28.8.09
कंप्यूटर अध्यापकों का धरना जारी
आखिर कब ले ले यह जान पता नही

दंगा:

एक चौराहा था , सुन्दर सा चौराहा ,,
चहकता हुआ चौराहा , महकता हुआ चौराहा ,,,
वहा उड़ती हुई पतंगे थी , घूमती हुई फिरंगे थी ....
सजती हुई मालाये थी,, लरजती हुई बालाये थी ,,,
चमकते चमड़े की दूकान थी,महकते केबडे की भी शान थी ,,
रफीक टेलर भी वही था , और हरी सेलर भी वही था ,,,
वहा पूरा हिन्दुस्तान था , हर घर और मकान था ,,
मेल मिलाप और भाई चारा था , कोई नहीं बेचारा था ,,
पर एक चीज वहा नहीं थी , जो न होना ही सही थी ,,
वहा नहीं था तो पुरम ,पुर और विहार नहीं था ...
वहा नहीं था तो दालान ,वालान और मारान नहीं था,,,
गली कासिम जान भी नहीं थी, और गली सीता राम भी नहीं थी ,,,,
वहा हिन्दू भी नहीं था , वहा मुसलमान भी नहीं था ,,
था तो केवल हिन्दुस्तान था , था तो केवल भारत महान था ,,
फिर एक आवाज आई मैं हिन्दू हूँ ,,
उसकी प्रतिध्वनी गूंजी मैं मुसलमान हूँ ,,,
और उस लय का गला घुट गया ,जो कह रही थी मैं हिन्दुस्तान हूँ ,,
सुनते ही सन्नाटा पसर गया ,,
उड़ते उड़ते हरी पतंग ने लाल पतंग मजहब पूछ लिया ,,
हरी ने रफीक के सीने में चाकू मार दिया ,,
सब्जियों में भी दंगा हो गया , अपना पन सरेआम नंगा हो गया ,,
बैगन ने आलू के कान में फुसफुसाया ,,मियां प्याज को पल्ले लगाओ ,,
कद्दू ने कुछ जायदा ही फुर्ती दिखाई,प्याज को लुढ़का दिया,,,
और वो पहिये के नीचे आ गया ,,
लहसुन ने मिर्ची को मसल दिया , क्यों की वो हिन्दू थी ,,
अब तो वहा पर कोहराम था ,क्यूँ की दंगा सरेआम था ,,
एक दूकान दूसरी दूकान से धर्म पूछ रही थी ,,
एक नुक्कड़ दूसरे नुक्कड़ से धर्म पूछ रहा था ,,
अब वहा पे वालान थे ,अब वहा पे मारान थे ,,
अब वहा पे पुरम था , अब वहा पे विहार भी था ,,
अगर कुछ नहीं था तो ,,
वहा पे हिन्दुस्तान नहीं था , मेरा भारत महान नहीं था ,,
अब वहा पर केवल हिन्दू था और मुसलमान था ,,
और वीरान ही वीरान था ,,
तभी किसी ने कहकहा लगाया और ताली बजाई ,,,
फिर उसने लम्बी साँस ली और ली अंगडाई,,
वो मुस्कराया क्यूँ की अब उसके मन का जहान था,,
फिर वह धीरे से बुदबुदाया मैं हिन्दू हूँ ,,
फिर वह धीरे से फुफुसाया , मैं मुसलमान हूँ ,,
और चल दिया अगले चौराहे पर,,
हिन्दुस्तान को हिन्दू और मुसलमान बनाने के लिए ,,
क्यों की यही तो उसका धर्म है और कर्म भी ,,
आखिर नेता जो है .....
चहकता हुआ चौराहा , महकता हुआ चौराहा ,,,
वहा उड़ती हुई पतंगे थी , घूमती हुई फिरंगे थी ....
सजती हुई मालाये थी,, लरजती हुई बालाये थी ,,,
चमकते चमड़े की दूकान थी,महकते केबडे की भी शान थी ,,
रफीक टेलर भी वही था , और हरी सेलर भी वही था ,,,
वहा पूरा हिन्दुस्तान था , हर घर और मकान था ,,
मेल मिलाप और भाई चारा था , कोई नहीं बेचारा था ,,
पर एक चीज वहा नहीं थी , जो न होना ही सही थी ,,
वहा नहीं था तो पुरम ,पुर और विहार नहीं था ...
