आओ दीपावली मनायें, हर मुण्डेर पर दीप जलायें
द्वेष, दम्भ, पाखंड, सरिखे मन के दुर्गुण दूर भगायें
संयम का हो दीप,स्नेह वर्तिका धैर्य का तेल भरा हो
अंधकार को दूर भगाता, हर आंगन में दीप धरा हो
हर चेहरे पर चमक खुशी की,अंतर्मन में स्नेह खरा हो
खुशियां खील, मिठाई बांटे,सबको बढ़कर गले लगायें
सम्बोधन सम्मान युक्त हों, आओ दीपावली मनायें
त्यौहारों की परम्परागत, अपनापन वाणी में छलके
नई नवल आशाओं के संग,प्रीति-रीति प्राणी में झलके
धरती लगे ज्योति का सागर, उगे चन्द्रमा दिनकर ढलके
आओ ऐसा इसे सजायें। आओ दीपावली मनायें
सबसे मन के अंधकार का, दीवाली के दीप हरें तम
सबका मालिक एक भला फिर, आपस में क्यों बैठ करे हम
सबकी झोली भरे खुशी से, रहे कही भी जरा नही गम
हर मन की इच्छा पूरी हो, हर आंगन लक्ष्मी जी आयें
भरे रहें भण्डार सभी के। आओ दीपावली मनायें
लक्ष्मीमैया दूर भगा दें, आपद् और विपत सब ही के
हर घर आंगन उजियारा हो, रहें नहीं चौबारे फीके
धरती का श्रृंगार देख कर, चांद, सितारे भी शरमायें
दीवाली से दीवाली तक, आओ दीपावली मनायें
तुम को शुभ हो मुझको शुभ हो, दीवाली हम सबको शुभ हो
आने वाला समय सुखद हो, कुछ भी कही न मित्र अशुभ हो
मां लक्ष्मी इस दीवाली पर, हर घर आंगन सुख ही सुख हो
सबको दीवाली की शुभकामनायें। आओ दीपावली मनायें
-हितेश कुमार शर्मा, बिजनौर