इसमे प्रतिभागी का भाग लेने का आधार अलग-अलग हो सकता है । जहाँ एक ओर इसमे एक करोड़ रुपये का लालच , विवादस्पद होकर प्रसिद्धि पाने की चाह और डूबते कैरियर को सहारा देने की चाह अथवा अभिव्यक्त ना हुई या अपूर्ण हुई चाहत के चलते दीवानगी माना जा सकता है । वहीं दूसरी ओर कार्यक्रम को ज्यादा लोकप्रिय बनाने हेतु कार्यक्रम ज्यादा रोचक एवं स्टेज दर स्टेज ज्यादा निजता की परत उघाड़ कर उत्सुकता पैदा करने का प्रयास कहा जा सकता है । साथ ही विवादस्पद रूप देकर टी आर पी बढ़ाने की चाह से भी इनकार नही किया जा सकता है ।
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का नाम देकर इसके पूरे स्वरुप को पूरी तरह उचित नही कहा जा सकता है । ऐसी अभिव्यक्ति जो परिवार और समाज के हित में नही हो उसे उचित नही कहा जा सकता है । पारिवारिक रिश्ते को विघटन की ओर ले जाने और असामाजिक अवं अमर्यादित गतिविधियों के सार्वजनिक प्रदर्शन पारिवारिक संस्था और समाज की सेहत के लिए ठीक नही माने जा सकते हैं । इस तरह के कार्यक्रम को सही रूप में प्रस्तुत किया जाए एवं अवैध संबंधों और निजता से जुड़े अमर्यादित सीमा रहित प्रश्नों को दरकिनार किया जाए तो ऐसे कार्यक्रम देश और समाज के हित में एक नई क्रांति का आगाज और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एक नए युग का सूत्रपात कर सकते हैं । झूठ पकड़ने की मशीन के प्रयोग से सच को सामने लाने की अवधारणा को अपनाते हुए कथित रूप से आरोपित व्यक्ति और देश में छुपे बहरूपियों द्वारा दिए जाने वाले साक्षारकात की हकीकत को सामने लाकर बेनकाब किया जा सकता है
आशा है भारतीय परिवेश के अनुरूप इस तरह के कार्यक्रम को सुसंस्कारित रूप में परिमार्जित एवं संसोधित कर नए रूप में प्रस्तुत किया जावेगा जो देश और समाज के हित के अनुरूप सर्वग्राह्य होगा ।