27.8.09
......जब वो गाती है....
सबको हर मोड़ पे ले के जाती ग़ज़ल।
उसको ख़िरमन मिले या मिले फिर चमन,
वो बहारों को फिर है ख़िलाती ग़ज़ल।
हर तरहाँ के समाँ में समाती ग़ज़ल।
हर मिज़ाजे सुख़न को जगाती ग़ज़ल।
वो मोहब्बत के प्यारों की है आरज़ू।
हो विसाले मोहब्बत पिलाती ग़ज़ल।
उसके पहलु में छाया है सारा जहां।
लोरियों में भी आके सुनाती ग़ज़ल।
कुछ तरानों से हर ग़म भुलाती ग़ज़ल।
अपनी बुंदोँ से शीद्दत बुझाती ग़ज़ल।
जब वो गाती है तब मुस्कुराती ग़ज़ल।
26.8.09
दहेज के लिए तंग करने के आरोप में पति गिरफ्तार
जींद(हरियाणा): विवाहिता को दहेज के लिए तंग करने के मामले में पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार किया है। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है। बधाना गांव निवासी इंदू ने अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि उसकी शादी लगभग दो वर्ष पूर्व पानीपत के अदाना गांव निवासी कुलदीप के साथ हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही ससुरालियों ने उसे और अधिक दहेज की मांग को लेकर परेशान करना शुरू कर दिया था. दहेज की मांग पूरा न करने पर उसके साथ मारपीट की जाने लगी। मामले को लेकर दोनों पक्षों के बीच पंचायतों का दौर भी चला, लेकिन सुसराल जन अपनी हरकतों से बाज नहीं आए और मारपीट कर घर से निकाल दिया। पुलिस ने इंदू की शिकायत पर पति कुलदीप, ससुर रणधीर, जेठ शेर सिंह, जेठानी राजवंती, ननंद गांव डंढेरी निवासी शीला, नंदोई विजेंद्र, गांव किठाना निवासी कमला तथा नंदोई बलबीर के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने इस मामले में पति कुलदीप को गिरफ्तार कर लिया है।
राशि हड़पने का मामला दर्ज
जींद(हरियाणा): महाराष्ट्र के पूना स्थित ख्याति प्राप्त शिक्षण संस्थान में दाखिला कराने के नाम पर एक महिला से लगभग बारह लाख रुपये हड़पने का मामला सामने आया है। महिला की शिकायत पर पुलिस ने राशि हड़पने वाले बाप-बेटा के खिलाफ धोखाधड़ी तथा जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस के अनुसार अर्बन इस्टेट निवासी प्रेम देवी ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह अपनी बेटी संध्या को मास्टर ऑफ़ मैनेजमेंट कोर्स में दाखिला दिलाना चाहता थी। इसी दौरान उसकी मुलाकात गाव धनाना सोनीपत निवासी आरके जतिन तथा उसके बेटे विजय जतिन से हुई। बातचीत में दोनों ने उसे बताया कि पूना में ख्याति प्राप्त शिक्षण संस्थान है। वे उसकी बेटी का दाखिला उस संस्थान में करवा सकते है। दाखिला करवाने की एवज में उसे लगभग बारह लाख रुपये डोनेशन के रूप में देने होंगे। 12 अप्रैल 2009 को आरके जतिन तथा उसके बेटे विजय ने उससे 11 लाख 70 हजार रुपये ले लिए। शुरू में दोनों काउंसिलिंग होने के बाद दाखिला का आश्वासन देते रहे। बाद में उस शिक्षण संस्थान की सभी सीटे फुल हो गई, लेकिन उसकी बेटी का दाखिला शिक्षण संस्थान में नहीं हुआ। दाखिला न होने पर जब उसने डोनेशन के रूप में ली गई राशि को वापस माँगा तो उन्होंने राशि लौटाने से मना कर दिया और धमकी दी कि अगर पैसे मागने या शिकायत करने की कोशिश की तो उसका अंजाम बुरा होगा। पुलिस ने प्रेम की शिकायत पर आरके जतिन तथा उसके बेटे विजय के खिलाफ धोखाधड़ी तथा जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया है।
25.8.09
थाने में आयोजित किया रक्तदान शिविर
जींद:-तर्कशील सोसाइटी द्वारा रक्तदान कैंप का आयोजन अलेवा थाने में किया गया। जिला पुलिस अधीक्षक बी सतीश बालन ने इसका उद्घाटन किया व अध्यक्षता की। सोसाइटी के प्रदेश प्रचार सचिव सुभाष तितरम ने बताया कि यह सोसाइटी द्वारा आयोजित 14वां रक्तदान कैंप है। जिला पुलिस अधीक्षक बी सतीश बालन ने कहा कि रक्तदान से दूसरों का अमूल्य जीवन बचाया जा सकता है। यह सिर्फ दान द्वारा ही प्राप्त होता है। इस कैंप में थाना एसएचओ रवींद्र कुमार का अहम योगदान रहा। उन्होंने इस अवसर पर रक्तदान किया और कहा कि वह समय-समय पर रक्तदान करते रहे है। यह भी विशेष बात रही कि किसी थाने में यह अब तक का पहला रक्तदान कैंप है। जिस दिन थाने में कैंप सोसाइटी द्वारा फैसला किया गया, उसी दिन रवींद्र कुमार का पदोन्नति का आदेश पहुंचा। पुलिस अधीक्षक ने भी पुलिस कर्मचारियों के सामाजिक कार्यो में भाग लेने पर प्रशंसा की। इस मौके पर इंस्पेक्टर रवींद्र कुमार, एएसआई गोपाल कुमार, हवलदार बलवान, रामदिया, संदीप, गुरदेव, रामपाल व सुभाष तिरम, विक्रम, धर्मबीर, सत्वान, बंसी, सुभाष, सोनू, बलराज, सहदेव, राजेश, देवेंद्र, विक्रम, सुनील, अशोक ने रक्तदान किया। इस अवसर पर सतबीर अहिरका, मुकेश, रणदीप श्योकंद, नरेश सिंगला, विक्रम भी मौजूद थे।
....तेरी यादें.....