वहा नहीं था तो दालान ,वालान और मारान नहीं था,,,
गली कासिम जान भी नहीं थी, और गली सीता राम भी नहीं थी ,,,,
वहा हिन्दू भी नहीं था , वहा मुसलमान भी नहीं था ,,
था तो केवल हिन्दुस्तान था , था तो केवल भारत महान था ,,
फिर एक आवाज आई मैं हिन्दू हूँ ,,
उसकी प्रतिध्वनी गूंजी मैं मुसलमान हूँ ,,,
और उस लय का गला घुट गया ,जो कह रही थी मैं हिन्दुस्तान हूँ ,,
सुनते ही सन्नाटा पसर गया ,,
उड़ते उड़ते हरी पतंग ने लाल पतंग मजहब पूछ लिया ,,
हरी ने रफीक के सीने में चाकू मार दिया ,,
सब्जियों में भी दंगा हो गया , अपना पन सरेआम नंगा हो गया ,,
बैगन ने आलू के कान में फुसफुसाया ,,मियां प्याज को पल्ले लगाओ ,,
कद्दू ने कुछ जायदा ही फुर्ती दिखाई,प्याज को लुढ़का दिया,,,
और वो पहिये के नीचे आ गया ,,
लहसुन ने मिर्ची को मसल दिया , क्यों की वो हिन्दू थी ,,
अब तो वहा पर कोहराम था ,क्यूँ की दंगा सरेआम था ,,
एक दूकान दूसरी दूकान से धर्म पूछ रही थी ,,
एक नुक्कड़ दूसरे नुक्कड़ से धर्म पूछ रहा था ,,
अब वहा पे वालान थे ,अब वहा पे मारान थे ,,
अब वहा पे पुरम था , अब वहा पे विहार भी था ,,
अगर कुछ नहीं था तो ,,
वहा पे हिन्दुस्तान नहीं था , मेरा भारत महान नहीं था ,,
अब वहा पर केवल हिन्दू था और मुसलमान था ,,
और वीरान ही वीरान था ,,
तभी किसी ने कहकहा लगाया और ताली बजाई ,,,
फिर उसने लम्बी साँस ली और ली अंगडाई,,
वो मुस्कराया क्यूँ की अब उसके मन का जहान था,,
फिर वह धीरे से बुदबुदाया मैं हिन्दू हूँ ,,
फिर वह धीरे से फुफुसाया , मैं मुसलमान हूँ ,,
और चल दिया अगले चौराहे पर,,
हिन्दुस्तान को हिन्दू और मुसलमान बनाने के लिए ,,
क्यों की यही तो उसका धर्म है और कर्म भी ,,
आखिर नेता जो है .....
प्रतिभाओं को अवसर - इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सराहनीय कार्य !
इस देश में प्रतिभाओं को कमी नही है, बस जरूरत है तो एक अदद अवसर और उचित मंच की। जिसके माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें। न जाने ऐसी कितनी ही प्रतिभाएं हैं, जो एक उचित अवसर के अभाव में गुमनामी के अंधेरे में दम तोड़ देती हैं। एक टीवी चॅनल के रियलिटी शो के माध्यम से सुदूर ग्रामीण अंचल बहराम पुर ( उडीसा ) के शारीरिक कमियों से ग्रस्त युवाओं के प्रिंस डांस ग्रुप ने शानदार नृत्य प्रस्तुत कर देश भर के दर्शकों का दिल जीतकर अपने अटूट जज्बे और अदभुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया है । इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा प्रतिभाओं को सामने लाने और उन्हें उचित अवसर प्रदान करने का यह बहुत ही सराहनीय प्रयास किया जा रहा है ।
पहले पहल दूरदर्शन में यह बात देखने को मिलती थी। जिसमे शास्त्रीय नृत्य , संगीत और बाद्य यंत्रों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ करता था । नीजि चेनलों के आ जाने से देश की प्रतिभाओं को उचित अवसर और मंच मिलने की सम्भावना बढ़ने लगी । इलेक्ट्रॉनिक मीडिया धीरे-धीरे मनोरंजन , ख़बरों एवं ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों के दायरे से निकलकर अब देश की प्रतिभाओं हेतु प्रतिभा प्रदर्शन का उचित मंच साबित होने लगा । प्रारम्भ में केवल फिल्मी क्षेत्रों से जुड़े गीत , संगीत और नृत्य से जुड़ी प्रतिभाओं के प्रदर्शन का माध्यम बना एवं लंबे समय तक बना रहा , इससे ऐसा लगने लगा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सिर्फ़ फिल्मी कला क्षेत्रों से जुड़ी प्रतिभाओं के प्रदर्शन के मंच तक ही सिमटकर रह गया है, जिसमे नैसर्गिक और स्वाभाविक प्रतिभा प्रदर्शन के अपेक्षा नक़ल को ज्यादा तवज्जो दी जाती रही है । यंहा तक कि छोटे-छोटे बच्चे भी फिल्मी गाने की नक़ल कर प्रेम और प्यार के नगमे गाते नजर आते रहे । ऐसा देखने को मुश्किल ही मिला हो कि प्रतियोगी स्वयं द्वारा रचित गीत संगीत अथवा निर्मित नृत्य शैली का प्रदर्शन कर रहा हो ।किंतु रियलिटी शो के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा लोगों को नैसर्गिक और स्वाभाविक प्रतिभा और हुनर के प्रदर्शन का अवसर प्रदान किया जा रहा है और वह भी फिल्मी क्षेत्रों के आलावा अन्य कला क्षेत्रों में।
