सफीदों (हरियाणा) : सफीदोंमेंएकडाक्टरकीलापरवाहीनेदर्जनोंलोगअपनीआंखोंकीरोशनीहमेशाकेलिएखोबैठे।अबयेपीड़ितलोगसिर्फदोषीडाक्टरकोकोसनेकेसिवाएकुछभीनहींकरसकतेहैं।पीड़ितव्यक्तिइस उम्मीद केसाथदुसरेअस्पतालोंमेंइलाजकेलिएधक्केखारहेहैंकिशायदउनकीआंखोंकीरोशनीवापिसआजाए।जहांइनलोगोंनेजिंदगीभरकेलिएअपनीआंखेखोई, वहींआरोपीडाक्टरबड़ीबेशर्मीसेयहकहरहाहैकिआप्रेशनकेदौरानइसतरहकीसमस्याआमबातहै।सफीदोंकेमांभागोदेवीधमार्थअस्पतालकेआंखोंकेडाक्टरअरविंदमौर्यनेक्षेत्रकीसामाजिकसंस्थाबंधुसेवासंघद्वारालगाएगए मुफ्त आंखों के कैंप मेंलोगों की आंखोंकेआप्रेशनकिएथे।आप्रेशनकेकुछहीदिनोंबादआप्रेशनकरवानेवालेलोगोंकोअपनीआखेंखोदेनेकाअहसासहोनेलगातोपीड़ितोंवउनकेपरिजनोंकेपांवतलेकीजमीनसरकगई।जबपीड़ितलोगआंखोंकीरोशनीनहींआनेकीशिकायतलेकर डाक्टर सेमिलेतोपहलेतो डाक्टर उन्हेंआश्र्वानदेतारहाकिआंखेठीकहोजाएंगीलेकिनबादमेंसाफतौरपरमनाकरदियाकिअबइनआंखोंकाकुछभीनहींहोसकता।पीड़ितमुआनागांवकेगोपीराम, हाटगांवकेहुकमचन्द, सफीदोंकेरामदिया, सफीदोंकीशिवकालोनीनिवासीओमपति, निमनाबादगांवकेअजायबसिंह, सिंघानागांवकेरणबीर, निमनाबादगांवकीराजोदेवीसहितअन्य लोगों ने सीधेसीधे डाक्टर अरविन्द मौर्य पर आप्रेशन के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। जिसके कारण उनकी आखें की रोशनी सदासदा के लिए चली गई। पीड़ित लोगों ने बताया कि आप्रेशन से पहले तो उन्हें थोड़ा बहुत अवश्य दिखाई देता था लेकिन उसके बाद उन्हें दिखाई देना बिल्कुल बंद हो गया है। अब वे दुसरे अस्पतालों में इलाज के लिए चक्कर लगा रहे हैं। सभी पीड़ित डाक्टर को पानी पीपीकर कोश रहे है। आप्रेशन कैंप के बाद आंखों की रोशनी गंवाने के मामले सामने आने के बाद सफीदों प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। स्वास्थ्य विभाग ने डिप्टी सिविल सर्जन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर जल्द रिपोर्ट देने के लिए कहा। इसके अलावा आप्रेशन करने वाले चिकित्सक को तबल किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डाक्टर नरवीर ने भी मामले की शीघ्र रिपोर्ट भेजने के निर्देश सिविल सर्जन डा आरएस वाधवा को दिए हैं।इसके अलावा मामले की जांच के बाद आरोपी चिकित्सक के खीलाफ भी कार्रवाई के लिए कहा गया है। आप्रेशन के दौरान लोगों की आंखों की रौशनी खो जाने का मामला सामने आने पर उपायुक्त अभय सिंह यादव ने सिविल सर्जन डा. आर.एस. वाधवा तथा सफीदों के एस.डी.एम. सत्यवान इंदौरा के साथ पूरे मामले पर विचारविमर्श किया और निर्देश दिया कि मुत कैंप में आप्रेशन करवाने वाले लोगों का पता लगाकर उनकी जांच करवाई जाए और पीड़ित लोगों का इलाज सामान्य अस्पताल जींद में करवाया जाए। आप्रेशन के दौरान खामिया या रही इसके लिए जांच टीम का गठन किया जाए और आरोपी चिकित्सक डा. अरविंद मौर्या के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उपायुक्त से निर्देश मिलते ही स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी पीड़ित लोगों के पास पहुंच गए। इस मामले में डी.सी. डा. अभय सिंह यादव ने बताया कि इस मामले में एक जांच टीम का गठन किया गया है और चिकित्सक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। सिविल सर्जन डा आर.एस. वधवा ने बताया कि डिप्टी सिविल सर्जन डा. धन कुमार के नेतृत्व में जांच टीम बना दी गई है। जिन्हें शीघ्र रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। इसके अलावा डी.जी. हैल्थ ने भी मामले की रिपोर्ट शीघ्र देने के लिए कहा है। इस विष्य में आरोपी डाक्टर अरविंद मौर्य का कहना है कि आप्रेशन के दौरान इस तरह की समस्या आम बात है। सौ में दस केस खराब हो ही जाते है।
3 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी खबर। धन्यवाद।
तौबा-तौबा मित्तल जी! लगता है डॉक्टर आरक्षित कोटे का लाभ लेकर डॉक्टर बना था.
एक सुझाव-कृपया पूरे लेख की एक बार प्रूफ रीडिंग अवश्य कर लें...
जरुर झोलाछाप डाक्टर रहे होंगें .... बहुत दुखद वाकया है ...
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