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8.8.09

दाता तेरे हज़ारों हैं नाम



दाता तेरे हज़ारों है नाम…(2)

कोई पुकारे तुझे रहीम,

और कोई कहे तुझको राम।दाता(2)

क़ुदरत पर है तेरा बसेरा,

सारे जग पर तेरा पेहरा,

तेरा राज़ बड़ा ही गैहरा,

तेरे इशारे होता सवेरा,

तेरे इशारे होती शाम।दाता(2)

ऑंधी में तुं दीप जलाए,

पत्थर से पानी तूं बहाये,

बिन देखे को राह दिख़ाये,

विष को भी अमृत तू बनाये,

तेरी कृपा हो घनश्याम।दाता(2)

क़ुदरत के हर-सु में बसा तू,

पत्तों में पौंधों में बसा तू,

नदिया और सागर में बसा तू,,

दीन-दु:ख़ी के घर में बसा तू,

फ़िर क्यों में ढुंढुं चारों धाम।दाता(2)

ये धरती ये अंबर प्यारे,

चंदा-सूरज और ये तारे,

पतझड़ हो या चाहे बहारें,

दुनिया के सारे ये नज़ारे,

देखूँ मैं ले के तेरा नाम।दाता(2)




7.8.09

चार पशु-चोर गिरफ्तार

हरियाणा के नरवाना सदर थाना पुलिस ने लाखो रुपये के पशु चुराने के मामले में चार लोगो को गिरफ्तार किया है. पुलिस पकड़े गए लोगो से पूछताछ कर रही हे। गाँव दनोदा कलां के राजू ने अगस्त को पुलिस में दी शिकायत मेंबताया था कि कोई उसके पशु को चुरा ले गया है। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चार लोगों को पकड़ा है।जिनकी पहचान गाँव के ही बबली, परवीन, राजबीर और काला के रूप में हुई। पुलिस ने पकड़े गए लोगों के कब्जे सेचुराए गए पशु भी बरामद किए हैं।

अय धूप कि किरन...



तूं हर सुबह मेरे घर की खिड़की पर दस्तक देती थी।.

छोटी-छोटी किवाडों से मेरे घर में चली आया करती थी।

मैं चिलमन लगा देती फिर भी तू चिलमनो से झांक लिया करती।

तेरी रोशनी चुभती थी मेरी आंखों में,मेरे गालों पर,मेरी पेशानी पर।

मैं तुझे छुपाने कि कोशिश करती थी कभी किताबों के पन्नों से तो

कभी पुरानी चद्दरों से.लेकिन…..

ऎ किरन ! तू किसी न किसी तरहां आ ही जाती.ना जाने तेरा मुजसे

ये कैसा नाता था?क्यों मेरे पीछे पड गई है तूं ?

आज मुझे परदेश जाने का मौका मिला है.मै बहोत खुश हुं।

ऎ किरन ! चल अब तो तेरा पीछा छुटेगा !

दो साल बाद वापस लौटने पर…..

जैसे ही मैने अपने घर का दरवाजा खोला !

मेरा घर मेरा नहीं लगा मुझे,

क्या कमी थी मेरे घर मैं?

क्या गायब था मेरे घर से?…..

अरे हां ! याद आया ! वो किरन नज़र नहीं आती !

बहोत ढुंढा ऊसे,पर कहीं नज़र नहीं आई,वो किरन,

खिड़की से सारी चिलमनें हटा दी मैने,फिर भी वो नहीं आई,

क्या रुठ गई है मुझ से?

घर का दरवाज़ा खोलकर देखा तो,

घर की खिड़की के सामने बहोत बडी ईमारत खडी थी.उसी ने किरन को

रोके रखा था।

आज मैं तरसती हुं, ऊस किरन को, जो मेरे घर में आया करती थी।.

कभी चुभती थी मेरी आंखों में..मेरे गालों पर…

आज मेरा घर अधूरा है, ऊसके बिना.ऊसके ऊजाले से मेर घर रोशन था.

पर आज ! वो रोशनी कहां? क्यों कि ….!

वो धूप की किरन नहीं..

6.8.09

मायावती की पूरक बजट, मै हूं हिमायती...

उत्तर प्रदेश की या तो किस्मत खराब है या तो यहां के नेता ज़रुरत से ज्यादा ही स्याणे हो गये हैं, या ये भी हो सकताहै कि दोनों ही हो। जिस तरह का पूरक बजट आया है उसे देखकर लग रहा है कि उत्तर प्रदेश के 47 से ज्यादा ज़िलेसूखाग्रस्त हुये ही हो। प्रदेश में 47 ज़िले सूखा ग्रस्त घोषित हो चुके हैं लेकिन इस बजट को देखकर लोगों को येलग रहा होगा प्रदेश सूखाग्रस्त नहीं मूर्तित्रस्त है। जिस कारण यहां हर रोज़ कभी हाथी तो कभी सुश्री मायावतीअपनी औऱ साथ में उनके गुरु काँशीराम की मूर्तियां लगवाई जा रही हैं। आपको बता दूं कि मूर्ति में होने वाला खर्चहै लगभग 512 करोड़ से ज्यादा लेकिन आपको ये जानकर औऱ ज्यादा शर्म आयेगी कि सूखाग्रस्त ज़िलों के लियेसिर्फ 250 करोड़ रुपये खर्च का बजट लाया गया है। शर्म इसलिये कि यार हमने ही तो चुना है मायावती को। पतानहीं खुद ने या किसी और ने लेकिन वोट तो हमें ही देने होते हैं। बड़ा संकट खड़ा हो जाता है जब वोटिंग का समयआता है। समझ में ही नहीं आता है कि किसे वोट दें... उस वक्त तो सभी एकदम देवता स्वरुप नज़र आते है लेकिनअसली रंग दिखता है कुछ समय सत्ता में बीत जाने पर, जब पता चलता है कि घोटाले में हर किसी का नाम आया।तो फिर यूपी के लोगों तैयार हो जाओ, इस लेख में दो बातों पर ज़ोर दूंगा कि एक तो मायावती के मज़ेदार औऱलोगों को बेवकूफ बनाने वाले पूरक बजट पर.....दूसरा क्या इस वक्त उनके अलावा कोई विकल्प है आपके पासशेष merajawab.blogspot.com पर पढ़ें ....

5.8.09

एक मजदूर की मौत

हरियाणा में जिला जीन्द के अलेवा गाँव में एक बिहारी मजदूर की कुए में गिरने से मौत हो गई। मृतक की पहचान बिहार प्रान्त के खुदीना गाँव के रणजीत शाह के रूप में बताई गई है रणजीत के साथ काम करने वाले मजदूर ने बताया कि रणजीत की तबियत आज सुबह से ही खराब थी। खेत में ही बने आवासीय कमरे से बाहर निकलते समय पैर फिसल जाने के कारण वह कुए में जा गिरा। अस्पताल लाते वक्त रणजीत ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था। मृतक के शव को अस्पताल के ही शव-गृह में रखवा दिया गया है।

