17.6.09
16.6.09
हां ये नस्लीय हिंसा है!...भारतीय सावधान !!!
ये कैसा बदनाम प्रेम ?
14.6.09
चाँद और फिजा फिर साथ, फिर अलग, फिर...
फ्लैश बैक:- हरियाणा के पूर्व डिप्टी सी० एम० चन्द्रमोहन बिश्नोई व उनकी माशूका अनुराधा बाली के प्या र के किस्से सभी बखूबी जानते हैं। दोनों ने इस्लाम कुबूल करने के बाद अपने नाम बदल लिए। चंद्रमोहन जहाँ चाँद मोहम्मद बन गए, वहीँ अनुराधा बाली फिज़ा मोहम्मद हो गईं। कहा जाता है कि दूसरी शादी करने के लिए इन्होने अपना धर्म परिवर्तित किया। यानि हिंदू से मुसलमान हो गए। चाँद पहले से शादीशुदा है तो फिजा तलाक़शुदा है।
दोनों की शादी हो गई। और यह शादी इतनी मकबूल हुई कि दोनों की इस स्टोरी पर फ़िल्म तक बनने की तैयारी होने लगी। परन्तु अचानक एक दिन पता नही क्यों चाँद, फिजा को सोती छोड़कर फुर्र हो गए। फिजा ने चाँद पर अनेक आरोप जड़ दिए। दोनों के बीच खटास इतनी बढ़ी कि आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला आम हो गया। और दूरियां बढ़ती चली गईं। यहाँ तक कि नौबत तलाक तक पहुँच गई।
परन्तु आज इस स्टोरी में अचानक नया ट्विस्ट आ गया। फिजा ने एक प्रेस कोंफ्रेंस बुलाई जहाँ चाँद मोहम्मद को देख मीडिया के लोग भी हैरान हो गए। फिजा ने कहा कि मुझे मनाने के लिए पहले तो चाँद ने फोन किए और कुछ लोगों को भी भेजा था, उसके बाद आज सुबह ७ बजे से स्वयं मेरे घर पर बैठे हैं।
जब चाँद से फिजा के घर आने की वजह पूछी गयी तो उन्होंने कहा कि मुझे बहकाया गया था यानि मै बहकावे में आ गया था और अब मै फिजा से माफी मांगने आया हूँ। चाँद ने यह भी कहा कि उन्होंने फिजा को तलाक़ नही दिया था। हालाँकि फिजा ने चाँद पर लगाए इलज़ामात को वापिस लेने बारे स्पष्ट नही किया। सिर्फ़ कहा कि इस बारे सोचूंगी।
आज तक की कहानी जो कल के अख़बारों में छपेगी, हमने आपको बता दी। इस अजीब कहानी का कल क्या होगा? खुदा जाने।
10.6.09
यही सत्य है न इसे भूल जाना
कैसे बताएं कितनी सुहानी ।
होती है ये जीवन की कहानी ।।
कोमल मनोहर परियो की रानी ।
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ।।
ये छोटा सा तन जब होता मात्र एक अंश है……..
बस माता ही उसका करती पोषण है ।
बनता है बढ़ता , आकार धरता …….
दुनिया से पहले माता से जुड़ता ।।
माता ही धड़कन माता ही बोली ……
उसी के संग करता है कितनी ठिठोली ।
लेता जन्म है , इस लोह्खंड सी दुनिया में रखता कदम है ।
बिना जाने समझे , की दुनिया की फितरत बड़ी वेरहम है ।।
रोते बिलकते चले आते हो तुम…..
जैसे किसी ने तुम पर ढाया सितम है ।।
फिर नन्ही-नन्ही आँखों से संसार देखा ……
कुछ मस्ती भी की ……और ढेर सारा रोया ।
नन्हे - नन्हे कदमो से नाप ली ये दुनिया ……
कहलाई सब की दुलारी सी गुडिया ।।
अपनी तोतली बोली से हर लिया सब का मन…..
घर बन गया खुशियो का उपवन …. ।।
कैसा मनोहर , ठुमकता, मटकता , किलकारी भरता……
होता है बचपन सब से अनोखा ।।
कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........
कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी .............
कितना कष्टकारी होता है वो दिन ।
जब माँ के बिना तडपता है ये दिल।।
उसे छोड़ कर स्कूल जाना ।
और नई दुनिया में अपनी हस्ती जमाना ।।
कॉपी-कितवो से खुद को बचना ।
और फिर नए दोस्तों में एक दुनिया बसाना।।
गुरु की कृपा से जीवन के अनमोल ज्ञान को पाना ।
कभी डांट कर , कभी दुलार कर हमको पढ़ना।।
बहुत याद आता है उनका चश्मा पुराना …।
हाथो में छड़ी , और मन में करूणा छुपना ।।
वो यारो संग मस्ती , हमेशा साथ खाना ।
वो मिलना मिलना , वो हसना हसाना ।।
कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........
कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी .............
जीवन की इतनी अवस्थायें पार कर के ….।
जवानी की खूबसूरत दहलीज पर आना ।।
मन में उमंगें ...... लवो पर तराने ……।
कितने ही किस्से............ नए और पुराने ।।
फिर मोड़ आता है ऐसा सुहाना।
जब मन हो जाता है किसी का दीवाना ।।
उसी के सपने , उसी की बातें , उसी की यादें ।
हमेशा उसे याद रखना और खुद को भी भूल जाना ।।
उसी की तस्वीर मन में सजाना ……….।
और उसे पाने को कुछ भी कर गुज़र जाना ।।
फिर भरी आंख लेकर ससुराल जाना ।
नये सारे रिश्ते नये सारे नाते निभाना ।।
उन सब से अपना तालमेल बिठाना ।
घर,परिवार , नाते , रिश्तो का एक दम से बदल जाना ।।
जिम्मेदारी उठाना , वो घर का चलाना ।
घड़ी भर को भी फुरसत न पाना ।।
माँ , भाभी , मामी , बुआ , चाची और बहु जैसे ….।
उपनाम पाना और खुद का ही नाम कहीं धुधला पड़ जाना ।।
कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........
कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी .............
फिर आ जाता है जीवन का अंतिम ठिकाना ।
जिसे आज तक किसीने न चाहा ।।
अकेला बुढ़ापा , जिसे कभी छोड कर न जाना।
ये ऐसा शाखा है जो अंत तक है रिश्ता निभाता।।
बाँकी सभी को है पीछे छूट जाना ।
यही वो अवस्था जिसने सब कुछ नश्वर बनाया ।।
छणभंगुर है सब कुछ हमको सिखाया ।
एक हिलती सी कुर्सी , एक हिलती सी लाठी ।।
एक अकेला सा कमरा , जहाँ नही कोई अपना।
झूकी सी कमर और चहरे पर झुरियो की कहानी।।
पल पल सिसकना , फिर भी मुस्करना।
बुझते दियो में सपने सजाना।।
कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........
कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी .............
फिर आ जाता है आपनो का बुलावा ।
और पीछे छूट जाता है सारा जमाना ।।
पल भर में ही सब नश्वर हो जाता ।
न रिश्ता, न नाता , न जवानी , न बुढ़ापा।।
बस! उस शून्य से आकर उसी में समा जाना ।
रोता रहता है पीछे संसार सारा।।
पर तेरा तो तेरे शून्य में ही ठिकाना ।
उसी से बना फिर उसी में मिल जाना।।
इस रंगमंच को छोड कर उस ईश्वर में समा जाना।
पञ्च तत्वो की इस देह का मिट्टी में मिल जाना ।।
और आत्मा -परमात्मा का मिलना मिलाना ।
जिस के थे अंश उसी में मिल जाना ।।
बस उसी अंश का चक्कर चलते है जाना ।
यही सत्य है न इसे भूल जाना
कोमल मनोहर परियो की रानी ..............
काँटों-सी निष्ठुर होती है जिंदगानी ...........
कैसे बताएं कितनी सुहानी ..............
होती है ये जीवन की कहानी ............। .
8.6.09
नेटप्रेस एक साँझा मंच है.
परन्तु दोस्तों, नेटप्रेस तो मेरा, आपका बल्कि कहना चाहिए कि हम सबका एक साँझा मंच है। बतौर पाठक तो आप इससे जुड़ ही चुके हैं। निवेदन है कि लेखक के रूप में भी जुड़िये।
आप चाहें तो अपने क्षेत्र की घटनाएं चित्रों सहित यहाँ छाप सकते हैं। मतलब आप एक रिपोर्टर के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।
आप अपने विचारों को अच्छी सी शब्दावली देकर नेटप्रेस पर छपवा सकते हैं। कहने का अर्थ है कि न्यूज़, व्यूज़ और मनोरंजन से सम्बन्धित कुछ भी, परन्तु अच्छे स्तर की सामग्री का यहाँ सदैव स्वागत है। जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूती तस्वीरें शीर्षक के साथ भेज सकते हैं।
तो कृपया मोबाइल नम्बर सहित अपना संक्षिप्त ब्यौरा akbar.khan.rana@gmail.com पर शीघ्र भेज दीजिये। ताकि आपको आमन्त्रण भेजा जा सके। धन्यवाद!
3.6.09
भारत सब कुछ कर सकता है.
अगर देखा जाए तो भारत क्या नही कर सकता? आवश्यकता है तो सिर्फ़ दृढ़ संकल्प की। भारत सब कुछ कर सकता है।