जन-गण के अन्ना...!
अन्ना के पवित्र व प्रभावी जनआन्दोलन को नायाब फ़िल्मी गीतों के
श्रद्धा सुमन...
( गीत -एक )
आ जाओ कि अन्ना के साथ मिल के दुआ मांगे.
भ्रस्टाचार मुक्त जहां चाहें, चाहत में वफ़ा मांगे.
जनलोकपाल बनने में अब देर न हो मालिक.
भ्रष्टाचारियों के ये रेले न हो मालिक.
एक तू ही अन्ना जिस पर भरोसा
एक तू ही अन्ना जिसका सहारा
भ्रष्टों के जहां में नहीं कोई हमारा
हे अन्ना लगा छन्ना
जन -गण तेरे साथ रे...
अन्ना से न देखा जाए
भ्रष्टाचारियों का जहां
उजड़े हुए भारत में तड़प रहे कई अन्ना
नन्हीं जिस्मों के टुकड़ों
लिए ६४ सालों से खड़ी है भारत माँ
भ्रष्टों की भीड़ में
गरीब बच पाए कहाँ
नादाँ हैं हम तो मालिक
क्यों दी ग़ुरबत की सज़ा
क्या है सफेदपोशों के दिल में
भ्रष्टता का ज़हर भरा
इन्हें फिर से याद दिला दे
अन्ना सबक आज़ादी का
बन जाए जनलोकपाल
जल जाए भ्रष्टों की दुनिया.
हे अन्ना लगा छन्ना
जन -गण तेरे साथ रे...
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( गीत-दो )
अन्ना की तमन्ना है कि जनलोकपाल बन जाए
चाहे भ्रष्टों की जान जाए चाहे संसद थम जाए.
ओ ए लो रा रा रू...
अन्ना तो पहले ही देश का हो चुका
देशवासियों के दर्द में खो चुका
भ्रष्टों की आँखों में शूल बन चुका
अन्ना रख दे जो हाथ
फिर भ्रष्टाचार दब जाए.
चाहे...
रिश्वत तो देते हैं लेते हैं भ्रष्ट हर बार
हुआ क्या गरीबों का भर लिया घर-बार
भ्रष्टों को तोड़ दे
पूरे देश को जोड़ दे
अपनी जगह से कैसे अन्ना हिल जाये
चाहे...
भूला ना अन्ना को भ्रष्टाचार
हो सके तो तू जनलोकपाल बना...
न लडूं मैं तो अन्ना नहीं मेरा नाम
नेताओं की कोरी बातों से
अनशन कैसे टल जाए...
चाहे...
वन्दे मातरम...!!
प्रबल प्रताप सिंह
1 टिप्पणियाँ:
ati uttam, prabal bhai.
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