सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,
आज दिनांक 26.05.2010 को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-2010 के अंतर्गत अठारहवें दिन प्रकाशित पोस्ट का लिंक-
एक सीमा तक करें शैतानियाँ, ना किसी का दिल दुखाना चाहिए।
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अजित कुमार मिश्र की दो कविताएँ
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हल्ला हुआ गली दर गल्ली। तिल्ली सिंह ने जीती दिल्ली।।
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अंग्रेज तो हिन्दुस्तान को आज़ाद छोड़ कर चले गए, लेकिन अपने पीछे हिंदी भाषा को अंग्रेजी का गुलाम बना कर गए!
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मैं तुम्हारा हूँ !
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उनके बच्चे कैसे पँख निकलते ही आकाश मे उड़ान लेते हैं.........
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आओ, मेरे लाडलों, लौट आओ !!!
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ब्लोगोत्सव-२०१० की आखिरी शाम हिंदी ब्लॉग जगत के लिए एक यादगार शाम होने जा रही है !
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आजादी के लिये लड़ने वाले दीवानों ने क्या इसी स्वतन्त्र भारत की कल्पना की थी?
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अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।
-सुमन
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