मैं चुराकर लाई हुं तेरी वो तस्वीर जो हमारे साथ तूने खींचवाई थी मेरे परदेस जाने पर।
में चुराकर लाई हुं तेरे हाथों के वो रुमाल जिससे तूं अपना चहेरा पोंछा करती थी।
मैं चुराकर लाई हुं वो तेरे कपडे जो तुं पहना करती थी।
मैं चुराकर लाई हुं पानी का वो प्याला, जो तु हम सब से अलग छूपाए रख़ती थी।
मैं चुराकर लाई हुं वो बिस्तर, जिस पर तूं सोया करती थी।
मैं चुराकर लाई हुं कुछ रुपये जिस पर तेरे पान ख़ाई उँगलीयों के नशाँ हैं।
मैं चुराकर लाई हुं तेरे सुफ़ेद बाल, जिससे मैं तेरी चोटी बनाया करती थी।
जी चाहता है उन सब चीज़ों को चुरा लाउं जिस जिस को तेरी उँगलीयों ने छुआ है।
हर दिवार, तेरे बोये हुए पौधे,तेरी तसबीह , तेरे सज़दे,तेरे ख़्वाब,तेरी दवाई, तेरी रज़ाई।
यहां तक की तेरी कलाई से उतारी गई वो, सुहागन चुडीयाँ, चुरा लाई हुं “माँ”।
घर आकर आईने के सामने अपने को तेरे कपडों में देख़ा तो,
मानों आईने के उस पार से तूं बोली, “बेटी कितनी यादोँ को समेटती रहोगी?
मैं तुज में तो समाई हुई हुं।
“तुं ही तो मेरा वजुद है बेटी”
बस पर किया पथराव
जींद : हरयाणा के जींद जिले के सफीदों कसबे के पीर बाबा पर माथा टेकने आए श्रद्धालुओं की बस पर कुछ अज्ञात लोगों ने पथराव कर दिया, जिसमें बस के सारे शीशे टूट गए। उसके बाद उक्त लोगों ने बस में सो रहे बस के कंडक्टर व ड्राईवर की बुरी तरह से धुनाई कर डाली, जिसमें कंडक्टर व ड्राइवर घायल हो गया। दोनों घायलों को उपचार के लिए जींद के अस्पताल में लाया गया जहां हालत गंभीर देखकर घायलों को रोहतक रेफर कर दिया गया है। इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी गई है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। जानकारी के अनुसार रविवार रात अंबाला से श्रद्धालुओं से भरी एक बस नंबर सीएच-03ई-2831 में सफीदों पीर बाबा पर माथा टेकने के लिए आई हुई थी। श्रद्धालु बस से उतरकर पीर बाबा के दरबार में जा चुके थे, जिसके बाद कुछ अज्ञात युवक आए और बस में सो रहे कंडक्टर सुशील व ड्राईवर सुरेश पर हमला कर दिया, जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गए। जब उन्हे पीटने के बाद भी हमलावर शांत नहीं हुए तो बाद में हमलावरों ने बस पर पथराव कर दिया जिससे बस के सारे शीशे टूट गए। इस बारे में बस के मालिक मनदीप सिंह अंबाला वासी से फोन पर संपर्क साधा तो उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि हर साल करीब 6-7 बसें श्रद्धालुओं की भरकर गूगा-मेड़ी, सफीदों व अन्य कई धार्मिक स्थानों पर माथा टेकने के लिए आती है। इसी प्रकार रविवार को भी सभी बसें गूगा-मेढ़ी व कई धार्मिक स्थानों से होकर सफीदों पहुंची थी, जिसके बाद रविवार रात करीब 11 बजे उन्हे सूचना मिली की उनकी बस पर पथराव कर दिया है और कंडक्टर व ड्राइवर के साथ मारपीट भी की गई है। सूचना पाते ही वह सफीदों पहुंचे और पुलिस में शिकायत की। उन्होंने बताया कि बस पर पथराव होने से उनको भारी नुकसान हुआ है।
मैं तेरे साथ - साथ हूँ.........
