बालकों के अधिकार की किसी को क्या पढ़ी
कल बल अधिकारों पर एक रचनात्मक संगोष्टी हुई सभी पत्रकार उपस्थित थे कहीं पत्रकार संगोष्टी के संवाद लिखना भूल नहीं गये हों इसलियें पत्रकारों को लिखित में प्रेस नोट और फोटू भेजे गये लेकिन विषय एक तो उबाऊ था दुसरे अख़बारों को इस खबर से कुछ मिलने वाला नहीं था इसलियें आज सुबह मेनें वापस आकर जब अख़बार उठाया तो कुछ अख़बारों से इस महत्वपूर्ण कार्यशाला की खबर गायब थी और कुछ में थी तो हाशिये पर वही हुआ जो मेने मिडिया में कई साल रहकर इसे नजदीक से देख कर सोचा था ।
दोस्तों आप जानते हें के देश का कोई भी १८ साल से कम का बच्चा चाहे परिजनों के साथ रहे लेकिन देश के स्वर्णिम भविष्य का निर्माता होने के कारण उस पर सरकार की पूरी नजर रहती हे उसे अपराध,हिंसा,आर्थिक आभाव और बुरे आचरण से बचाने के लियें सरकार सजग और सतर्क रहे इसके लियें इंडियन चिल्ड्रन एक्ट बनाया गया हे जिसमें अगर बच्चों को मां बाप की सही परवरिश नहीं मिलती हे तो सरकार को ऐसे मां बाप की स्नर्क्ष्कता से बच्चे लेकर खुद के खर्चे पर उनकी देखभाल करने उनका लालन पालन करने का अधिकार दिया हे मिडिया हे जिसे कहा गया हे के बच्चों की कोई भी खबर सावधानी से प्रकाशित करें और पीड़ित अपराध में लिप्त बच्चों की खबर में उनका नामा उनकी पहचान उनके फोटू नहीं छापें वरना सजा का प्रावधान रखा गया हे इसके आलावा सरकार के लियें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बल आयोग गठित करने का प्रावधान बनाया गया हे तो दोस्तों मिडिया के पास इस विषय पर लिखें प्रकाशित करने का काफी मसला था लेकिन मिडिया को इसमें ना तो कोई गिफ्ट मिला केवल सदा खाना दिया गया अख़बार के मालिकों को विज्ञापन नहीं मिले बस इसलियें कल के भविष्य की खबर अगर छुट भी जाए या दो लाइन छाप कर खबर की इतिश्री भी कर ली जाए तो कोन अख़बारों से पूछने वाला हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें