प्यारे प्रधानमंत्री जी
सादर अनभिग्यस्ते
आपको यह पत्र पढ़ने का कष्ट उठाना पड़ रहा है इसके लिए क्षमा चाहते हैं. किन्तु क्या करें हमारी विवशता थी सो आपको यह पत्र लिखना पड़ा. वैसे तो हमें खेती के कार्यों से ही समय नहीं मिलता जो किसी को पत्र लिखें परन्तु यह भी अंत्यंत आवश्यक था कि आपकी आँखों पर पड़े पर्दे को इस पत्र द्वारा हटाने का प्रयास किया जाये. प्रधानमंत्री जी हालांकि अपना देश भारत एक कृषि प्रधान देश है किन्तु फिर भी इस देश में हम किसानों की स्थिति दिन-प्रतिदिन ख़राब होती जा रही है...आगे पढ़ें
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