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6.9.11

भीख मांगने को मजबूर हो गए हैं पैंशनधारक

सफीदों (हरियाणा) : जिन लोगों का गुजारा सरकार से प्राप्त होने वाली पैंशन से हो रहा था अब वे पैंशनधारक सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के चलते सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर हो गए है। इन भीख मांगने वाले लोगों में गरीब, बेसहारा, अपंग व विधवाएं हैं। सफीदों क्षेत्र में पिछले ब् महीने से पैंशन का वितरण नहीं हुआ है। जिसकी वजह से क्षेत्र के दर्जनों बेसहारा वृद्ध एवं विधवाएं दवाईयों तक के पैसों तक के लिए मोहताज हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि सफीदों क्षेत्र में दर्जनों ऐसे गरीब, बेसहारा, अपंग व विधवाएं हैं जिनका गुजरबसर केवल पैंशन के सहारे पर ही है। चाहे घर का राशन लाने की बात हो या दवाईयां लाने की बात हो सब कुछ पैंशन पर ही निर्धारित है। ऐसे में अगर उन लोगों को पैंशन समय पर ना मिले तो उन लोगों का जीवन यापन ही मुश्किल हो जाता है। ऐसे लोग पैंशन आने की इंतजार में उधार लेकर भी कई महीने गुजार चुके हैं। उधार के पैसे ना लौटा पाने के कारण अब इन लोगों को कोई भी दुकानदार उधार भी नहीं दे रहा है। उधार भी नहीं मिल पाने के कारण अब इन लोगों ने भीख मांगने का रास्ता अखतियार कर लिया है। राह चलते किसी भी व्यक्ति से पैसे मांगने तक की नौबत आ गई है। ये लोग अपनेअपने वार्डों से संबंधित पार्षदों, पक्ष व विपक्ष के नेताओं व नगरपालिका के चक्कर लगा चुके हैं लेकिन कहीं से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। आखिरकार उन्हें भूखे मरने की नौबत आ गई है। सैंकड़ों पैंशनधारक अपने पहचान पत्र बनवाने के लिए धक्के खाते फिर रहे हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार द्वारा निर्देश जारी किए गए थे कि फ्क् अगस्त तक सभी पैंशन धारकों के पहचान पत्र बन जाने चाहिए तथा जिन पैंशन धारकों के पहचान पत्र होंगे केवल उन्ही को ही पैंशन प्राप्त होगी लेकिन अभी तक भी पैंशन धारकों के पहचान पत्र नहीं बन पाए हैं। इस मामले में पैंशन ठेकेदार व समाज कल्याण विभाग के अधिकारी अलगअलग भाष बोल रहे हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी जींद ने इस बात की पुष्टि की है कि पहचान पत्र बनवाने की सरकार द्वारा निर्धारित तिथि फ्क् अगस्त थी लेकिन पैंशन ठेकेदार धर्मबीर का कहना है कि पहचान पत्र बनाने के लिए फोटोग्राफी का काम जल्द ही शुरू किया जाएगा। पैंशन के इस काम में कोई भी पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। इस मामले में सब अलगअलग ही बोल रहे हैं। सरकार ने यहां तक के निर्देश दिए है कि पैंशनरों को पैंशन याज सहित दी जानी चाहिए। इस संदर्भ में क्षेत्र के पैंशन पीड़ित लोगों से बात की गई तो उन में से मेवा सिंह (लाचार व अपंग), महेंद्र कौर (विधवा व अंधी), सुभाष (बीमार), धन्नो देवी (विधवा), उर्मिला (विधवा), भरपाई देवी (विधवा), कस्तूरी देवी, खजानी देवी (विधवा) व कृष्णा (विधवा) सहित अन्य पैंशनरों का कहना है कि यहां तो मूलधन का ही झगड़ा पड़ा हुआ है, बयाज तो बहुत दूर की बात है। पैंशन ही एकमात्र उनका एक सहारा है। पैंशन के बिना उनका गुजरबसर करना मुश्किल हो गया है। सरकार पहले पैंशन देने की फिक्र करव्ं उसके बाद याज की फिक्र करे। उन्हें पैंशन समय पर न मिलने से न सिर्फ उनकी दिनचर्या प्रभावित हुई अपितू उनकी बिमारी का ईलाज भी अब ठीक से नही हो रहा है। इस मामले को सफीदों के पूर्व पालिका प्रधान एवं जिला कष्ट निवारण समिति के सदस्य राकेश जैन ने गभीरता से लेते हुए पीड़ितों का दर्द समाज कल्याण अधिकारी तक पहुंचाया। उन्होंने इस बारव् में समाज कल्याण अधिकारी से बातचीत की तो उनका कहना है कि पैंशन ठेकेदार उनकी बात नहीं सुनता है। यहां तक कि ठेकेदार उनका फोन भी नहीं उठाता है। राकेश जैन का कहना है कि सरकार ने पैंशन में पारदर्शिता लाने के लिए बैंको के माध्यम से इसका वितरण करना सुनिश्चित किया था लेकिन पैंशन बांटने वाले ठेकेदार व समाज कल्याण विभाग के अधिकारी इस योजना को सिरव् नहीं चढ़ने देना चाहते हैं। यह सरकार को बदनाम करने की बहुत बड़ी साजिश है। सरकार को चाहिए कि वे इस मामले को सख्ती से ले।

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