रुण्ड मुण्ड सब मिल गावही,,,
छावही मरू भूमि रुण्ड ते ,,,,,
मुण्ड मुण्ड उडावही,,,,,,
गावही मरू गीत कोई ……
।मरू द्वंद कोई बजावही,,,,,
कोई छावही कोई जावही …
कोई जोर जोर चिल्लावही,,,,,
कोई हाथ बिनु मारही …॥
कोई मुख बिनु चिल्लावाही …
कोई पैर बिनु आबही ,,
कोई ,कोई पैरबिनु जावाही ,,,,,
जुंड जुंड आवही ,,,
मरू नीद सोवही॥
स्वान गीत गावही ,,,
काग गीत गावही…
गिद्ध नोच नोच के,
आतडी खावही,,,
झुंड के झुंड चील नर मुण्ड खावही…।
खावही विखरावही गीत भोज गावही ,,,,
स्वान नोचे पांव तो आंख काग खावही,,
ले जावही नभ में ,,,,
कोई नभ ते गिरावही,,,
झपटी झपटी धावही
झपटी लै जावही ,,,
मरे मरे खावही अधमरे नुचावही,,,,,,
हाय हाय चिल्लावही कोई ना सुनावही…
रोवही चिल्लावही हाथ ना हिलावही,,,
खुलत झपट आंख काग लै जावही…।
चीख चीख के अधमरे,
जियति मांस स्वान खावही …॥
मनो रंक भिखारी आजु राज भोज पावही …
आओ युद्ध की गरिमा सुनावही ,,,,,,,,