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मेरे ख्वाब में आके किसने जगाया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
जो भुले थे वो आज फिर याद आया।
मुझे आज म्रेरा वतन याद आया।
वो गांवों के खेतों के पीपल के नीचे।
वो नदिया किनारे के मंदिर के पीछे।
वो खोया हुआ अपनापन याद आया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
वो सखियों–सहेली की बातें थीं न्यारी।
वो बहना की छोटी-सी गुडिया जो प्यारी।
वो बचपन की यादों ने फिर से सताया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
वो भेडों की, ऊंटों की लंबी कतारें।
वो चरवाहों की पीछे आती पुकारें।
कोई बंसरी की जो धुन छेड आया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
वो बाबुल का दहलीज पे आके रूकना।
वो खिड़की के पीछे से भैया का तकना।
जुदाई की घड़ियों ने फिर से रुलाया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
मेरे देश से आती ठंडी हवाओ!
मुझे राग ऐसा तो कोई सुनाओ।
जो बचपन में था अपनी मां ने सुनाया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।