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26.7.09

क्या प्रेम करने वालो को जीने का अधिकार नही?

हमारे देश मे सबको जीने का समान अधिकार दिया गया है। लेकिन आज भी कुछ रुढिवादिता हमारे समाज में पसरी हुई है, जिसे दूर करना जरुरी है। हरियाणा के जींद जिले के सिंघ्वल गाँव में जो घटना हुई. उससे सीधा कानून को चुनोती दी गई है और पुलिस भी खाप पंचायत के आगे झुकी नज़र आती है। मटार के रहने वाले वेदपाल का कसूर सिर्फ़ इतना था कि वह अपनी पत्नी को लेने गया था, जहाँ उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी गईक्या आज के समाज मे प्यार करना कोई जुर्म है? एक तरफ़ तो पुलिस लोगो की हिफाजत करने की बात करती तो दूसरी तरफ़ वेदपाल जैसे लोग जो पुलिस पर विश्वास कर जाते है, उन्हें मौत जैसी सजा मिलती है। क्या प्रेम करने वालो को जीने का अधिकार नही?
वेदपाल
की हत्या करने वाले सोनिया के पिता अन्य तीन लोगो को कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ से उनको दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है।वहीं इस मामले में कईं सामाजिक संगठनों ने हाईकोर्ट मे अर्जी दायर की है और इंसाफ की मांग की है।

तुगलक की विरासत और हमारी-----

वर्तमान को इतिहास से जोडने में हमारी प्राचीन धरोहरे एक सेतु का काम करती हैं। आज जब हम अपनें वर्तमान के एश्वर्य पर गर्व करते है वही इतिहास की विशालता हमारे उस गर्व को धुमिल कर देती है।दिल्ली में जहाँ लाल किला, इंडिया गेट, कुतुब मीनार जैसी विख्यात ऐतिहासिक महत्व की जगह हैं। वही कम परिचित इमारतें जैसे हौज खास गाँव में तुगलक का सुन्दर किला भी एक देखने लायक जगह है। यह तुगलक शासन की एक महत्वपूर्ण निशानी है। १३९८ में तुगलक का बना हुआ यह किला ईडों-इस्लामिक शैली में बना हुआ है। शहर की भीड-भाड से दूर, शांत कोने में दम साधे खडी यह इमारत सबको आकर्षित करती है। बाहर से साधारण सी दिखने वाले इस किले की भव्यता भीतर जा कर ही पता चलती है। अंदर घने पेड बेहद खूबसूरत नजारा प्रस्तुत करते हैं। हौज खास का नामकरण " हौज खास" यानी शाही टँकी खिलजी के नाम पर पडा। गयासुदीन ने भारत के काफी बडे भाग पर शासन किया १३२० से १४१२ तक। तुगलक के शासन के खत्म होते ही दिल्ली कई राज्यों में बंट गई। अलाऊद्दीन खिलजी ने सिरी फोर्ट के निवासीयों के लिये इस पानी की टंकी को बनवाया था। इसके साथ ही तुगालाक का किला है और मदरसा भी है जहाँ से कई सारी सिढियाँ शाही टैक की ओर जाती हैं।
वर्तमान का आँखों देखा सच।
बेशक हौज खास गाँव आज एक अमीर इलाका माना जाता है। यहाँ सैलानियों का तांता लगा रहता है और यहाँ बुटीक, कलात्तमक, बेहतरीन रेस्तरा है।पर उपेक्षित से पडे इस नयनाभिराम किले की हालत को देखकर बेहद दुख होता है, जरूर हमारे देश में पुरातत्तव विभाग है पर अभी वह गहरी नीदं ले रहा है, जाने कब वह नींद से जागेगा और उपेक्षित पडे इस किले की सुध लेगा। इतिहास हमारा कल है जिस की नींव पर हमारा आज खडा हुआ है, पर जब इतिहास के पाँव लडखडा रहे हो तो हमें अपने आज पर इतना गर्व करना शोभा नहीं देता। सभी पुरानी इमारतें की सुरक्षा सरकार और आम आदमी का परम दायित्व होना चाहिये।

25.7.09

देख़ो आई रुत मस्तानी





देखो आई रुत मस्तानी

बादल से बरसा है पानी।

रिमझिम रिमझिम बरख़ा से लो

मिट्टी हो गई पानी- पानी।

देखो आई रुत मस्तानी।

पत्ते-पेड़ हुए हरियाले, भर गये देख़ो नदियां नाले।

धरती हो गई धानी धानी...

देखो आई रुत मस्तानी।

मेंढक ने जब शोर मचाया, मुन्ना देखो दौडा आया।

हँस हँस नाची गुडिया रानी..

देखो आई रुत मस्तानी।

बिजली चमकी बादल गरजे,रिमझिम रिमझिम बरख़ा बरसे।

आई एक तूफ़ानी॥

देखो आई रुत मस्तानी।

पपीहा पीऊ पीऊ गाता जाये,मोर अदाएं करता जाये।

करते हैं कैसी नादानी...

देखो आई रुत मस्तानी।

मैं पगली नाचुं और गाऊं, भीगुं तो ऐसे शरमाऊं।

बरखा ने दी पूरी जवानी..

