हरियाणा के सफीदों हलके के गाव छापर में ईद को सदभावना दिवस के रूप में मनाया जाता है ! यहाँ पर खास बात्त यह है की आमंत्रण देने वाला मुस्लिम होता है लेकिन आमंत्रित सभी हिन्दू भाई होते है ! यहा पर हर साल राजपूत बिरादरी से सम्बंधित अकबर खान ईद की खुशियों को अपने दोस्तों के साथ मिलकर धूमधाम के साथ मनाते है! उनके ये सभी हिन्दू दोस्त रमजान शुरु होते ही ईद के दिन गिनते रहते है! ईद के दिन गिने भी क्यों नहीं क्योकि अकबर जी घर बनने वालें लजीज पकवानों की महक किसी को भी नहीं रोक पाती! अकबर खान के घर पर सभी आपस में गले मिलकर ईद की बधाई देते है तथा सभी लोग एक स्थान पर बैठकर लजीज पकवानों का मजा लेते है ! उसके बाद गीत संगीत का प्रोग्राम होता है! इस गीत संगीत के प्रोग्राम में धार्मिक और देस भक्ति के गीत कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जाते है! कुछ लोगो के अनुरोध पर फ़िल्मी व् गजल भी प्रस्तुत होती है! अकबर खान राणा का कहना है कि इस संसार मे कोई छोटा या बड़ा नहीं है! सभी बन्दे भगवान् के बनाये हुए है! कोई भी धर्म बुरा नहीं है! सभी धर्म आपसी सदभाव व् भाईचारे की सीख देते है! उन्होंने कहा कि सभी धर्मों के लोगो को किसी के बहकावे में आए बिना आपसी सदभाव के साथ रहना चाहिए! यह नहीं हँ की अकबर खान सिर्फ ईद ही मनाते है बल्कि वे दीपावली को भी धूमधाम से मनाते है! अकबर का कहना है कि श्री राम हमारें पूर्वज है! दीपावली के दिन श्री राम वनवास भोगकर वापिस अयोध्या वापिस आये थे! जितनी ख़ुशी उस दिन हुई थी उतनी ही ख़ुशी आज भी होती है!
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