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31.8.09

घर का "दीपक"


सुनती हो? अभी तक तुम्हारा लाड़ला घर पहुंचा नहीं है। रसोई से ज़रा बाहर तो आओ! प्रोफ़ेसर अनिल अपनी पत्नी से बोले।

अभी थोडी देर पहले कालेज से आकर बैठक में बैठी राजुल दैनिक पेपर में अपना मुंह लगाकर चुपके से अपने बाबू जी का गुस्सा देख रही थी।

अपने हाथों को रुमाल से पोंछती हुई निर्मला गभराई सी रसोई से बाहर आ गई।

क्या है? चिल्लाते क्यों हो? आ जायेगा। कहकर तो गया है कि दोस्तों के साथ घूमने जा रहा हूं

आज चौथा दिन है। पता नही कहाँ है? एक तो उसने अपना मोबाइल भी बंद कर रखा है। यहाँ सर पर बेटी की शादी की चिंता है । इसे तो हमारी या बहन की कोई चिंता ही कहाँ?

एक मेरी कमाई पे सारा घर चलाना है। बेटी की शादी कोई छोटी-मोटी बात थोडी है? प्रो.अनिल ने कहा

शांत हो जाओ। इस बार उसे ठीक से समझाउंगी। आप परेशान न हो। बी०पी० बढ़ जायेगा। निर्मला वातावरण को नोर्मल बनाने का प्रयास करने लगी।

तभी राजुल की सहेली कल्पना घर में आई। जो दीपक के दोस्त विनय की बहन थी। राजुल ने उस से कहा क्या विनय, दीपक के साथ नहीं गया? सुरेश और पंकज तो दीपक के साथ गये हुए हैं?

क्या बात करती हो! आज ही तो वो दोनों मेरे घर आये थे।कल्पना ने कहा।

सुना!! ये दीपक ही हमारे घर में अँधेरा कर देगा, देखना तुम। प्रो.अनिल ने घबराहट में कहा।

वे सब आज ही आए होंगे। दीपक भी आ जायेगा। चिंता मत करो राजुल बेटी तू ही अब अपने पिताजी को ज़रा समझा"। निर्मला स्वस्थ होने का दिखावा करते हुए बोली।

.....कि एकदम" लडख़डाता हुआ दीपक घर में आया। राजुल डर गई। कहीं पिताजी का हाथ ना उठ जाये भैया पर। वातावरण को गरम देखकर कल्पना ने भी यहाँ से उठ जाना ही ठीक समझा।

दीपक अपने बेडरूम की ओर चला गया। हाथों में वही सूटकेस थी, जो हर बार घूमने जाता तो ले जाया करता।

लो अब तो नशा भी करने लग गया है, तुम्हारा बेटा ! मैं अब उसे फूटी कौड़ी भी नहीं देने वाला। खुद ही

कमाए और खुद ही ख़ाए। मुझे कुछ भी नहीं चाहिए। अपने भारी स्वर में निर्मला को डाँटते हुए प्रोफ़ेसर अनिल बोले।

शाम होने लगी थी। पर अभी तक दीपक अपने कमरे से बाहर नहीं आया था। निर्मला ने राजुल को कुछ इशारा किया। राजुल आहिस्ता से दीपक के कमरे में देखकर आई और अपनी माँ को सोने का संकेत दिया। मां और बेटी दूसरे कमरे की ओर चल दीं।

कनखियों से झाँकते हुए प्रोफ़ेसर अनिल ने माँ बेटी का संकेत देख लिया और अनजान बनकर टी.वी का स्विच ओन कर दिया।

टी वी पर लोकल न्युज़ थी। लाली वाला किडनी अस्पताल में किडनी एजेंट का भंडाफोड़। डॉक्टर और एजेंट गिरफ्तार। निर्दोष लोगों को बहला फ़ुसलाकर उनके गुरदे परदेश में बेच दिया करते थे

एक अन्जान डर ने प्रोफ़ेसर अनिल को हिलाकर रख दिया। सहसा खडे होकर दीपक के कमरे की ओर चल पडे। कमरे में अँधेरा था। डिम लाईट का स्विच ओन किया। बेड के पास रखा काला एयरबेग खोला एक पोलीथीन में सो-सो के करारनोट रख़े हुए थे। साथ में एक लेटर था। लिखा था बाबूजी-माँ ! मैं फ़िलहाल बेकार हुं। कंई जगह इंटरव्यू देता रहा कि नौकरी मिल जाये। पर हरबार निराशा मिली।

मुझे पता है दीदी की शादी है। मैं आपका हाथ कैसे बंटाता? तभी मुझे ये रास्ता मिला....

