शिष्य को चुपचाप बैठे देख गुरु ने उससे पूछा
गुरु : पुत्र कहाँ खोये हुए हो ?
शिष्य : गुरुदेव सामने खड़े रेहड़ीवाले को देख मन में कुछ विचार उमड़ रहे हैं.
गुरु : कैसे विचार पुत्र ?
शिष्य : यही कि रेहड़ीवाला गरीब है और अपना गुजारा परांठे की रेहड़ी लगाकर चलाता है.
शिष्य : गुरु देव रेहड़ीवाला गरीब है फिर भी आगे पढ़ें...
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