सोचता तो हूं
मैं भी
पल भर
ठहर कर
सुसता लूं
पर तभी याद आता है
निहारती होगी
कहीं सांझ, कहीं भौर मुझे
कहीं प्रियतम की प्रतीक्षा
कहीं पीडा के पलों से मुक्ती
कहीं स्वपनों का पल्वन
कहीं दिन भर की थकन
कहीं जाडे की ठिठुरन
कहीं
डैने फ़ैलाये फ़डफ़डा रहा होगा
रुक नहीं सकता
चलना होगा हर तौर मुझे
मैं भी
पल भर
ठहर कर
सुसता लूं
पर तभी याद आता है
निहारती होगी
कहीं सांझ, कहीं भौर मुझे
कहीं प्रियतम की प्रतीक्षा
कहीं पीडा के पलों से मुक्ती
कहीं स्वपनों का पल्वन
कहीं दिन भर की थकन
कहीं जाडे की ठिठुरन
कहीं
डैने फ़ैलाये फ़डफ़डा रहा होगा
रुक नहीं सकता
चलना होगा हर तौर मुझे
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