सफीदों, (हरियाणा) : हरियाणा के हिसार जिले के मिर्चपुर गांव में दलितों के घर कथित रूप से एक जाति विशेष के लोगों के द्वारा जलाए जाने की घटना से देश व प्रदेश के लोग सन्न हैं। मिर्चपुर गांव में राज्यसभा के सांसद ईश्र्वरसिंह दौरा करने के बाद एक उदघाटन के सिलसिले में सफीदों पहुंचे। इस मौके पर नेट प्रेस संवाददाता महावीर मित्तल ने इस मुद्दे पर उनके साथ खास बातचीत की। इस बातचीत में राज्यसभा सांसद ने कहा कि मिर्चपुर में दलितों के घरों को जलाए जाने की घटना अति निंदनीय है, शायद ही मै इस घटना को अपनी जिंदगी में भूला पाऊंगा। वहां पर चारों तरफ विनाश का मंजर है। चारों तरफ आग से जले दलितों के घर दिखाई दे रहे हैं। इस घटनामें घरों के साथसाथ एक अपाहिज लडक़ी व उसका पिता भी आग में स्वाहा हो गया। यह पूछे जाने पर कि आप इस घटना के लिए किसे जिमेदार मानते हैं तो उनका कहना था कि इस घटना को अंजाम देने वाले शरारती तत्व हैंतथा वहां का प्रशासन भी इस मामले में काफी हद तक दोषी है। वहां का प्रशासन स्थिति को संभाल नहींपाया।स्थिति बेकाबू होने के बावजूद भी वहां के प्रशासन ने उच्चाधिकारियों को सूचित नहीं किया जिसकी वजह से स्थिति अनियंत्रित हो गई। उन्होंने बताया कि घटना के बाद उस कालोनी में रहने वाले लोग डरे व सहमे हुए हैं।उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से इन गरीबों के साथ है। सभी परिवारों के नुकसान की भरपाई सरकार करेगी। इसके अलावा इन परिवारों को सरकार सरकारी जमीन में मकान बनवाकर इनका पुर्नवास करेगी। यह पूछे जाने पर कि अलग से कालोनी बसाए जाने से ये दलित परिवार समाज की मुख्यधारा से कट जाएंगे पर राज्यसभा सांसद ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दलित समाज की समाज कि मुख्यधारा से जुड़ा ही कब था। मिर्चपुर ही नहीं बल्कि हरियाणा के गोहाना, हरसौला व सालवन के अलावा कई जगहों पर में दलितों पर जुल्म की घटनाएं घट चुकी है।आजादी के 63 सालों के बावजूद समाज से जातपात की दीवार को तोडऩे में सफलता हासिल नहीं हुई है।कांग्रेस सरकार ने इस दीवार को तोड़ने के लिए शुरू से ही प्रयास कर रही है लेकिन इस कार्य में व्यापक सफलता हासिल नहीं हुई है। सरकार द्वारा लागू विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद दलित वर्ग पिछड़ा हुआ है।उन्होंने कहा कि कई जाति व धर्म में पैदा होना किसी के बस की बात नहीं है। समाज किसी एक जाति से नहीं बनता बल्कि विभिन्न जातियों का समूह ही समाज है। उन्होंने कहा कि आज सबसे ज्यादा जरूरत जातिपाति की इस दीवार को तोडऩे की है तथा इस कार्य में समाज के सभी वर्गों के लोगों को आगे आना होगा।
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