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24.3.10

अपने ही देश में आतंकित क्यों?

मै कोई शायर नहीं और न ही मै कोई लेखक हूँ। भारी-भरकम शब्दों का प्रयोग कर अपने पांडित्य का लोहा मनवाने की कोई आवश्यकता नहीं समझता। मै सीधा-सरल व्यक्ति हूँ, पक्का मुसलमान और कट्टर राष्ट्रवादी हूँ। अकबर खान मेरा नाम है।
कुछ बरसों तक प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में काम किया तथा खूब वाहवाही बटोरी परन्तु इसी दौरान मैंने अपनी भारतीय समाज रूपी फसल में विभिन्न प्रकार के कीड़े एवं कबाड़ देखा, जिसे समाप्त करना अति आवश्यक है
आखिर आज हम अपने ही देश में आतंकित क्यों है? आतंकवाद से, भ्रष्टाचार से, लापरवाही से, अनियमितता से, अनुशासनहीनता से तथा ................से, ...................से और .......................से दरअसल समानार्थक से दिखने वाले यें शब्द हमारे समाज की विभिन्न बिमारियों की ओर इंगित करते हैं
आज सबसे पहले आतंकवाद से सम्बन्धित एक अति संवेदनशील रग को छेड़ते हैं इस दर्द से जूझने वाले भली-भांति समझ सकते हैं कि मेरा मकसद तो केवल राहत है. हालाँकि इस रग को छेड़ने से थोडा या बहुत दर्द तो अवश्यम्भावी है इस बात के लिए मै क्षमा का याचक हूँ
उस आतंकवाद की बात करेंगे, जो देश के अन्दर इसी देश के लोगों द्वारा फैलाया जाता है जैसा की मैंने शुरू में ही कहा था कि मै एक सीधा और सरल व्यक्ति हूँ इसलिए बात भी सीधी ही करता हूँ
तो क्या आपकी राय में इस देश में होने वाली आतंकवादी गतिविधियों में मुसलमानों का ही हाथ होता है? अगर हाँ, तो आखिर ऐसा क्यों हैं? आपकी निष्पक्ष एवं ईमानदार राय(टिप्पणियों) के बाद आगे की बात ........................