गुलाबी कार्ड कटने के बाद संस्था के राशन पर जी रहा है गरीब परिवार
सफीदों, (हरियाणा) : देश व प्रदेश की कांग्रेस सरकार गरीबों का मसीहा होने के बड़ेबड़े दावे करती है तथा सरकार द्वारा गरीबों के लिए लागू की जाने वाली योजनाओं के प्रचार के लिए बडे़बडे़ विज्ञापन प्रकाशित किए जाते हैं लेकिन उन कल्याणकारी योजनाओं का फायदा वास्तविक गरीब लोगों तक नहीं पहुंचता। उन योजनाओं को फायदा अपने रसूक के दम पर अमीर लोग उठा ले जाते हैं। सरकार ने इस बात की तरफ ध्यान नहीं दिया कि गरीबों के लिए जारी की गई योजनाएं ठीक रूप से लागू हो भी रही है या नहीं। इन्हीं योजनाओं के तहत सरकार ने अति गरीब परिवारों के लिए गुलाबी कार्ड बनाए जाने की योजना लागू कर रखी है। उन कार्डों को बनाए जाने के लिए किए सर्वे में कर्मचारियों द्वारा निचले स्तर पर बड़ी धांधली हुई। सर्वे में अमीरों के नाम शामिल कर लिए गए तथा गरीबों के नाम काट दिए गए। नतीजतन गरीब लोग इस गुलाबी कार्ड योजना से महरूम रह गए। गुलाबी कार्ड बनाने के लिए किए गए सर्वे में हुई धांधली को लेकर कई बार लोगों द्वारा प्रदर्शन किए गए तथा प्रशासन को ज्ञापन सौंपे गए। इसी धांधली का शिकार सफीदों के वार्ड नंबर 12 में एक टूटेफूटे मकान में रह रही एक विधवा कस्तूरी देवी भी हुई है। विधवा कस्तूरी देवी ने रोते हुए बताया कि उसके साथ बहुत बड़ी ज्यादती हुई है। उसके पास ना तो रहने के लिए ढंग का मकान तथा ना ही खाने के लिए भोजन है। जिस मकान में वह रह रही है, उस मकान की हालत इतनी जर्जर है कि वह किसी भी क्षण गिर सकता है। उसने बताया कि वर्ष् 2008 से पहले उसका गुलाबी कार्ड बना हुआ था लेकिन वर्ष 2008 में उसका गुलाबी कार्ड अफसरशाही व कर्मचारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया। उसके बाद आज तक भी उसका गुलाबी कार्ड नहीं बन पाया है। गुलाबी कार्ड कट जाने के बाद सरकार द्वारा कम दामों पर दिया जाने वाला उसका राशन बंद हो गया। राशन बंद होते ही वह भूखों मरने के कगार पर पहुंच गई। उसने बताया कि उसके पति छोटू राम की काफी सालों पहले ही मौत हो चुकी है। उसका एकमात्र सहारा उसका बेटा रमेश कुमार पैरो से अपाहिज है। घर में कमाई का कोई साधन नहीं है। उसका बेटा रमेश बाजार में बाजार में छोटी सी रेहड़ी लगाता है तथा वह स्वयं भी लोगों के घरों में काम कर रही है। उसके बेटे रेहड़ी पर भी इतना भी काम नहीं है कि वह घर का गुजारा चला सके। परिवार चलाने के लिए जब सरकार के साी दरवाजे बंद हो गए तब उसको महामंडलेश्र्वर एवं गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के सानिध्य व आशीर्वाद चल रही सफीदों की एक सामाजिक संस्था श्री कृ ष्ण कृपा सेवा समिति ने सहारा दिया। उल्लेखनीय है कि सफीदों की सामाजिक संस्था श्री कृ ष्ण कृपा सेवा समिति हर महीने क्षेत्र के भ्क् गरीब व बेसहारा परिवारों को राशन दे रही है। जिसमें पूरे महीने भर का खानेपीने का सारा सामान होता है। विधवा कस्तुरी देवी ने बताया कि उसे इस बात का पता चला कि श्री कृ ष्ण कृपा सेवा समिति गरीब व बेसहारा परिवारों को राशन दे रही है तो उसने संस्था के पदाधिकारियों से संपर्क किया। संस्था के पदाधिकारियों ने उसके घर व परिवार की हालत को देखते हुए संस्था की तरफ से उसका कार्ड बना दिया।उसने बताया कि वह उस कार्ड के माध्यम से हर महीने का राशन प्राप्त करके गुजरबसर कर रही है। उसने बताया कि उसने इस बात के खूब प्रयास किए कि वह संस्था का राशन ना ले तथा किसी तरह से उसका गुलाबी राशन कार्ड दोबारा से बन जाए। उसने गुलाबी राशन कार्ड बनवाने के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक खूब धक्के खाए लेकिन उसे कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई। नतीजतन आज तक भी उसका गुलाबी कार्ड दोबारा से नहीं बन पाया है। उसका कहना है कि अब उसे सरकार व प्रशासन से इस मामले में उमीद कम ही बची है। उसका कहना है कि वह अपनी जिंदगी तो किसी तरह से काट लेगी लेकिन उसे फिक्र तो अपने बेटे की लगी हुई है कि उसका गुजरबसर किस तरह से होगा। उसने सरकार व प्रशासन से गुहार लगाई है कि उसका गुलाबी कार्ड बनवाया जाए तथा उसका मकान बनवाया जाए। इस मामले में श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति के राशन वितरण प्रमुख दर्शन लाल मेहता ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि विधवा कस्तूरी देवी पिछले कई सालों से इस संस्था से राशन प्राप्त कर रही है। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा कस्तूरी देवी को हर महीने आटा, दाल, चावल, चाय, चीनी व अन्य सामान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महामंडलेश्र्वर एवं गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के सानिध्य व आशीर्वाद से यह राशन वितरण का प्रकल्प पिछले काफी समय से चल रहा है। इस प्रकल्प के तहत गरीब व बेसहारा परिवारों को राशन दे रही है।न है तथा ना ही गुजारा करने के लिए कारोबार है। उसने बताया कि वह हर महीने श्री कृ ष्ण कृपा सेवा समिति द्वारा बनाए गए कार्ड पर समिति से राशन प्राप्त कर रही है।
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