मेरे मित्र श्री सतीश मंगला ने मुझे एक कविता भेजी है। मुझे वह कविता काफी पंसद आई। यह कविता मै आपके समक्ष रख रहा हुं। शायद आपको भी पसंद आए। कृप्या गौर फरमाएं..........
आज भी नही हूँ भुला ...........................
वो दोस्तो के साथ की हुई मस्ती ............
वो छोटी सी गलियों वाली अपनी प्यारी सी बस्ती .................
वो किसी को सताना वो किसी को मानना .....................
वो किसी के इन्तेजार मे जब निगाहें थी तरसती
जब भी बैठ के सोचता हूँ वो पुरानी बातें ,
वो बीते हुए लम्हे, वो गुजरी राते ..........
न जाने कहाँ आ फंसा हूँ ये कैसा है समंदर
है उस पार जाना और न मांझी है न कश्ती.......................
आज भी नही हूँ भुला वो की हुई मस्ती ..........................
आज भी नही हूँ भुला वो की हुई मस्ती .................
आज भी नही हूँ भुला ...........................
वो दोस्तो के साथ की हुई मस्ती ............
वो छोटी सी गलियों वाली अपनी प्यारी सी बस्ती .................
वो किसी को सताना वो किसी को मानना .....................
वो किसी के इन्तेजार मे जब निगाहें थी तरसती
जब भी बैठ के सोचता हूँ वो पुरानी बातें ,
वो बीते हुए लम्हे, वो गुजरी राते ..........
न जाने कहाँ आ फंसा हूँ ये कैसा है समंदर
है उस पार जाना और न मांझी है न कश्ती.......................
आज भी नही हूँ भुला वो की हुई मस्ती ..........................
आज भी नही हूँ भुला वो की हुई मस्ती .................