आपने मुझे जन्म दिया है। मेरा इतना तो फ़र्ज़ है कि मैं आपके कुछ काम आ सकुं। सोरी पिताजी!!!!

प्रोफेसर अनिल बेड का कोना पकडकर लडखडाते हुए खडे हुए। आहिस्ता-आहिस्ता दीपक के करीब पहुंचे। उसका शर्ट उंचा करके डरते हुए देखा पेट पर ड्रेसिंग लगी हुई थी। उन्हें अपना दीपक अंधेरे में ज़गमगाता नज़्रर आने लगा।

उन्हें लगा वो जल्दी बूढे होने चले हैं...............

युवक-युवति परिचय सम्मलेन एक अनुकरणीय पहल

आज की इस भौतिकवादी और व्यस्त जीवनचर्या में जहाँ आमतौर पर व्यक्ति स्वयं के कार्यों हेतु भी बमुश्किल ही समय निकाल पाता है, वहीँ हमारे समाज में कुछ ऎसी विभूतियाँ और संस्थायें भी मौजूद हैं जो समाज के कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं.ऐसी ही एक संस्था का नाम अखिल भारतीय अग्रवाल समाज है, जिसे कुछ समाज सेवक बड़ी ही मेहनत और लग्न से चला रहे हैं. हाल ही में हरियाणा की ऐतिहासिक एवं पवित्र नगरी जीन्द में इस संस्था ने यहाँ के महाराजा अग्रसेन कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल में उत्तर भारत का सबसे बड़ा अग्रवाल युवक-युवति परिचय सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मलेन में हरियाणा के अतिरिक्त दिल्ली, मुम्बई, बिहार, असम, चंडीगढ़, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड से अग्रवाल समाज की युवा पीढी के करीबन 850 युवक-युवतियों ने खुले मंच पर आकर अपना परिचय दिया तथा अपने जीवन साथी के सम्बन्ध में खुलकर पसंद व्यक्त की. समारोह में मुख्य अतिथि हरियाणा के शिक्षा एवं परिवहन मंत्री श्री मांगेराम गुप्ता रहे जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर समाजसेवी और अग्रवाल नेता चुडिया राम गोयल तथा रामगोपाल अग्रवाल ने शिरकत की. समारोह को संबोधित करते हुए श्री मांगेराम गुप्ता ने कहा कि वास्तव में इस तरह के परिचय सम्मलेन आज के इस आधुनि दौर की ज़रूरत बन गए हैं तथा अग्र बंधुओं हेतु रामबाण बनकर सामने आये हैं. परिचय सम्मेलनों के माध्यम से मा-पिता की बहुत सी मुश्किलें आसान हो गई हैं. इन सम्मेलनों में एक ही मंच पर सैंकडों रिश्ते आसानी से हो जाते हैं. इन कार्यकर्मों ने अग्रवाल समाज को जोड़ने का काम किया है तथा समाज में फैली दहेज़ प्रथा जैसी सामाजिक बुराई पर भी अंकुश लगा है. उन्होंने पुराने समय की बातों का ज़िक्र करते हुए कहा कि पहले इस समाज में बिचोलिये ही रिश्ते करवाते थे लेकिन आज जीवन में भा-दौड़ व समय की कमी के चलते बिचोलिओं की भूमिका कम हो गई है जिसके कारण समाज में नौजवान बच्चों के रिश्ते होने में बड़ी कठिनाईयां आ रही हैं. इस आधुनिक युग में परिचय सम्मेलनों के माध्यम से रिश्ते होना अपने आप में एक नई पहल है. गुप्ता जी ने अग्रवाल समाज की अन्य संस्थाओं से भी आह्वान किया कि वें इस प्रकार के सम्मलेन समय-समय पर आयोजित करें ताकि रिश्ते होने में आने वाली कठिनाइयों से निजात मिल सके. अखिल भारतीय अग्रवाल समाज के प्रदेशाध्यक्ष एवं समारोह के संयोजक राजकुमार गोयल ने आये हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि समाज में रिश्तों से मुतल्लिक आने वाली समस्याओं की दूरगामी सोच के अनुरूप उन्होंने सन 2001 से युवक-युवति परिचय सम्मलेन का सिलसिला शुरू किया था. उसके बाद सन 2005 और अब 2009 में तीसरा सफल सम्मलेन आयोजित हुआ है. उन्होंने परिचय सम्मलेन के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि संस्था सम्मलेन से पूर्व पूरे भारतवर्ष से अग्रवाल युवक-युवतियों के फॉर्म आमंत्रित करती है. उन प्राप्त फोरमों की एक पुस्तिका तैयार की जाती है तथा आवेदकों को पंजीकृत नंबर दिए जाते हैं. सम्मलेन के दिन एक-एक नम्बर को स्टेज पर बुलाकर उनका परिचय करवाया जाता है. अगर एक पक्ष के किसी अभिभावक को कोई लड़का या लड़की पसंद आती है तो वह दूसरे पक्ष के अभिभावक के साथ बैठकर अपने पुत्र या पत्री हेतु रिश्ते की बातचीत कर सकता है. इसके लिए संस्था के द्वारा अलग से बैठने की व्यवस्था की जाती है और इस दौरान समाज के जिम्मेदार बुजुर्ग व्यक्ति बतौर सलाहकार वहां मौजूद होते हैं. इस प्रकार से नौजवान पीढी के रिश्ते तय हो जाते हैं एवं बाद में अपने अनुकूल समयानुसार वें शादी के पवित्र बंधन में बंध जाते हैं. उन्होंने कहा की वह और उनकी टीम भविष्य में भी इस तरह के परिचय सम्मेलनों का आयोजन करती रहेगी.

30.8.09

क्या महिलाओं की नेतृत्व क्षमता - स्थानीय निकायों के चुनाव तक सीमित है !

जिस देश में राष्ट्रपति के पद पर एक महिला आसीन है , सत्ता पर काबिज़ गठबंधन की सर्वोच्च एवं सर्वमान्य नेता एक महिला है , जहाँ आज महिला सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ बराबरी से कंधे से कंधे मिलकर कार्य कर रही है। क्या उस देश की महिलाओं की नेतृत्व क्षमता में अभी भी शक और शुबहा की गुंजाइश बचती है? चाहे केन्द्र सरकार की बात करें या फिर राज्य सरकार की पंचायत और स्थानीय निकायों के चुनाव में ५० फीसदी आरक्षण का लालीपाप देकर महिला समानता और हितों के हिमायती होने दम भरते हैं क्यों नही अभी तक संसद में महिला आरक्षण का बिल पास हो पाया है ; ३३ फीसदी ही क्यों; ५० फीसदी यानि बराबरी के हक़ की बात क्यों नही की जाती है?
जहाँ आधी आबादी महिलाओं की हो, किंतु सत्ता में भागीदारी उनकी आबादी के अनुपात में हो तो कैसे कहेंगे देश की सरकार पूर्णतः लोकतान्त्रिक है? जो देश की आधी आबादी का प्रतिनिधितव करती है, उनकी समान भागीदारीके अभाव में क्या उनके हितों और हकों के अनुरूप नीतियां और योजनायें बन पाती होगी? - अभी तक महिलाआरक्षण का बिल का संसद में पास होना इस बात का द्योतक है। संसद में महिलायें संख्या के मामले में पुरुषोंसे कमजोर पड़ रही है जब महिला आरक्षण बिल का वर्षों से यह हाल है तो महिला के कल्याण और हितों केअनुरूप बनने वाले कानून अथवा योजनाये पूर्वाग्रहों से कितने मुक्त होते होंगे, इस बात अंदाज़ लगाना मुश्किल नहीहोगा आजादी के ६२ वर्षों बाद भी महिलायें अपनी आबादी के अनुपात में संसद में अपनी हिस्सेदारी नही बनापायी
यदि सरकार और संसद वास्तव में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु कृत संकल्प है तो उसे कुछऐसे कदम उठाने चाहिए जैसे हो सके तो महिलाओं को पंचायत से लेकर संसद तक के चुनाव में प्रत्याशी के रूपमें खड़े होने हेतु प्रेरित करने के उद्देश्य से नामांकन फार्म भरने से लेकर चुनाव लड़ने तक का आर्थिक खर्च का वहन सरकार द्वारा किया जाना चाहिए दूसरा यह कि सत्ता खिसकने एवं संसदीय सीट छिन जाने के डर से कोई कोई अड़ंगा लगाकर महिला बिल को पास होने से रोका जाता है अतः इसे अब नेताओं के हाथ से निकालकर सीधेजनता के बीच ले जाकर जनता द्वारा वोटिंग के माध्यम से इस पर फ़ैसला कराया जाना चाहिए फ़िर देखें कैसे पास होगा महिला आरक्षण का बिल क्योंकि आधी आबादी और उससे अधिक का समर्थन मिलना तो निश्चित हीहै

आशा है कि इस तरह के गंभीर प्रयास यदि किए जायेंगे तो महिलाओं की सभी क्षेत्रों में उनकी आबादी के हिसाब सेसमान भागीदारी और हिस्सेदारी निश्चित रूप से सुनिश्चित हो पाएगी

29.8.09

छेड़खानी व अपहरण के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार

जींद(हरियाणा): पुलिस ने छेड़छाड़ अपहरण की कोशिश करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।आरोपियों से कड़ी पूछताछ की जा रही है। इस मामले में एक आरोपी की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है पुलिस के अनुसार गत 21 अगस्त को भम्भेवा निवासी एक व्यक्ति ने शिकायत दी थी कि अजमेर उसके अन्य साथियों ने उसकी पोती के साथ छेड़छाड़ की। इसके अलावा उसका अपहरण करने की कोशिश भी की गई, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सके। पुलिस ने उक्त व्यक्ति की शिकायत पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था तथा इस सम्बन्ध में भम्भेवा गांव के दिनेश, प्रदीप तथा विक्रम को गिरफ्तार किया है। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है। इस मामले में पहले गिरफ्तार किए गए आरोपी का नाम अजमेर है।

महिलाओं ने किया महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन

जींद(हरियाणा): जिले में इनेलो महिला विंग द्वारा बढ़ रही महंगाई तथा बिजली-पानी आदि मुद्दों को देखते हुए जिले के जुलाना, सफीदों, जींद, उचाना नरवाना क्षेत्रों में जोरदार विरोध प्रदर्शन किए गए। विरोध प्रदर्शन में जहां इनेलो महिला विंग की सदस्यों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया, वहीं पर प्रदर्शन में स्थानीय स्तर के इनेलो नेताओं ने भी भाग लेकर सरकार की नीतियों जनविरोधी करार दिया तथा उनकी जमकर आलोचना की। इनेलो जिलाध्यक्ष सुरेंदर बरवाला ने कहा कि सरकार जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि आए दिन बढ़ रही महंगाई ने गरीब लोगों का जीना दूभर कर दिया। उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब भी देश प्रदेश में कांग्रेस की सरकारे बनी, तब-तब महंगाई ने आसमान को छूने का काम किया। उन्होंने कहा कि कभी किसी समय में कहावत थी कि दाल-रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ लेकिन आज दालों के भाव आसमान को छू रहे है। उन्होंने कहा कि जिस दाल की कीमत आज से पांच वर्ष पहले 22-23 रुपये किलो थी, आज उसी दाल का भाव 70-80 रुपये हो गया है। रही-सही कसर अब चीनी ने पूरी कर दी है। ऐसे में जो सरकार बढ़ रही महंगाई पर रोक नहीं लगा सकती, ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं। बाद में महिलाओं ने शहर में प्रदर्शन करते हुए सीएम हुड्डा का पुतला भी फूँका।

28.8.09

कंप्यूटर अध्यापकों का धरना जारी

जींद : हरियाणा कंप्यूटर संघ का अनिश्चितकालीन धरना जारी हैआज के धरने की अध्यक्षता रविंद्र शर्मा ने की। उन्होंने बताया कि हरियाणा राज्य के विभिन्न राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में कंप्यूटर अध्यापक पिछले तीन वर्ष से कार्यरत हैं, परंतु उक्त अध्यापकों को वेतन के नाम पर बहुत ही नीचा दिखाया जा रहा है। उक्त अध्यापकों की शैक्षिक योग्यता पीजीडीसीए, बीसीए, एमएससी है इनको कक्षा 6 से 12वीं कक्षा तक पढ़ाना होता है। इसके अलावा इनसे स्कूल का अतिरिक्त काम भी लिया जाता है, परंतु इनको वेतन एक चौकीदार से भी कम दिया जाता है। 117 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से। जिनमें छुट्टियों का वेतन काट कर मुश्किल से 1800-2000 रुपये प्रति महीना दिया जाता है, जोकि अन्याय नाइंसाफी है। इससे सरकार का उक्त अध्यापकों के प्रति नकारात्मक रवैया प्रतीत होता है। इस विषय में सरकार से कई बार मुलाकात भी की जा चुकी है, मगर सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, परंतु दूसरी ओर कंप्यूटर अध्यापकों का इतना कम वेतन दिया जा रहा हैइनकी योग्यता को नीचा दिखाया जा रहा है। हम अनिश्चितकालीन धरने के माध्यम से सरकार का ध्यान अपनी मांगों की तरफ खींचना चाहते हैं

आखिर कब ले ले यह जान पता नही

हरियाणा में प्रशासन की नाक तले सैकड़ों अवैध वाहन आज बेखौफ सड़कों पर दौड़ रहे हैंयें वाहन अब तक दर्जनों लोगों को अकाल मौत की नींद सुला चुके हैं अवैध वाहन चालक तेज गति से अपने वाहनों को चलाते हैंप्रशासन सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ है।हरियाणा में सैकड़ों की संख्या में चल रहे अवैध वाहन परिवहन विभाग को प्रतिमाह लाखों रुपये का चूना लग रहे हैं। इन वाहन मालिकों की रफ ड्राइविंग अत्यधिक यात्रियों को ठूंसने के चलते यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमराकर कर रह गई है। इस पर काबू पाने में प्रशासन पूरी तरह से लाचार बना हुआ है। हरियाणा के अधिकतर जिलो के साथ-साथ जीन्द जिले में मुख्य मार्गो जींद-कैथल, असंध, नरवाना, बरवाला, हांसी, जुलाना सफीदों रूटों पर प्रतिदिन सैकड़ों मैक्सी कैब विभिन्न मार्गो पर राज्य परिवहन विभाग के समांतर यात्रियों को लाने ले जाने का काम में लगे हुए है। ताज्जुब की बात यह है कि इस सब के बावजूद भी प्रशासन इन पर नकेल लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। मैक्सी कैब में यात्रा करने वाले यात्रियों की जान यात्रा के दौरान हमेशा जोखिम में बनी रहती है। इन वाहन चालकों की रफ ड्राइविंग अत्यधिक यात्रियों को ठूंसने की प्रवृति के चलते प्रति वर्ष दर्जनों यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। दुर्घटना के बाद कुछ समय तक तो पुलिस इन अवैध वाहनों के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाती नजर आती है, परन्तु इसके बाद समय के साथ पुलिस की कार्यवाही भी कहीं अंधेरे में खोकर रह जाती है। इससे यातायात व्यवस्था फिर से पुराने रुटीन पर खड़ी दिखाई देती है। इससे इन वाहन मालिकों के हौसले फिर से आसमान को छूने लग जाते है तथा वाहन मालिकों के इसी प्रक्रिया के चलते सड़कों पर फिर से मौतों का खेल शुरू हो जाता है। इस मामले में यदि यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि विभिन्न मार्गो पर चल रही ये अवैध वाहन प्रशासन पुलिस को ठेंगा दिखाते हुए बेलगाम चलते हुए लगातार यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ करने में लगे हुए है।