2:39 pm
gpalgoo
"सुईं से लिखी मधुशाला""
दादरी के पीयूष दादरी वाला ने "एक ऐसा कारनामा" कर दिखाया है कि देखने वालों कि ऑंखें खुली रह जाएगी और न देखने वालों के लिए एक स्पर्श मात्र ही बहुत है I
दादरी वाला दुनिया में भारत का नाम, "मिरर इमेज" में "श्री मदभाग्व्द कथा" यह दुनिया की अभी तक की पहली ऐसी पुस्तक (ग्रन्थ) जो शीशे में देखकर पढ़ी जाएगी अब तक दुनिया में ऐसा नहीं हुआ है दादरी वाले ने सभी १८ अध्याय ६०० शलोको दोनों भाषाओँ हिंदी व् अंग्रेजी में लिख, रोशन किया है I इसके अलावा दादरी वाला संस्कृत में श्री दुर्गा सप्त शती, अवधि में सुन्दर कांड, आरती संग्रह , हिंदी व् अंग्रेजी दोनों भाषाओ में श्री साईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैं I
दादरी वाला ने पूछने पर बतया कि आपने सुई से पुस्तक लिखने का विचार क्यों आया ? तो दादरी वाला ने बताया कि अक्सर मेरे से ये पूछा जाता था कि आपकी पुस्तको को पढने के लिए शीशे क़ी जरुरत पड़ती है, पदना उसके साथ शीशा, आखिर बहुत सोच समझने के बाद एक विचार दिमाग में आया क्यों न सूई से कुछ लिखा जाये सो मेने सूई से स्वर्गीय श्री हरबंस राय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक "मधुशाला" को करीब २ से २.५ महीने में पूरा किया यह पुस्तक भी मिरर इमेज में लिखी गयीं है और इसको पदने लिए शिसे की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि रिवर्स में पेज पर शब्दों इतने प्यारे जेसे मोतियों से पेजों को गुंथा गया हो I उभरे हुए हैं जिसको पदने में आसानी है और यह सूई से लिखी "मधुशाला" दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व् सूई से लिखी गई है और इसका श्रेय भारत के दादरी कसबे के निवासी 'पीयूष दादरी वाला' को जाता है I
इसके अलावा दादरी वाला संग्रह के भी शोकिन हैं उनके पास माचिसों का संग्रह, सिगरेटों के पैकेटों का संग्रह, दुर्लभ डाक टिकटें, दुर्लभ सिक्कों का संग्रह, प्रथम दिवस आवरण, पेन संग्रह व् विश्व प्रसिद्ध व्यक्तियों के औटोग्राफ का संग्रह (मनमोहन सिंह जी, वी. पी. सिंह जी, चन्द्र शेखर, राजीव गाँधी जी, इंदिरा गाँधी जी, अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, ऋतिक रोशन, लतामंगेस्कर, अटल जी, मायावती जी, मुलायम सिंह जी) आदि संग्रह को चार चाँद लगा रहे हैं I
पीयूष दादरी वाला पेशे से यांत्रिक इंजिनियर है और एक बहु राष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत हैं, दादरी वाला तीन पुस्तके भी लिख चुके हैं (गणित एक अध्यन, इजी इस्पेलिंग व् पीयूष वाणी) I
8:37 pm
Mahabir Mittal
घर को किया रोशन गीतांजली ने
जहां समाज में बेटों को घर का चिराग माना जाता है वहीं गीता ने अपने आप को घर का चिराग सिद्ध किया है। आप जैसे ही गीता के घर में प्रवेश करेंगे तो घर की प्रत्येक दीवार पर गीता की कलाकृतियां दिखाई देंगी। गीता की बनाई पेंटिग तथा कलाकृतियों ने उसके घर को एक अलग पहचान दी है। गीता द्वारा सजाई गई घर की दीवारों को देखकर हर कोई वाह वाह किए बिना नहीं रह सकता। घर की प्रत्येक दीवार पर अलग अलग तरह की पेटिंग देखकर आने वाला पूरव् घर को देखे बिना वापिस नहीं जा पाता। गीता की कलाकृतियों ने घर को प्रदर्शनीगृह में बदल दिया है। इस घर में आपको आयॅल पेंटिग,फेब्रिक पेंटिंग,कलियोग्राफी पेंटिग, एंबोस पेंटिंग, स्प्रे पेंटिग, स्पंज पेंटिग मंत्रमुग्ध कर देंगी। ऐसे में इस घर में आने वाला व्यक्ति यह कहे बिना नहीं रह सकता कि गीता ने अपने घर को रोशन कर दिया है।
क्या कहना है गीतांजली का
इस संदर्भ में गीतांजली का कहना है कि मनुष्य को यह सोच कभी भी नहीं पालनी चाहिए कि उसके शरीर में कोई कमी हैं। गलत सोच ही मनुष्य को उसके काम में बांधा डालने में मजबूर करती है। भगवान ने जैसा शरीर दिया है उसे न नकार कर मनुष्य को उसी शरीर में कुछ नया कर दिखाना चाहिए। गीतांजली ने बताया कि उसके इन कार्यों में परिपूर्णता लाने में उनके परिवार का भी अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार पर बोझ नहीं बनना चाहती इसलिए अगर सरकार उसे उसकी योग्यता देखते हुए सरकारी नौकरी लगा दे तो वह अपने जीवन में बड़े होने पर भी उसे किसी के सहारे की आवश्यकता नहीं रहेगी।
मां उर्मिला को है बेटी पर नाज
अपनी इस होनहार बेटी को पाकर गीमांजली की मां उर्मिला काफी खुश है। हालांकि बेटी के अपाहिज होने का उसका गम गीता के बारें में बात करते हुए उसकी आंखों से निकलने वाले आंसू बयां कर देते हैं लेकिन अपनी बेटी को उत्साहित करके उसे इस मुकाम पर पहुंचाने में मां का बड़ा हाथ है। प्रत्येक पग पर बेटी के पांव बन उसे अपने पैरों पर खड़ा होने का होंसला देने वाली मां का कहना है कि बचपन में गीतांजली की हालत देखकर वह बहुत दुखी होती थी लेकिन गीता ने अपने हुनर व मेहनत से उसकी सारी मेहनत को पुरा कर दिया। अब गीता जैसी बेटी पाकर वह अपने आप को भाग्यशाली समझती है। मां उर्र्मिला को इस बात का गम है कि विकलांगों के उत्थान के लिए इतने दावे करने वाली सरकार ने आज तक उसकी कोई सुध नहीं ली है।