भारतीय रेल के कर्मचारियों व आई.आर.सी ( टिकट जारी करने वाली एजेंसी) ने मिलकर भारतीय साइबर अपराध में कीर्तिमान स्थापित किया है। भारतीय रेल के कर्मचारी ट्रेन को कुछ समय के लिए कंप्यूटर नेटवर्क पर गलत तरीके से ट्रेन को रद्द होना दिखा देते थे। ट्रेन रद्द होने से स्वतः टिकट बुक करने वाली एजेंसी के अकाउंट में बुक कराये गए टिकटों का रुपया वापस चला जाता था और वास्तव में ट्रेन रद्द नहीं होती थी जारी टिकट के यात्री उसी टिकट पर यात्रा भी करते थे। सूत्रों के अनुसार एक वर्ष में 310 ट्रेनों को कई कई दिन कुछ समय के लिए रद्द दिखाया गया है। रद्द दिखाते ही जारी ई-टिकट का रुपया घपलेबाज एजेंसियों के पास चला जाता था। ई-टिकट का रुपया अकाउंट में वापस होते ही ट्रेन को चलता हुआ दिखाया जाता था जिससे यात्री अपना सफ़र कर सके इस तरह से अरबों रुपयों का घोटाला किया जा चुका है। रेलवे में हर साल कई सौ करोड़ रुपयों का घोटाला मंत्रालय स्तर से लेकर निचले स्तर तक होता रहता है। इससे पूर्व रिलायंस टेलीफ़ोन कंपनी ने भारत संचार निगम के अधिकारीयों से मिलकर अंतर्राष्ट्रीय कालों को लोकल काल में दिखा कर कई सौ करोड़ रुपयों का घोटाला किया था। कई सौ करोड़ के घोटाले बाजों को कानून दण्डित करने में असमर्थ है लेकिन छोटे-मोटे चोर उच्चकों को जनता से लेकर पुलिस पीट-पीट कर मार डालती है।
अंत में,बंगलुरु स्टेडियम के बाहर हुए बम ब्लास्ट के सिलसिले में गिरफ्तार किये गए मेरठ के इमरान, काशिम तथा बिजनौर के सुनील मामूली अटैची चोर निकले ।
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