव के ही कुछ लोगों द्वारा कब्जा किए जाने की शिकायत की जा रही थी। शिकायत को देखते हुए नायब तहसीलदार लक्ष्मण दास के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया, जिसने गांव में जाकर कब्जाधारियों को जैसे ही कब्जा छोड़ने के निर्देश दिए तभी कब्जाधारियों ने कर्मचारियों के साथ हाथापाई शुरू कर दी। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी द्वारा दी गई शिकायत पर पुलिस ने मुआना गांव के रमेश, रामनिवास पुत्रान कृष्ण, कृष्ण, ओमप्रकाश पुत्रान मोलू अनिल पुत्र देशराज के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

घर का "दीपक"


सुनती हो? अभी तक तुम्हारा लाड़ला घर पहुंचा नहीं है। रसोई से ज़रा बाहर तो आओ! प्रोफ़ेसर अनिल अपनी पत्नी से बोले।

अभी थोडी देर पहले कालेज से आकर बैठक में बैठी राजुल दैनिक पेपर में अपना मुंह लगाकर चुपके से अपने बाबू जी का गुस्सा देख रही थी।

अपने हाथों को रुमाल से पोंछती हुई निर्मला गभराई सी रसोई से बाहर आ गई।

क्या है? चिल्लाते क्यों हो? आ जायेगा। कहकर तो गया है कि दोस्तों के साथ घूमने जा रहा हूं

आज चौथा दिन है। पता नही कहाँ है? एक तो उसने अपना मोबाइल भी बंद कर रखा है। यहाँ सर पर बेटी की शादी की चिंता है । इसे तो हमारी या बहन की कोई चिंता ही कहाँ?

एक मेरी कमाई पे सारा घर चलाना है। बेटी की शादी कोई छोटी-मोटी बात थोडी है? प्रो.अनिल ने कहा

शांत हो जाओ। इस बार उसे ठीक से समझाउंगी। आप परेशान न हो। बी०पी० बढ़ जायेगा। निर्मला वातावरण को नोर्मल बनाने का प्रयास करने लगी।

तभी राजुल की सहेली कल्पना घर में आई। जो दीपक के दोस्त विनय की बहन थी। राजुल ने उस से कहा क्या विनय, दीपक के साथ नहीं गया? सुरेश और पंकज तो दीपक के साथ गये हुए हैं?

क्या बात करती हो! आज ही तो वो दोनों मेरे घर आये थे।कल्पना ने कहा।

सुना!! ये दीपक ही हमारे घर में अँधेरा कर देगा, देखना तुम। प्रो.अनिल ने घबराहट में कहा।

वे सब आज ही आए होंगे। दीपक भी आ जायेगा। चिंता मत करो राजुल बेटी तू ही अब अपने पिताजी को ज़रा समझा"। निर्मला स्वस्थ होने का दिखावा करते हुए बोली।

.....कि एकदम" लडख़डाता हुआ दीपक घर में आया। राजुल डर गई। कहीं पिताजी का हाथ ना उठ जाये भैया पर। वातावरण को गरम देखकर कल्पना ने भी यहाँ से उठ जाना ही ठीक समझा।

दीपक अपने बेडरूम की ओर चला गया। हाथों में वही सूटकेस थी, जो हर बार घूमने जाता तो ले जाया करता।

लो अब तो नशा भी करने लग गया है, तुम्हारा बेटा ! मैं अब उसे फूटी कौड़ी भी नहीं देने वाला। खुद ही

कमाए और खुद ही ख़ाए। मुझे कुछ भी नहीं चाहिए। अपने भारी स्वर में निर्मला को डाँटते हुए प्रोफ़ेसर अनिल बोले।

शाम होने लगी थी। पर अभी तक दीपक अपने कमरे से बाहर नहीं आया था। निर्मला ने राजुल को कुछ इशारा किया। राजुल आहिस्ता से दीपक के कमरे में देखकर आई और अपनी माँ को सोने का संकेत दिया। मां और बेटी दूसरे कमरे की ओर चल दीं।

कनखियों से झाँकते हुए प्रोफ़ेसर अनिल ने माँ बेटी का संकेत देख लिया और अनजान बनकर टी.वी का स्विच ओन कर दिया।

टी वी पर लोकल न्युज़ थी। लाली वाला किडनी अस्पताल में किडनी एजेंट का भंडाफोड़। डॉक्टर और एजेंट गिरफ्तार। निर्दोष लोगों को बहला फ़ुसलाकर उनके गुरदे परदेश में बेच दिया करते थे

एक अन्जान डर ने प्रोफ़ेसर अनिल को हिलाकर रख दिया। सहसा खडे होकर दीपक के कमरे की ओर चल पडे। कमरे में अँधेरा था। डिम लाईट का स्विच ओन किया। बेड के पास रखा काला एयरबेग खोला एक पोलीथीन में सो-सो के करारनोट रख़े हुए थे। साथ में एक लेटर था। लिखा था बाबूजी-माँ ! मैं फ़िलहाल बेकार हुं। कंई जगह इंटरव्यू देता रहा कि नौकरी मिल जाये। पर हरबार निराशा मिली।

मुझे पता है दीदी की शादी है। मैं आपका हाथ कैसे बंटाता? तभी मुझे ये रास्ता मिला....