कुछ अपवादों को छोड़ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की यह नई भूमिका अत्यन्त प्रशंसनीय और सराहनीय है, जो देश की प्रतिभाओं को प्रसिद्धि पाने और कला एवं हुनर के प्रदर्शन हेतु उचित मंच और अवसर प्रदान करने का कार्य कर रही है । युवा पीढियों के साथ सभी उम्र के कलाकारों अथवा प्रतिभाओं को रचनात्मक और सकारात्मक कार्यों की ओर प्रेरित कर रही है । इससे देश के सुदूर अंचलों एवं कोने-कोने में विद्यमान उभरती प्रतिभाओं की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आशा कुछ ज्यादा बढ़ गई है । अतः इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कंधे पर भारी जिम्मेदारी आन पड़ी है कि स्वस्थ्य मनोरंजन के साथ-साथ देश की छुपी हुई प्रतिभाओं को प्रदर्शन का उचित अवसर बिना किसी पूर्वाग्रह के प्रदान कर सके । आशा है, मीडिया अपने जिम्मेदारी पर खरा उतरेगा और देश तथा समाज के लोगों की खुशहाली और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगा ।
27.8.09
20 पशु बरामद
जींद(हरियाणा): जिले की सफीदों पुलिस ने गश्त के दौरान भैंसों तथा कटड़ों से भरा एक ट्रक पकड़ा। जिसमे इन पशुओं को ठूस-ठूस कर भरा गया था। पुलिस द्वारा पांच लोगों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया है। सफीदों पुलिस खानसर चौंक पर गश्त कर रही थी कि अचानक तेज गति से आ रहे एक ट्रक को संदिग्ध समझ कर रोका गया और पूछताछ की गई। ट्रक चालक द्वारा सही जवाब न दिए जाने पर ट्रक की तलाशी ली गई तो उसमे 13 भैंस तथा 7 कटड़ों को ठूस-ठूस कर भरा हुआ था। पुलिस पूछताछ में पकड़े गए लोगों की पहचान उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर इलाके के गांव अटावली से सागिर, गांव परनौली से इरसाद, मांगा व नासिर तथा जींद के ढाठरथ गांव के रामकिशन के रूप में हुई। पुलिस द्वारा पशु क्रूरता अधिनियम के तहत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
......जब वो गाती है....

झुमती गाती और गुनगुनाती ग़ज़ल,
गीत कोई सुहाने सुनाती ग़ज़ल
ज़िंदगी से हमें है मिलाती ग़ज़ल,
उसके अशआर में एक ईनाम है,
उसके हर शेर में एक पैगाम है।
सबको हर मोड़ पे ले के जाती ग़ज़ल।
उसको ख़िलवत मिले या मिले अंजुमन।
उसको ख़िरमन मिले या मिले फिर चमन,
वो बहारों को फिर है ख़िलाती ग़ज़ल।
वो इबारत कभी, वो इशारत कभी।
वो शरारत कभी , वो करामत कभी।
हर तरहाँ के समाँ में समाती ग़ज़ल।
वो न मोहताज है, वो न मग़रूर है।
वो तो हर ग़म-खुशी से ही भरपूर है।
हर मिज़ाजे सुख़न को जगाती ग़ज़ल।
वो मोहब्बत के प्यारों की है आरज़ू।
प्यार के दो दिवानों की है जुस्तजु।
हो विसाले मोहब्बत पिलाती ग़ज़ल।
वो कभी पासबाँ, वो कभी राजदाँ।
उसके पहलु में छाया है सारा जहां।
लोरियों में भी आके सुनाती ग़ज़ल।
वो कभी ग़मज़दा वो कभी है ख़फा।
वक़्त के मोड़ पर वो बदलती अदा।
कुछ तरानों से हर ग़म भुलाती ग़ज़ल।
वो तो ख़ुद प्यास है फ़िर भी वो आस है।
प्यासी धरती पे मानो वो बरसात है।
अपनी बुंदोँ से शीद्दत बुझाती ग़ज़ल।
उसमें आवाज़ है उसमें अंदाज़ है।
इसलिये तो दीवानी हुई “राज़” है।
जब वो गाती है तब मुस्कुराती ग़ज़ल।
26.8.09
दहेज के लिए तंग करने के आरोप में पति गिरफ्तार
जींद(हरियाणा): विवाहिता को दहेज के लिए तंग करने के मामले में पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार किया है। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है। बधाना गांव निवासी इंदू ने अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि उसकी शादी लगभग दो वर्ष पूर्व पानीपत के अदाना गांव निवासी कुलदीप के साथ हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही ससुरालियों ने उसे और अधिक दहेज की मांग को लेकर परेशान करना शुरू कर दिया था. दहेज की मांग पूरा न करने पर उसके साथ मारपीट की जाने लगी। मामले को लेकर दोनों पक्षों के बीच पंचायतों का दौर भी चला, लेकिन सुसराल जन अपनी हरकतों से बाज नहीं आए और मारपीट कर घर से निकाल दिया। पुलिस ने इंदू की शिकायत पर पति कुलदीप, ससुर रणधीर, जेठ शेर सिंह, जेठानी राजवंती, ननंद गांव डंढेरी निवासी शीला, नंदोई विजेंद्र, गांव किठाना निवासी कमला तथा नंदोई बलबीर के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने इस मामले में पति कुलदीप को गिरफ्तार कर लिया है।