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9.10.09

क्या पश्चिमी नग्नता में ही नारी उत्थान छिपा है ?


बात शुरू करते है नारी शास्क्तिकरण और नारी उत्थान की (जिसकी हवा बाँध कर कुछ चंद प्रगतिवादी अपनी पद प्रतिस्ठा और अर्थ की रोटियां सेक रहे है और समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को दिग्भर्मित किये है ),,,, आखिर नारी वादी आन्दोलन है क्या? मै तो आज तक नहीं समझ पाया .,,,, क्या नारी वादी आन्दोलन वास्तव में स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए की जा रही कोई क्रान्ति है ?,, या फिर पश्चिम से लिया गया एक खोखला दर्शन ,, जिससे स्त्री उत्थान तो संभव नहीं हां अवनति के द्वार अवस्य खुलते है ,,, अगर पश्चिम के इस दर्शन से कुछ हो सकता तो पश्चिमी समाज में स्त्रियो की जो दशा आज है शायद वो नहीं होती ,,,,,
हत्या ----दिसम्बर २००५ की रिपोर्ट के आधार अनुसार अकेले अमेरिका में ११८१ एकल औरतो की हत्या हुई जिसका औसत लगभग तीन औरते प्रति दिन का पड़ता है यहाँ गौर करने वाली बात ये है की ये हत्याए पति या रिश्ते दार के द्बारा नहीं की गयी बल्कि ये हत्याए महिलाओं के अन्तरंग साथियो (भारतीय प्रगतिवादी महिलाओं के अनुसार अन्तरंग सम्बन्ध बनाना महिलायों की आत्म निर्भरता और स्स्वतंत्रता से जुड़ा सवाल है और इसके लिए उन्हें स्वेच्छा होनी चाहिए) के द्बारा की गयी ,,,,
अब अंत रंग साथियो ने येसा क्यूँ किया कारण आप सोचे ,,,,नहीं नहीं नहीं नंगा पन (कथित प्रगतिवाद ) इसके लिए जिम्मेदार नहीं है ,,,
घरेलू हिंसा-----National Center for Injury Prevention and Control, के अनुसार अमेरिका में ४.८ मिलियन औरते प्रति वर्ष घेरलू हिंसा और अनेच्छिक सम्भोग का शिकार होती है ,,, और इनमे से कम से कम २० % हो अस्पताल जाना पड़ता है ...
कारण ---- पुरुष विरोधी मानसिकता और पारिवारिक व्यवस्थाओं में अविस्वाश और निज का अहम् (जो की कथित प्रगतिवाद की श्रेणी में आता है ) तो कतई नहीं होना चाहिए ,,,
सम्भोगिक हिंसा -----National Crime Victimization Survey, के अनुसार 232,960 औरते अकेले अमेरिका में २००६ के अन्दर बलात्कार या सम्भोगिक हिसा का शिकार हुई , अगर दैनिक स्तर देखा जाए तो ६०० औरते प्रति दिन आता है,,,इसमें छेड़छाड़ और गाली देने जैसे कृत्य को सम्मिलित नहीं किया गया है ,,, वे आकडे इसमें सम्मिलित नहीं है जो प्रताडित औरतो की निजी सोच ( क्यूँ की कुछ औरते येसा सोचती है की मामला इतना गंभीर नहीं है या अपराधी का कुछ नहीं हो सकता)और पुलिस नकारापन और सबूतों अनुपलब्धता के के कारण दर्ज नहीं हो सके ,,,
कारण --- इन निकम्मे प्रगतिवादियों और नारी वादियों द्बारा खड़े किये गए पुरुष विरोधी बबंडर रूपी भूत की परिणिति से उत्पन्न स्त्री पुरुष बिरोध और वैमन्यस्यता ( स्त्रियों को पुरुषों के खिलाफ खूब भरा जाना और और पुरुषों का स्त्र्यो की सत्ता के प्रति एक भय का अनुभव )तो बिलकुल नहीं ये आकडे बहुत है मै कम दे रहा हूँ और उद्देश्य बस इतना ही है की पुरुष विरोध के कथित पूर्वाग्रह को छोडिये ( जिसे मै पश्चिम की दें मानता हूँ )
इसमें किसी तरह का कोई नारी विरोध नहीं है और ना ही मै ये चाह्ता हूँ की उनकी स्तिथि में सुधार ना हो ,, बल्कि मै तो आम उन स्त्रियों को समझाना चाहता हूँ (जो इन कथित प्रगतिवादी महिलाओं और पुरुषों के द्बारा उनके निजी लाभ के कारण उकसाई जा रही है) की इनके प्रगतिवाद में कोई दम नहीं अगर वास्तव में आप को समाज में अपनी स्तिथि को उच्चता पर स्थापित करना है तो आप को उस भारतीय परम्परा की ओर बापस आना होगा ( जो कहता है स्त्रिया पुरुषों से अधिक उच्च है ) है ,,,
अब कथित प्रगतिवादियों के लिए छोटा सन्देश आप को अपनी प्रस्थ भूमि पर फिर विचार करने की आवश्यकता है और देखना है की जिस प्रगतिवाद की दुहाई आप दे रही है और जिन्हें आप ने मानक के रूप में स्थापित कर रक्खा है ,, क्या प्रगति वाद से उनकी वास्तव में कोई भी प्रगति हुई इतने लम्बे चले पश्चमी प्रगतिवादी आन्दोलन से क्या हासिल हुआ केवल विच्च का नाम जिस पर पश्चिमी औरते गर्व करती है ,,
’m tough, I’m ambitious, and I know exactly what I want. If that makes me a bitch, okay. - Madonna Ciccone

