पिछले दिनों प्रसिद्ध गजल गायक जगजीत सिंह को ब्रेन हेमरेज की शिकायत हुई। यह सुनकर बड़ा दुख हुआ। उसके बाद सुखद खबर यह आई की उनका आप्रेशन सफल रहा है और उनके स्वास्थ्य में निरतंर सुधार हो रहा है। रविवार को मै अपने वकील से एक केस के सिलसिले में उनसे विचारविमर्श करने के लिए करनाल (हरियाणा) जा रहा था कि रास्ते में राष्ट्रीय राजमार्ग पर उनके बहुचर्चित विज्ञापन टोरस कफ सिरप तो अलविदा खांसी के बड़ेबड़े बोर्ड लगे हुए थे। जिसमें उनका खिलखिलाता हुआ चेहरा दिखलाई दे रहा था। सांय को मैं करनाल से वापिस आ गया। सुबह खबर आई कि उनका अस्पताल में निधन हो गया। यह सुनकर मुझे व्यक्तिगत तौर बड़ा दुख हुआ। उनके निधन की खबर समाचार चैनलों पर देखकर मुझे उनका वहीं बोर्ड पर मुस्कुराता हुआ चेहरा रहरहकर याद आया। उनके निधन पर केवल मुझे ही नहीं अपितू पूरव् भारतवर्ष के लोगों को दुःख है। दुख हो भी यों ना योंकि जगजीत सिंह इस देश की अजीम हस्ती थे तथा उनकी क्षतिपूर्ति कभी भी नहीं हो सकती। जगजीत सिंह एक महान गायक थे तथा उनकी गायकी में श्रोता पूरी तरह से डूब जाया करता था। इन महान गायक को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता। मैं उनकी गजलों का फैन रहा हुं। उनकी गजल कि तुम जो इतना मुस्कुरा रहे हो या गम है के तुम छुपा रहे हो, होश वालों को खबर या बेखुदी या चीज है, ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो तथा ना चिट्ठी ना संदेश ना जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए? अब भी मेरे दिलोदीमाग व कानों में बज रही हैं। मेरा श्री जगजीत सिंह को कोटीकोटी वंदन!!!!!!!! मै भगवान से प्रार्थना करता हुं कि उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे तथा शोक सतृंप्त परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें।