नहरी विभाग को किसानों की फसलों की कोई परवाह नहीं
कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है नहरी विभाग
सफीदों (हरियाणा) : सफीदों कस्बे के गंदे पानी व बाढ़ के पानी की निकासी करने वाली सफीदों डिच ड्रेन उपमंडल के गांव छाप्पर के किसानों पर कहर बनकर बरप रही है। ड्रेन की सफाई ना होने की वजह से हर सीजन में किसानों की फसलें तबाह हो रही हैं। ग्रामीण प्रशासन व नहरी विभाग के आला अधिकारियों को कई बार ड्रेन की सफाई के लिए गुहार लगा चुके हैं लेकिन प्रशासन व नहरी विभाग के अधिकारी इस समस्या को लेकर कुंभकर्णी नींद सोए हुए हैं। प्रशासन को किसानों की जान व माल की कोई परवाह नहीं है। किसान जगतार सिंह, बलदेव सिंह, मालक सिंह, कुलवंत सिंह, जोगेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह व साहब सिंह ने बताया कि सरकार ने बाढ़ के पानी को निकालने के लिए हांसी ब्रांच नहर के दोनों ओर डिच ड्रेन बनाई हुई हैं। इस ड्रेन में बाढ़ के साथसाथ सफीदों कस्बे का गंदा पानी भी सारा साल बहता है। यह ड्रेन पिछले कई वर्षें से गंदगी व घास से अटी पड़ी है। ड्रेन के बंद होने के कारण गंदा व बरसाती पानी किसानों के खेतों में मार करता है। जिससे उनकी हर सीजन में लाखों रुपए की फसलें तबाह हो जाती हैं।किसानों ने बताया कि इस ड्रेन के माध्यम से सफीदों से जो गंदा पानी आता है वह पानी बहुत ही जहरीला है तथा यह जहरीला पानी ड्रेन बंद होने के कारण उनके खेतों में बह जाता है। किसानों ने बताया कि इस जहरीले पानी की चपेट में कोई भी फसलीय पौधा आता है वह उसी वक्त वह पौधा नष्ट हो जाता है। इस ड्रेन में समुंद्र सोख नामक वनस्पति पैदा हो गई है जोकि पशुओं के लिए घातक है तथा पानी के बहाव को भी रोकती है। इस पानी के संपर्क में आने से कई पशु गंभीर रोगों का शिकार हो चुके हैं। किसानों का कहना है कि पहले उनकी धान की फसले खराब हुई थी अब गेंहु की फसल भी चौपट होने के कगार पर है। अगर प्रशासन ने इस ओर कोई कदम नहीं उठाया तो उनके अरमानों पर पानी फिरने से कोई नहीं रोक सकता। किसानों का कहना है कि इस ड्रेन की सफाई हुए काफी वर्ष हो चुके है। कायदे से तो ड्रेन की सफाई हर वर्ष् होनी चाहिए लेकिन विभाग को कायदे कानूनों से कोई सरोकार नहीं है। नहरी विभाग की कारगुजारियों के कारण खेतों में जलभराव होना एक आम बात हो गई है। किसानों ने बताया कि इस ड्रेन के बंद होने के कारण अब इसका पानी गांव के रिहायशी इलाकों में भी मार करने की संभावना बन गई है।पानी के बढ़ते जलस्तर के कारण गांव की हरिजन बस्ती में भी ड्रेन का पानी घूसने की प्रबल संभावना है। ग्रामीणों का कहना है कि वे इस समस्या को लेकर कई बार प्रशासन व नहरी विभाग के आलाधिकारियों के पास जा चुके है लेकिन आज तक उन्हें कोरें आश्र्वासनों के अलावा कुछ भी नहीं मिला। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन चाहता है कि उनके खेतों व गांव में जलभराव ना हो तो उसे अपनी कुंभकर्णी नींद से जागना होगा। उन्होंने प्रशासन व विभाग से गुहार लगाई है कि इस ड्रेन की समुचित सफाई करवाई जाए। अब देखना यह है कि विभाग अपनी कुंभकर्णी नींद से कब जागता है? इस संबंध में नहरी विभाग के कार्यकारी अभियंता कमलकांत से बात की गई तो उन्होंने कहा कि खेतों में खड़ा पानी गांव की बस्तियों का है। विभाग समयसमय पर इस ड्रेन की सफाई करवाता रहता है। अब फिर से सफाई करवाने के लिए अतिरिक्त उपायुक्त के पास एस्टीमेट बनाकर भेजा जा रहा है। एस्टीमेट पास होने के बाद मनरेगा के तहत इस ड्रेन की सफाई करवाई जाएगी।
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