देखो तो एक सवाल हूँ ।
समझो तो , मैं ही जवाब हूँ ।।
उलझी हुई,इस ज़िन्दगी में।
सुलझा हुआ-सा तार हूँ।।
बैठे है दूर तुमसे , गम न करो ।
मैं ही तो बस, तेरे पास हूँ।।
जज्वात के समन्दर में दुबे है।
पर मैं ही , उगता हुआ आफ़ताब हूँ
रोशनी से भर गया सारा समा ।
पर मैं तो, खुद ही में जलता हुआ चिराग हूँ ।।
जैसे भी ज़िन्दगी है, दुश्मन तो नही है।
तन्हा-सी हूँ मगर, मैं इसकी सच्ची यार हूँ।।
जलते हुए जज्वात , आंखो से बुझेंगे ।
बुझ कर भी न बुझी, मैं ऐसी आग हूँ।।
कैसे तुम्हे बता दें , तू ज़िन्दगी है मेरी ।
अच्छी या बुरी जैसे भी, मैं घर की लाज हूँ ।।
कुछ रंग तो दिखाएगी , जो चल रहा है अब।
खामोशी के लबो पर छिड़ा , में वक्त का मीठा राग हूँ।।
कलकल-सी वह चली, पर्वत को तोड़ कर ।
मैं कैसे भूल जाऊ, मैं बस तेरा प्यार हूँ।।
भुजंग जैसे लिपटे है , चंदन के पेड़ पर ।
मजबूरियों में लिपटा हुआ , तेरा ख्बाव हूँ।।
चुप हूँ मगर , में कोई पत्थर तो नही हूँ।
जो तुम न कह सके, मैं वो ही बात हूँ
बस भी कर, के तू मुझको न याद आ ।
न वह सकेगा जो, में ऐसा आव हूँ।।
मेहदी न बारातै न सिन्दूर चाहिए ।
मान लिया हमने जब तुम ने कह दिया , मैं तेरा सुहाग हूँ।।
खुद को न समझना, कभी तन्हा और अकेला।
ज़िन्दगी के हर कदम पर , मैं तेरे साथ - साथ हूँ।।
समझो तो , मैं ही जवाब हूँ ।।
उलझी हुई,इस ज़िन्दगी में।
सुलझा हुआ-सा तार हूँ।।
बैठे है दूर तुमसे , गम न करो ।
मैं ही तो बस, तेरे पास हूँ।।
जज्वात के समन्दर में दुबे है।
पर मैं ही , उगता हुआ आफ़ताब हूँ
रोशनी से भर गया सारा समा ।
पर मैं तो, खुद ही में जलता हुआ चिराग हूँ ।।
जैसे भी ज़िन्दगी है, दुश्मन तो नही है।
तन्हा-सी हूँ मगर, मैं इसकी सच्ची यार हूँ।।
जलते हुए जज्वात , आंखो से बुझेंगे ।
बुझ कर भी न बुझी, मैं ऐसी आग हूँ।।
कैसे तुम्हे बता दें , तू ज़िन्दगी है मेरी ।
अच्छी या बुरी जैसे भी, मैं घर की लाज हूँ ।।
कुछ रंग तो दिखाएगी , जो चल रहा है अब।
खामोशी के लबो पर छिड़ा , में वक्त का मीठा राग हूँ।।
कलकल-सी वह चली, पर्वत को तोड़ कर ।
मैं कैसे भूल जाऊ, मैं बस तेरा प्यार हूँ।।
भुजंग जैसे लिपटे है , चंदन के पेड़ पर ।
मजबूरियों में लिपटा हुआ , तेरा ख्बाव हूँ।।
चुप हूँ मगर , में कोई पत्थर तो नही हूँ।
जो तुम न कह सके, मैं वो ही बात हूँ
बस भी कर, के तू मुझको न याद आ ।
न वह सकेगा जो, में ऐसा आव हूँ।।
मेहदी न बारातै न सिन्दूर चाहिए ।
मान लिया हमने जब तुम ने कह दिया , मैं तेरा सुहाग हूँ।।
खुद को न समझना, कभी तन्हा और अकेला।
ज़िन्दगी के हर कदम पर , मैं तेरे साथ - साथ हूँ।।