देखो आई रुत मस्तानी।



पुलिस वाले भाग गए थे

जींद : सिंघ्वल गाँव में हुई वेदपाल की हत्या के मामले में मृतक वेदपाल की पत्नी सोनिया के पिता सहित चार लोगो को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है। काबिल--ज़िक्र है कि गत २२ जुलाई की रात को मटार निवासी वेदपाल सिंघ्वल गाँव से अपनी पत्नी सोनिया को लेने गया था। उसके साथ वारंट ऑफिसर पुलिस वाले थे। इस दोरान ग्रामीणों ने हमला कर दिया, जिसको देख पुलिस वाले भाग गए थे और वारंट ऑफिस का पेर टूट गया था। ग्रामीणों ने वेदपाल को घेर लिया था और उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। इस मामले मे पुलिस ने मृत वेदपाल की पत्नी सोनिया के पिता सहित चार लोगो को गिरफ्तार किया है। यहाँ बता दे की मटार निवासी वेदपाल और सिंघ्वल निवासी सोनिया ने चार महीने पहले भाग कर शादी की थी। उसके बाद पंचायत ने दोनों को जान से मारने का फरमान जारी किया था। मामला शांत होने पर सोनिया बाद में अपने घर गई थी। लेकिन वह वापस नही गई। जब वेदपाल उसे लेने गया तो पुलिस की मोजुदगी मे उसकी हत्या कर दी गई। यहाँ बता दे कि गत दिवस सोनिया ने कोर्ट मे पेश होकर वेदपाल के खिलाफ बयान दिए थे। जिसमे उसने कहा था कि वेदपाल उसे नशे की गोलिया खिलाता था और उसकी शादी भी नशे में हुई, उसे उसकी शादी के बारे में कुछ नही पता।

मिड -डे मील

पुराने से फटे टाट पर
स्कूल के पेड के नीचे
बैठे हैं कुछ गरीब बस्ती के बच्चे
कपडों के नाम पर पहने हैं
बनियान और मैले से कछे
उनकी आँखों मे देखे हैं कुछ ख्वाब
कलम को पँख लगा उडने के भाव
उतर आती है मेरी आँखों मे
एक बेबसी,एक पीडा
तोडना नही चाहती
उनका ये सपन
उन्हें बताऊँ कैसे
कलम को आजकल
पँख नही लगते
लगते हैँ सिर्फ पैसे
कहाँ से लायेंगे
कैसे पढ पायेंगे
उनके हिस्से तो आयेंगी
बस मिड -डे मीळ की कुछ रोटियाँ
नेता खेल रहे हैं अपनी गोटियाँ
इस रोटी को खाते खाते
वो पाल लेगा अंतहीन सपने
जो कभी ना होंगे उनके अपने
वो तो सारी उम्र
अनुदान की रोटी ही चाहेगा
और इस लिये नेताओं की झोली उठायेगा
काश कि इस
देश मे हो कोई सरकार
जिसे देश के भविष्य से हो सरोकार्


24.7.09

...हमारा इन्तेज़ार तो देखो

आओ ना.......इतने नखरे क्यों करती हो ?

मौसम तो देखो.............

मौसम की पुकार तो देखो

पूर्व से आती बयार तो देखो

हमारा प्यार न देखो, न सही

पर हमारा इन्तेज़ार तो देखो


देखो तो सही

कितने उतावले हैं हम तुम्हारे लिए

अरे यार ! बावले हैं हम तुम्हारे लिए

तुम हो कि नखरैल बनी हो.............


मेरे आँगन में आती ही नहीं हो

मेरा दामन सरसाती ही नहीं हो


माना कि तुम फ़िदा हो अपने ही हुस्न पर

वक्त लगता है तुम्हें दर्पण से हटने में

लेकिन याद रख ___

मौसम तो तुम्हारा गुलाम नहीं है

बरसे बिन तुम्हें भी आराम नहीं है


अपने प्यासों को गर प्यासा ही मार डालोगी

तो क्या करोगी

उस जल का

जो आँचल में भरा है ..............अचार डालोगी ?

अरी ओ घटा...............

अब तो घट जा............

तुझसे तो बादल ही भला

जो उमड़-घुमड़ आता है

और झट से बरस जाता है...............


आजा आजा ...नाटक मत कर..........

बन्द अपना फाटक मत कर


बरस जा...............

बरस जा...........

बरस जा.............


वरना गीतकार गीत लिखना बन्द कर देंगे तुझ पर

तोड़ कर फैंक देंगे

-काली घटा छाई प्रेम रुत आई वाला कैसेट

आजा मेरी जान आजा

अपने नाम की लाज बचाने के लिए आजा

धरती के सौन्दर्य को सजाने के लिए आजा

हम प्यासों की प्यास बुझाने के लिए आजा

आजा

आजा

आजा ...................................

ऐ काली घटा आजा.............................


-albela khatri
http://albelakhari.blogspot.com/

23.7.09

आ जाओ सांवरे.......!!

पथ पखारू, रह निहारु
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे


रह ताकत, अखियाँ पत्थराई
तुम्हारे लिये है, दुनिया बिसराई
सुन लो अरज सांवरे
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे


मैं हूँ तुम्हारी, तुझ में ही खोई
भूली हूँ सब कुछ, मेरा नही कोई
ले लो शरण सांवरे
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे


जब से है जाना, मैं हूँ तुम्हारी
भूली हूँ सब कुछ , मेरा दोष नही कोई
दर्शन दो सांवरे
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे


तुम्ही मेरा जीवन, तुम्ही मेरी साँसे
तुम्ही मेरी मुक्ति, तुम्ही मेरे सहारे
पार लगा दो सांवरे
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे


काम , क्रोध, लोभ, मोह , माया सब मुझ से जुडा है
सृष्टि का कैसा ये जाल बिछा है
कठपुतली से नाच रहे हैं
मुक्ति दो सांवरे
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे