25.8.09
बस पर किया पथराव
जींद : हरयाणा के जींद जिले के सफीदों कसबे के पीर बाबा पर माथा टेकने आए श्रद्धालुओं की बस पर कुछ अज्ञात लोगों ने पथराव कर दिया, जिसमें बस के सारे शीशे टूट गए। उसके बाद उक्त लोगों ने बस में सो रहे बस के कंडक्टर व ड्राईवर की बुरी तरह से धुनाई कर डाली, जिसमें कंडक्टर व ड्राइवर घायल हो गया। दोनों घायलों को उपचार के लिए जींद के अस्पताल में लाया गया जहां हालत गंभीर देखकर घायलों को रोहतक रेफर कर दिया गया है। इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी गई है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। जानकारी के अनुसार रविवार रात अंबाला से श्रद्धालुओं से भरी एक बस नंबर सीएच-03ई-2831 में सफीदों पीर बाबा पर माथा टेकने के लिए आई हुई थी। श्रद्धालु बस से उतरकर पीर बाबा के दरबार में जा चुके थे, जिसके बाद कुछ अज्ञात युवक आए और बस में सो रहे कंडक्टर सुशील व ड्राईवर सुरेश पर हमला कर दिया, जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गए। जब उन्हे पीटने के बाद भी हमलावर शांत नहीं हुए तो बाद में हमलावरों ने बस पर पथराव कर दिया जिससे बस के सारे शीशे टूट गए। इस बारे में बस के मालिक मनदीप सिंह अंबाला वासी से फोन पर संपर्क साधा तो उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि हर साल करीब 6-7 बसें श्रद्धालुओं की भरकर गूगा-मेड़ी, सफीदों व अन्य कई धार्मिक स्थानों पर माथा टेकने के लिए आती है। इसी प्रकार रविवार को भी सभी बसें गूगा-मेढ़ी व कई धार्मिक स्थानों से होकर सफीदों पहुंची थी, जिसके बाद रविवार रात करीब 11 बजे उन्हे सूचना मिली की उनकी बस पर पथराव कर दिया है और कंडक्टर व ड्राइवर के साथ मारपीट भी की गई है। सूचना पाते ही वह सफीदों पहुंचे और पुलिस में शिकायत की। उन्होंने बताया कि बस पर पथराव होने से उनको भारी नुकसान हुआ है।
मैं तेरे साथ - साथ हूँ.........
समझो तो , मैं ही जवाब हूँ ।।
उलझी हुई,इस ज़िन्दगी में।
सुलझा हुआ-सा तार हूँ।।
बैठे है दूर तुमसे , गम न करो ।
मैं ही तो बस, तेरे पास हूँ।।
जज्वात के समन्दर में दुबे है।
पर मैं ही , उगता हुआ आफ़ताब हूँ
रोशनी से भर गया सारा समा ।
पर मैं तो, खुद ही में जलता हुआ चिराग हूँ ।।
जैसे भी ज़िन्दगी है, दुश्मन तो नही है।
तन्हा-सी हूँ मगर, मैं इसकी सच्ची यार हूँ।।
जलते हुए जज्वात , आंखो से बुझेंगे ।
बुझ कर भी न बुझी, मैं ऐसी आग हूँ।।
कैसे तुम्हे बता दें , तू ज़िन्दगी है मेरी ।
अच्छी या बुरी जैसे भी, मैं घर की लाज हूँ ।।
कुछ रंग तो दिखाएगी , जो चल रहा है अब।
खामोशी के लबो पर छिड़ा , में वक्त का मीठा राग हूँ।।
कलकल-सी वह चली, पर्वत को तोड़ कर ।
मैं कैसे भूल जाऊ, मैं बस तेरा प्यार हूँ।।
भुजंग जैसे लिपटे है , चंदन के पेड़ पर ।
मजबूरियों में लिपटा हुआ , तेरा ख्बाव हूँ।।
चुप हूँ मगर , में कोई पत्थर तो नही हूँ।
जो तुम न कह सके, मैं वो ही बात हूँ
बस भी कर, के तू मुझको न याद आ ।
न वह सकेगा जो, में ऐसा आव हूँ।।
मेहदी न बारातै न सिन्दूर चाहिए ।
मान लिया हमने जब तुम ने कह दिया , मैं तेरा सुहाग हूँ।।
खुद को न समझना, कभी तन्हा और अकेला।
ज़िन्दगी के हर कदम पर , मैं तेरे साथ - साथ हूँ।।
24.8.09
महिलाओं ने रोका दो मंत्रियो का रास्ता
चर्चित वेदपाल हत्याकांड में एक नया मोड़
हरियाणा(जींद) : चर्चित वेदपाल हत्याकांड में एक नया मोड़ आ गया है। सोनिया के पति राजेश ने पुलिस को शिकायत देकर वेदपाल के भाई पर धमकी देने का आरोप लगाया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। राजेश ने शिकायत में लिखा है कि सुरेंद्र निवासी मटोर ने उसके मोबाइल पर जान से मारने की धमकी दी है। सोनिया की शादी उसके परिजनों ने हनुमाननगर वासी राजेश के साथ कर दी थी। आरोपी सिंगवाल में मारे गए वेदपाल का भाई है। पुलिस ने हनुमाननगर नरवाना निवासी राजेश की शिकायत पर मटोर निवासी सुरेद्र के खिलाफ मामला दर्ज किया है। काबिलेजिक्र है कि कुछ समय पहले हाइकोर्ट के आदेश पर मटोर गांव निवासी वेदपाल अपनी पत्नी सोनिया को लेने के लिए सिंगवाल गांव गया था। यहां पुलिस की मौजूदगी में वेदपाल की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस अबतक छह से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में पिछले दिनों वेदपाल का भाई सुरेंदर ने जींद के एसपी से मामले की जांच सीबीआई या अपराध शाखा से कराने की मांग की थी। इस मामले में पिछले दिनों उस समय नया मोड़ आ गया जब सोनिया के पति हनुमाननगर निवासी राजेश ने पुलिस को शिकायत कर दी कि उसे वेदपाल के भाई सुरेंदर ने मोबाइल पर धमकी दी है। पुलिस ने यह मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
23.8.09
रुपये लौटाकर दिया ईमानदारी का परिचय
मेरी विदाई
देखुं , आज कौन-कौन मेरे घर पर आया है? एक कोने में दादा दादी और नाना नानी बैठे है।
अंकल आंटी भी आये हुए हैं। मामा मामी के साथ चिंकु, बंटी, भी आये हैं। सूरत वाले अंकल ने तो मेसेज भेजा है कि उन्हें कहीं ओफ़िस के काम से जाना हुआ है, इसीलिये नहीं आ सकते।
आज कोई फ़ंकशन है। मेरे प्रिंसिपल और कुछ टिचर्स भी आये हैं। पर......अभी तक मेरी सहेलियां क्यों नहीं आई? परेशान हुं मैं!!!!
मेरी मौसी-मौसा भी नहीं आये। अंकल आंटी दूर क्यों बैठे हैं मुझसे?
हरबार प्यार से मेरे साथ खेलनेवाले चिंकु बंटी आज मेरे पास क्यों नहीं बैठते?
क्यों सब मुझसे दूर दूर भाग रहे हैं ?
कहीं से घी की तो कहीं से आ रही अगरबत्ती के धुएं की बदबू मुझे बेचैन कर रही है।
ये कैसा कार्यक्रम है जिसमें सन्नाटा छाया हुआ है?
मैं ये नहीं समझ पा रही कि मुझे कोई प्यार से पुचकारता क्यों नहीं है?
साथ में खेलनेवाली सहेलियां भी आज गायब हैं। घर के बाहर लगी भीड़ में कानाफुसी चल रही है।
लो अब मेरी विदाई का वक़्त आ गया।
मेरे चहेरे से कपड़ा हटाया गया ताक़ि कोई मुझसे मिलना चाहे तो मिल ले।
पर सब लोग मुंह पर कपड़ा डालकर रोने लगे। कोई आगे नहीं आया।
मुझे विदा करने भी नहीं
हाँ....... मेरी मम्मी दौड़ती चिल्लाती मेरे करीब आई। मेरे चहेरे को चूमने लगी। रिश्तेदार लोग उसे मुझसे दूर हटाने की कोशिश कर रहे थे पर वो थी कि मुझे छोड़ ही नहीं रही थी।
छोड़ती भी कैसे....?
उसने मुझे अपने उदर में नौ महिने जो रखा था। मुझे अपना अमृत जो पिलाया था।
वो अच्छी तरह जानती थी कि उसकी बेटी का आख़री दिन है। फिर मैं कभी वापस आनेवाली नहीं हुं।
क्योंकि आज मेरी मृत्यु हुई है।
लोग कह रहे थे कि मेरी मृत्यु “स्वाइन फ़्ल्यु” से हुई है।
अब मैं समझी कि सब कोई दूर दूर क्यों भाग रहे थे मुझसे।
वाह री दुनिया ! क्या रिश्ते निभाते है लोग!!!! जब जान पर बनती है, अपने भी पराये हो जाते हैं।