21.8.09
पानी में पड़ा मिला अज्ञात का शव
20.8.09
अतीतजीवी राजनीति की बंधक एक पार्टी
दहेज़ के लिए तंग करने पर आठ नामजद
19.8.09
मुझे आज मेरा वतन याद आया...
मेरे ख्वाब में आके किसने जगाया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
जो भुले थे वो आज फिर याद आया।
मुझे आज म्रेरा वतन याद आया।
वो गांवों के खेतों के पीपल के नीचे।
वो नदिया किनारे के मंदिर के पीछे।
वो खोया हुआ अपनापन याद आया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
वो सखियों–सहेली की बातें थीं न्यारी।
वो बहना की छोटी-सी गुडिया जो प्यारी।
वो बचपन की यादों ने फिर से सताया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
वो भेडों की, ऊंटों की लंबी कतारें।
वो चरवाहों की पीछे आती पुकारें।
कोई बंसरी की जो धुन छेड आया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
वो बाबुल का दहलीज पे आके रूकना।
वो खिड़की के पीछे से भैया का तकना।
जुदाई की घड़ियों ने फिर से रुलाया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
मेरे देश से आती ठंडी हवाओ!
मुझे राग ऐसा तो कोई सुनाओ।
जो बचपन में था अपनी मां ने सुनाया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
मंगलमुखियों(किन्नरों) को नही भा रही सरकारी बधाई
18.8.09
बच्चे पैदा होने का लालच देकर महिला से ब्लात्कार
मुस्कुराता तूं चलाजा
आदमी है, आदमी से मिलता-मिलाता तू चलाजा।
गीत कोई प्यार के बस गुनगुनाता तू चलाजा।
गर तुझे अँधियारा राहों में मिले तो याद रख़,
हर जगह दीपक उजाले के जलाता तू चलाजा।
जो तुझे चुभ जायें काँटे, राह में हो बेखबर,
अपने हाथों से हटा कर, गुल बिछाता तू चलाजा।
सामने तेरे ख़डी है जिंदगानी देख ले,
बीती यादों को सदा दिल से मिटाता तू चलाजा।
”राज़” हम आये हैं दुनिया में ज़ीने के लिये।
हँस के जी ले प्यार से और मुस्कुराता तू चलाजा।