आपने मुझे जन्म दिया है। मेरा इतना तो फ़र्ज़ है कि मैं आपके कुछ काम आ सकुं। सोरी पिताजी!!!!

प्रोफेसर अनिल बेड का कोना पकडकर लडखडाते हुए खडे हुए। आहिस्ता-आहिस्ता दीपक के करीब पहुंचे। उसका शर्ट उंचा करके डरते हुए देखा पेट पर ड्रेसिंग लगी हुई थी। उन्हें अपना दीपक अंधेरे में ज़गमगाता नज़्रर आने लगा।

उन्हें लगा वो जल्दी बूढे होने चले हैं...............

युवक-युवति परिचय सम्मलेन एक अनुकरणीय पहल

आज की इस भौतिकवादी और व्यस्त जीवनचर्या में जहाँ आमतौर पर व्यक्ति स्वयं के कार्यों हेतु भी बमुश्किल ही समय निकाल पाता है, वहीँ हमारे समाज में कुछ ऎसी विभूतियाँ और संस्थायें भी मौजूद हैं जो समाज के कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं.ऐसी ही एक संस्था का नाम अखिल भारतीय अग्रवाल समाज है, जिसे कुछ समाज सेवक बड़ी ही मेहनत और लग्न से चला रहे हैं. हाल ही में हरियाणा की ऐतिहासिक एवं पवित्र नगरी जीन्द में इस संस्था ने यहाँ के महाराजा अग्रसेन कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल में उत्तर भारत का सबसे बड़ा अग्रवाल युवक-युवति परिचय सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मलेन में हरियाणा के अतिरिक्त दिल्ली, मुम्बई, बिहार, असम, चंडीगढ़, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड से अग्रवाल समाज की युवा पीढी के करीबन 850 युवक-युवतियों ने खुले मंच पर आकर अपना परिचय दिया तथा अपने जीवन साथी के सम्बन्ध में खुलकर पसंद व्यक्त की. समारोह में मुख्य अतिथि हरियाणा के शिक्षा एवं परिवहन मंत्री श्री मांगेराम गुप्ता रहे जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर समाजसेवी और अग्रवाल नेता चुडिया राम गोयल तथा रामगोपाल अग्रवाल ने शिरकत की. समारोह को संबोधित करते हुए श्री मांगेराम गुप्ता ने कहा कि वास्तव में इस तरह के परिचय सम्मलेन आज के इस आधुनि दौर की ज़रूरत बन गए हैं तथा अग्र बंधुओं हेतु रामबाण बनकर सामने आये हैं. परिचय सम्मेलनों के माध्यम से मा-पिता की बहुत सी मुश्किलें आसान हो गई हैं. इन सम्मेलनों में एक ही मंच पर सैंकडों रिश्ते आसानी से हो जाते हैं. इन कार्यकर्मों ने अग्रवाल समाज को जोड़ने का काम किया है तथा समाज में फैली दहेज़ प्रथा जैसी सामाजिक बुराई पर भी अंकुश लगा है. उन्होंने पुराने समय की बातों का ज़िक्र करते हुए कहा कि पहले इस समाज में बिचोलिये ही रिश्ते करवाते थे लेकिन आज जीवन में भा-दौड़ व समय की कमी के चलते बिचोलिओं की भूमिका कम हो गई है जिसके कारण समाज में नौजवान बच्चों के रिश्ते होने में बड़ी कठिनाईयां आ रही हैं. इस आधुनिक युग में परिचय सम्मेलनों के माध्यम से रिश्ते होना अपने आप में एक नई पहल है. गुप्ता जी ने अग्रवाल समाज की अन्य संस्थाओं से भी आह्वान किया कि वें इस प्रकार के सम्मलेन समय-समय पर आयोजित करें ताकि रिश्ते होने में आने वाली कठिनाइयों से निजात मिल सके. अखिल भारतीय अग्रवाल समाज के प्रदेशाध्यक्ष एवं समारोह के संयोजक राजकुमार गोयल ने आये हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि समाज में रिश्तों से मुतल्लिक आने वाली समस्याओं की दूरगामी सोच के अनुरूप उन्होंने सन 2001 से युवक-युवति परिचय सम्मलेन का सिलसिला शुरू किया था. उसके बाद सन 2005 और अब 2009 में तीसरा सफल सम्मलेन आयोजित हुआ है. उन्होंने परिचय सम्मलेन के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि संस्था सम्मलेन से पूर्व पूरे भारतवर्ष से अग्रवाल युवक-युवतियों के फॉर्म आमंत्रित करती है. उन प्राप्त फोरमों की एक पुस्तिका तैयार की जाती है तथा आवेदकों को पंजीकृत नंबर दिए जाते हैं. सम्मलेन के दिन एक-एक नम्बर को स्टेज पर बुलाकर उनका परिचय करवाया जाता है. अगर एक पक्ष के किसी अभिभावक को कोई लड़का या लड़की पसंद आती है तो वह दूसरे पक्ष के अभिभावक के साथ बैठकर अपने पुत्र या पत्री हेतु रिश्ते की बातचीत कर सकता है. इसके लिए संस्था के द्वारा अलग से बैठने की व्यवस्था की जाती है और इस दौरान समाज के जिम्मेदार बुजुर्ग व्यक्ति बतौर सलाहकार वहां मौजूद होते हैं. इस प्रकार से नौजवान पीढी के रिश्ते तय हो जाते हैं एवं बाद में अपने अनुकूल समयानुसार वें शादी के पवित्र बंधन में बंध जाते हैं. उन्होंने कहा की वह और उनकी टीम भविष्य में भी इस तरह के परिचय सम्मेलनों का आयोजन करती रहेगी.

