जींद। 20जुलाई,2010
आज सुबह से ही निडाना के आसमान में चारों ओर बादलों की चौधर है। लोपा मक्खियाँ (ड्रैगन फलाईज्) जमीन के साथ-साथ उड़ रही हैँ। निडाना के किसान इसका सीधा सा मतलब निकालते हैं कि भारी बरसात होने वाली है। मौसम की इस तुनक मिजाजी के मध्य ही आज निडाना की महिला खेत पाठशाला का छट्टा सत्र शुरु होने जा रहा है। इस महिला खेत पाठशाला के मैदानी सच को जानने व इसकी बारिकियों को समझने के लिये, हिन्दुस्तान टाइम्स की संवाददाता, सूश्री निशा अवतार भी खेत में मौके पर पँहुची। सत्र की शुरुवात में डा. कमल सैनी की देखरेख में, महिलाओं द्वारा पिछले काम की समीक्षा की गई। इसके बाद महिलाओं ने पाँच-पाँच के समूह में दस-दस पौधों पर कीट अवलोकन, निरिक्षण व गणना का कार्य किया। बूंदा-बांदी के चलते सुअर फार्म पर ही आज कपास की फसल में कीटों की स्थिति का आकलन व विशलेषण किया। इसके आधार पर ही महिलाओं ने घोषणा की कि आज के दिन इस फसल में कोई भी कीट हानि पँहूचाने की स्थिति में नही हैं। कराईसोपा, दिखोड़ी, लोपा मक्खी, डायन मक्खी, लेडि बीटल्ज, व विभिन्न बुगड़े आदि लाभदायक कीटों की उपस्थिति की भी रिपोर्ट महिलाओं ने की। यह कार्यवाही रणबीर मलिक व मनबीर रेढ़ू की अगुवाई में हुई। निशा अवतार ने मुक्त-कँठ से महिलाओं की इस पाठशाला की भुरी-भुरी प्रशंसा की, खासकर उनकी लगन, निष्ठा व चाव की।
महिला खेत पाठशाला के इस छट्टे सत्र के अन्त में कृषि विकास अधिकारी डा. सुरेन्द्र दलाल ने उपस्थित महिला किसानों को बताया कि कपास की भरपूर फसल लेने के लिए किसान का जागरूक होना अति आवश्यक है। उन्हें एक तरफ तो अपनी फसल को खरपतवारों से मुक्त रखना चाहिए व दूसरी तरफ हानिकारक कीटों व लाभदायक कीटों की पहचान कर कीटनाशक के स्प्रे करने का सही समय पर सही फैसला लेना चाहिए। किसानों को जानकारी होनी चाहिए कि बहुत सारे खरपतवार हानिकारक कीटों के लिये वैकल्पिक आश्रयदाता का काम करते हैं और इन खरपतवारों पर पल रहे शाकाहारी कीटों की आबादी पर मांसाहारी कीटों का फलना-फुलना निर्भऱ करता है। अगर फसल में दोनों तरह के कीट साथ-साथ आते हैं तो हमारी फसल में कीटों का नुक्शान नही होगा। अतः सड़कों, कच्चे रास्तों, नालों, खालों, मेंढों आदि पर उग रहे कांग्रेस घास, आवारा सूरजमुखी, उल्ट कांड, धतूरा, कचरी, भम्भोले आदि खरपतवारों को आँख मिच कर नष्ट नही करना चाहिए। बल्कि इन पौधों पर दोनों तरह के कीटों की वास्तविक स्थिति का जायजा लेकर ही इस बारे में कोई ठोस फैसला लेना चाहिये। डा. सुरेन्द्र दलाल ने महिलाओं को बताया कि कपास की फसल सम्मेत तमाम खरपतवारों पर इस समय मिलीबग के साथ-साथ इसको खत्म करने वाले अंगीरा, फंगीरा व जंगीरा नामक परजीवी भी बहुतायत में मौजूद हैं। इनमें से अंगीरा नामक परजीवी तो अकेले ही 80-90 प्रतिशत तक मिलीबग को नष्ट कर देता है।
डा. सुरेन्द्र दलाल ने महिलाओं को याद दिलाया कि फसल में मित्र कीट भी दुश्मन कीटों को अपना भोजन बनाकर कीटनाशकों वाला ही काम करते हैं। इस लिए फसल पर कीटनाशक का छिड़काव करने का फैसला लेने से पहले फसल का निरीक्षण करना, हानिकारक कीटों व मित्र कीटों की संख्या नोट करना व सही विशलेषण करना अति जरूरी है।
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