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Sumit Pratap Singh
प्यारे अन्ना हजारे जी
सादर अनशनस्ते
आपको हृदय से नमन करते हुए पत्र प्रारंभ करता हूँ. जब भारत देश घोटालों से त्रस्त हुआ, जब आम भारतीय मंहगाई से पस्त हुआ और जब भ्रष्टाचार की बांसुरी बजाकर शासन तंत्र मदमस्त हुआ तब आप संकटमोचक बनकर आये और बस गए हर भारतीय के दिल में. आपका भोला-भाला व्यक्तित्व भारतीय मानुष के मन में एक नई आशा जगाता है. हम भारतीय विश्व की नज़रों में तो सन 1947 में हीआज़ाद हो गए थे किन्तु अंग्रेज जाते-2 अपनी कार्बन कॉपियां अर्थात काले अंग्रेज यहीं छोड़ कर चले गए जो धूर्तता में अपनी ऑरिजिनल कापियों से भी एक कदम बढ़कर निकले. आगे पढ़ें...
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