4.8.09

“आज मेरी दादीमाँ का श्राद्ध है

आज मेरी दादीमाँ का श्राद्ध है, आज तो मेरी मम्मी ने अच्छे अच्छे पकवान
बनाये होंगे। ख़ीर पूरी, लड्डू। मज़ा आयेगा घर जाकरपिन्टु बोला। शाम को
तूँ मेरे घर आयेगा?
अच्छा आउंगा,”कल शबेबारत है ? मेरे दादा का भी कल फ़ातिहा है कल मुज़े
भी हलवा पुरी ख़ाने को मिलेगा। तूँ भी मेरे घर आना।राजा ने कहा।
शाम को राजा पिन्टु के घर पहोंचा। पिन्टु कि मम्मी ने राजा को खीर पूरी,
लड्डू, दिये। पिन्टु ने राजा से कहाचल छत पर खेलेंपिन्टु और राजा छत
पर खेलने लगे। खेलते खेलते बॉल राजा के हाथ से छुट गइ।, और सीढी से नीचे
की और लुढकने लगी। भागता हुआ राजा नीचे की तरफ उतरने लगा। बॉल सीढी से
सटे कमरे में चली गइ। राजा कमरे की और बढा, दरवाज़ा थोडा ख़ुला सा था।
आतुरता वश राजा ने दरवाज़े को धीरे से खोला। कमरे में अँधेरा था। कुछ बदबु
सी रही थी। राजा ने अपने हाथों से टटोलकर बॉल को ढुंढ लिया और जल्दी से
बाहर कि तरफ भागने लगा। भागते भागते उसके पैर से कोइ चीज़ टकरा गइ।कौन
है वहां”? किसी बिमार कि आवाज कानों में लगी। और कमरे में लाइट जलने लगी।
राजा ने देखा कि एक बूढा आदमी पलंग पर लेटा हुआ था। पलंग के नजदीक छोटा
सी एक टिपोइ रखी थी। एल्युमिनीयम की प्लेट में एक लड्डु आधा खाया हुआ। एक
कटोरी में ख़ीर थोडी प्लेट में ढुली हुई थी। बूढा आदमी कमज़ोर, बिमार लग
रहा था। कमरे की बदबू ही बता देती थी कि कमरे में बहोत दिनों से सफ़ाइ
नहिं हुई।
राजा भागता हुआ कमरे से बाहर निकल आया। इतने में पिन्टु भी वहां आगया।
क्या बॉल मिली? चल खेलें कहकर पिंन्टु राजा को फ़िर से छत पर ले गया। पर
राजा का अब मूड नहिं रहा था। उसने पिंन्टु से पूछा तेरे घर में कौन कौन
हैं?
पिन्टु बोला मैं मम्मी पापा और दादाजी।‘ “पर मैने तेरे दादा को तो नहिं
देखा कहां हैं वो?
वो बिमार हैं, एक बात बताउं राजा! मेरे दादा पहले बिमार नहिं थे। मेरी
दादी के मर जाने के बाद वो बिमार रहने लगे। तूं किसी से कहना मत पर मेरी
मम्मी उन्हें बहोत परेशान करती है। दादी के साथ भी यही होता रहा
था।पिन्टु ने गंभीर स्वर में कहा।तेरे पापा को ये सब पता था?” राजा
बोला।नहिं ! पापा पहले ज़्यादातर बाहर टुर पर ही रहते थे। उनके आने पर
भी दादा दादी कुछ नहिं कहते थे।पता है जब दादी मर गइ तब मेरे दादा बहोत
रोये थे। अभी भी अकेले अकेले रोते है। मुज़े बड़ा तरस आता है अपने दादा
पर, क्या करुं मैं भी मम्मी से डरता हुं। किसी किसी बहाने मुज़े वो पापा
कि डाँट ख़िलाती रहती है।पिन्टु की आंखें भर आईं। ये मम्मी पापा कैसे होते
हैं राजा? पहले तो हमारे बुज़ुर्गों से पराये सा व्यवहार करते हैं फ़िर
उनके मरने के बादश्राद्ध”, औरफ़ातिहाका नाटक करते है।“ ”मगर मेरी
अम्मी अब्बू ने तो मेरे दादा दादी के साथ ऐसा नहिं किया।?” एक मान भरे
स्वर में राजा ने कहा।‘ ”तूं नसीबदार है राजा! मुज़े तो अब मेरी मम्मी पर
भी तरस रहा है कि वो भी जब किसी की सास बनेगी तो क्या उसकी बहु भी
मम्मी के साथ ऐसा ही करेगी?”पिन्टु नम्र स्वर में बोला।पता नहिंचल
बहोत देर हो गई है। अब्बू गुस्सा हो जायेंगे राजा बोलाकल तूं भी मेरे
घर ज़रूर आना। हलवा खाएंगे साथ मिलकर रातभर राजा करवटें बदलता रहा। उसे
पिन्टु की हर बात याद रही थी। छोटा सा दिमाग बडी बडी बातों में उलज़ रहा
था। अचानक उसे कुछ डरावना ख़याल आया। तन पर ओढी हुइ चादर दूर हटाकर एकदम
दौडा अपनी दादी के कमरे की और.. दादी अम्मा एनक़ लगाये क़ुरानशरीफ़ कि
तिलावत कर रही थी। शायद दादाअब्बा की रुह के सवाब के लिये। उसने एक रुख़
अपने अम्मी अब्बू के कमरे कि तरफ़ किया।
दोनों बेख़बर सो रहे थे।

3.8.09

सोशल नेटवर्किंग साइट्स से कैंसर का खतरा

लंदन। अगर आप फेसबुक या माय स्पेस जैसी ऑनलाइन कम्युनिटीज साइट्स का लगातार इस्तेमाल करते हैं तोहो सकता है कि भविष् में आपको कुछ समस्याओं का सामना करना पड़े। एक रिपोर्ट के मुताबिक इन साइट्स काज्यादा इस्तेमाल करने से कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है।एक साइंस मैग्जीन में छपी रिपोर्ट में दावा कियागया है कि इन वेबसाइट्स पर लगातार जाने से कैंसर, लकवा और मेमोरी लॉस होने का खतरा बढ़ सकताहै।मनोचिकित्सक एरिक सिगमैन ने एक रिपोर्ट में कहा कि दोस्तों से मुलाकात करने के बजाय उन्हें ईमेल करनेका व्यापक बायो-साइंटिफिक असर हो सकता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता, हार्मोन के लेवल और धमनियों केकामकाज पर असर पड़ता है। इतना ही नहीं मानसिक क्षमता भी प्रभावित हो सकती है, जिससे कैंसर, लकवा औरमेमोरी लॉस जैसी गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।सिगमैन ने कहा कि ये वेबसाइट्स लोगों के बीचआपसी संपर्क बढ़ाने के उद्देश्य से बनाई गई हैं, लेकिन ये लोगों में अकेलापन बढ़ा रही हैं। शोध बताते हैं कि 1987 से लोगों के आमने-सामने बात करने के घंटों में काफी कमी आई है क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का इस्तेमाल बढ़गया है। ‍‍ ‍‍