ग़ज़ल
बेसबब दर्द कोई बदन में
यूं पैदा होती नहीं प्यारे.
गर समझ होती दर्द की
चारागर की जरूरत होती नहीं प्यारे.
गरीब होना क्या गुनाह है
अमीरी किसी की करीबी होती नहीं प्यारे.
सुन ओ मेरे वतन से रश्क करने वाले
मां हमारी रश्क के बीज बोती नहीं प्यारे.
कितना बढाऊँ हाथ आशनाई का '' प्रताप ''
एक हाथ से तो ताली बजती नहीं प्यारे.
प्रबल प्रताप सिंह
2 टिप्पणियाँ:
सुन ओ मेरे वतन से रश्क करने वाले
मां हमारी रश्क के बीज बोती नहीं प्यारे.
बहुत खूब। बधाई।
shukria kapila ji...!!
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