30.8.09

क्या महिलाओं की नेतृत्व क्षमता - स्थानीय निकायों के चुनाव तक सीमित है !

जिस देश में राष्ट्रपति के पद पर एक महिला आसीन है , सत्ता पर काबिज़ गठबंधन की सर्वोच्च एवं सर्वमान्य नेता एक महिला है , जहाँ आज महिला सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ बराबरी से कंधे से कंधे मिलकर कार्य कर रही है। क्या उस देश की महिलाओं की नेतृत्व क्षमता में अभी भी शक और शुबहा की गुंजाइश बचती है? चाहे केन्द्र सरकार की बात करें या फिर राज्य सरकार की पंचायत और स्थानीय निकायों के चुनाव में ५० फीसदी आरक्षण का लालीपाप देकर महिला समानता और हितों के हिमायती होने दम भरते हैं क्यों नही अभी तक संसद में महिला आरक्षण का बिल पास हो पाया है ; ३३ फीसदी ही क्यों; ५० फीसदी यानि बराबरी के हक़ की बात क्यों नही की जाती है?
जहाँ आधी आबादी महिलाओं की हो, किंतु सत्ता में भागीदारी उनकी आबादी के अनुपात में हो तो कैसे कहेंगे देश की सरकार पूर्णतः लोकतान्त्रिक है? जो देश की आधी आबादी का प्रतिनिधितव करती है, उनकी समान भागीदारीके अभाव में क्या उनके हितों और हकों के अनुरूप नीतियां और योजनायें बन पाती होगी? - अभी तक महिलाआरक्षण का बिल का संसद में पास होना इस बात का द्योतक है। संसद में महिलायें संख्या के मामले में पुरुषोंसे कमजोर पड़ रही है जब महिला आरक्षण बिल का वर्षों से यह हाल है तो महिला के कल्याण और हितों केअनुरूप बनने वाले कानून अथवा योजनाये पूर्वाग्रहों से कितने मुक्त होते होंगे, इस बात अंदाज़ लगाना मुश्किल नहीहोगा आजादी के ६२ वर्षों बाद भी महिलायें अपनी आबादी के अनुपात में संसद में अपनी हिस्सेदारी नही बनापायी
यदि सरकार और संसद वास्तव में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु कृत संकल्प है तो उसे कुछऐसे कदम उठाने चाहिए जैसे हो सके तो महिलाओं को पंचायत से लेकर संसद तक के चुनाव में प्रत्याशी के रूपमें खड़े होने हेतु प्रेरित करने के उद्देश्य से नामांकन फार्म भरने से लेकर चुनाव लड़ने तक का आर्थिक खर्च का वहन सरकार द्वारा किया जाना चाहिए दूसरा यह कि सत्ता खिसकने एवं संसदीय सीट छिन जाने के डर से कोई कोई अड़ंगा लगाकर महिला बिल को पास होने से रोका जाता है अतः इसे अब नेताओं के हाथ से निकालकर सीधेजनता के बीच ले जाकर जनता द्वारा वोटिंग के माध्यम से इस पर फ़ैसला कराया जाना चाहिए फ़िर देखें कैसे पास होगा महिला आरक्षण का बिल क्योंकि आधी आबादी और उससे अधिक का समर्थन मिलना तो निश्चित हीहै

आशा है कि इस तरह के गंभीर प्रयास यदि किए जायेंगे तो महिलाओं की सभी क्षेत्रों में उनकी आबादी के हिसाब सेसमान भागीदारी और हिस्सेदारी निश्चित रूप से सुनिश्चित हो पाएगी