10.9.09

बेरहम पति ने पत्नी से कहा- बीमार बच्चे को फेंक दो

गुड़गांव: पति के संबंध खराब होते देख अन्नू ने अपने बच्चे को उसका हक़ दिलवाना चाहा। लेकिन जब परमीत के परिवार ने बच्चे को नहीं अपनाया तो फिर उसके पास एक ही रास्ता बचता था। अन्नू ने परमीत का घर छोड़ दिया।
घर छोड़ने के बाद उसने कानून का सहारा लेने का मन बनाया। और फिर गुडगांव के सेक्टर 56 के पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया। लेकिन पुलिस का इस मामले पर बिल्कुल अलग रवैया है। पुलिस इसे एक मामूली मामला मान रही है।
दरअसल अन्नू का एक बेटा लगभग चार साल का है और दूसरा जो गोद में है वो लगभग सवा दो महीने का है। बस इसी बच्चे के जन्म के बाद अन्नू की जिंदगी में एकदम से भूचाल आ गया। बच्चे के पैदा होने के बाद डॉक्टरों ने बताया कि इसका फेफड़ा खराब है। डॉक्टरों ने ये भी बताया कि इसके इलाज में तकरीबन तीन लाख रुपए लगेंगे। इससे पहले तक सब कुछ ठीक था।
लेकिन यहीं से अन्नू के पति परमीत सिन्हा का रवैया बदल गया। परमीत निजी कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट है और उसकी तनख्वाह लाखों में है। लेकिन परमीत को अपने बेटे के इलाज के लिए तीन लाख रुपए देना भारी पड़ गया। ऊपर से पत्नी अन्नू को मारना पीटना शुरू कर दिया। और आरोप लगाया कि उसी में कोई दिक्कत है जिसकी वजह से उसका बेटा बीमार पैदा हुआ है।
इसके बाद अन्नू के पति परमीत ने ये भी कहना शुरू कर दिया कि इलाज के पैसे अपने मायके से लेकर आए। अन्नू के पति ने उसे यहां तक कहा कि वो इस बीमार बच्चे को सड़क पर लावारिस फेंक दे। लेकिन जब अन्नू ने ये सब करने से मना कर दिया तो फिर उसने अन्नू और उसके मायके के लोगों को मानसिक रूप से सताना शुरू कर दिया। आखिरकार अन्नू इतनी टूट गई कि उसे अपना घर छोड़ना पड़ा। अन्नू के पास कानून का सहारा लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था। आखिरकार अन्नू ने पुलिस में मामला दर्ज कराया। वहीं पुलिस का कहना है कि शिकायत में बच्चे का जिक्र नहीं किया गया है। शिकायत में अन्नू ने इसे सिर्फ दहेज़ उत्पीड़न का मामला बताया है। अन्नू के घर वालों को अब कोर्ट से इंसाफ की उम्मीद है। अन्नू के घर वालों का आरोप है कि परमीत मौके की तलाश में था और मौका मिलते ही उसने अपना काम कर दिया।