राष्ट्रिय उपभोक्ता दिवस जनता के साथ ठगी ही ठगी
बखान करेगी कल इस दिवस को मनाने के नाम पर केंद्र और राज्य सरकारे देश के अरबों रूपये विज्ञापन और समारोह में खर्च कर देंगे लेकिन फिर भी जनता को अंगूठे के सिवा कुछ नहीं मिलेगा । देश में जनता को किसी भी वस्तु की खरीद के वक्त उपभोक्ता माना गया हे और उपभोक्ता के अधिकार में उचित कीमत वसूलना , वस्तु समय पर उपलब्ध कराना , सही और गुणवत्ता वाली वस्तु बेचना और तोल में कोई सामान कम नहीं देना शामिल हे जबकि रूपये लेकर किसी भी प्रकार की सेवा में कोई दोष नहीं रहे इस मामले में भी उपभोक्ता को अधिकार दिए गये हें , हमारे देश में उपभोक्ता कानून बनाया गया हे और इस कानून के तहत राष्ट्रीय स्तर पर एक उपभोक्ता परिषद बनेगी फिर राज्य स्तर पर एक उपभोक्ता परिषद बनेगी फिर जिला स्तर पर एक उपभोक्ता परिषद बनेगी यह आवश्यक प्रावधान इस कानून में रखे गये हें लेकिन देश में राज्यों में या जिले में कहां यह परिषदें हें यह परिषदें कहां उपभोक्ता को लाभ पहुंच रही हे किसी को पता नहीं हें यहाँ तक के उपभोक्ता मामलों में राजस्थान में रसद निरीक्षकों को जनता की तरफ से मुकदमें दायर करने के अधिकार दिए हें लेकिन आज तक एक भी अधिकारी ने किसी भी व्यापारियो के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं किया हे पेट्रोल गेस में मिलावट सेवाओं में दोष स्कुल,ट्यूशन में मनमानी सेवाओं मने दोष । खाने पीने की वस्तुओं में मिलावट और तोल में कम बेचना आम बात हे सभी तरह के नकली सामानों की बिक्री धडल्ले से चल रही हे हालत यह हें के देश में इन दिनों आवश्यक वस्तुएं सब्जी,प्याज और दूसरी चीजों के दाम बढ़े हुए हें यह सब उपभोक्ताओं से सम्बंधित हें और सरकार को या आफिर सरकार द्वारा नियुक्त उपभोक्ता परिषदों को इसकी समीक्षा और इन मामलों में कार्यवाही करना चाहिए लेकिन सरकार हे के कानून तो बना दिया लेकिन पालना नहीं की और उपभोक्ता दिवस के नाम पर करोड़ों अरबों के विज्ञापन और दिखावटी कार्यक्रम खूब किये जाते हें उपभोलता परिषदों या रसद निरीक्षकों द्वारा जनता और उपभोक्ताओं के लियें उन्हें न्याय दिलवाने के लियें कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी हे ऐसे में तो बस यही कहा जाएगा के राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस बस राम राम सत्य हो गया हे और जनता उपभोक्ता ठगे से बेठे हें जबकि व्यापारी और उत्पादक सेवा प्रदाता मजे कर रहे हें कहने को कहते हें के एक सादे कागज़ पर उपभोक्ता फ़ोरम में शिकायत कर दो न्याय मिल जाएगा लेकिन व्यवहार में वहां शूल लिया जा रहा हे ५० नियम लागु कलिए गये हें एक परिवाद में कमसेकम ३०० रूपये का खर्च हे तो छोटे मोटे मामले तो पेश ही नहीं होते और जो पेश होते हे उनका क्या हश्र होता हे हम जानते हें सरकार ने इसके लियें विधिक न्यायिक प्राधिकरण और विधिक शःयता समिति बनाई हे लेकिन वहां से लोगों को मदद नहीं मिलती हे वकील जिन्हें सनद इस शर्त पर मिलती हे के वोह कुछ प्रतिशत मामले जनहित के लड़ेंगे लेकिन वोह ऐसा नहीं करते हे अब जनता इस उपभोक्ता दिवस का क्या अचार डालेगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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