आप अपने क्षेत्र की हलचल को चित्रों और विजुअल समेत नेटप्रेस पर छपवा सकते हैं I सम्पर्क कीजिये सेल नम्बर 0 94165 57786 पर I ई-मेल akbar.khan.rana@gmail.com दि नेटप्रेस डॉट कॉम आपका अपना मंच है, इसे और बेहतर बनाने के लिए Cell.No.09416557786 तथा E-Mail: akbar.khan.rana@gmail.com पर आपके सुझाव, आलेख और काव्य आदि सादर आमंत्रित हैं I

29.4.10

आजाद भारत है या गुलाम भारत ?

बाराबंकी में सफदरगंज पुलिस अफीम के लाईसेंस धारक माता प्रसाद मौर्या को उनके गाँव से पकड़ कर लायी और रुपया वसूलने के लिए उनकी जबरदस्त पिटाई की कि उनकी मौत हो गयी उनके लड़कों को पुलिस थाने लाकर फर्जी मुक़दमे में चालान की तैयारियां शुरू कर दी कल बाराबंकी कोतवाली में अपर पुलिस अधीक्षक कोतवाल के बीच में सरेआम काफी कहासुनी हुई कोतवाल ने अपर पुलिस अधीक्षक के मुखबिर का चालान एन.डी.पि.एस एक्ट में कर दिया अपर पुलिस अधीक्षक ने कोतवाल के मुखबिरों का चालान करा दिया राजस्व विभाग के अधिकारी लोगों की जमीनों को विवादित कर गुंडों और मवालियों को कब्ज़ा कराने का कार्य कर रहे हैं आम नागरिक करे तो क्या करे वस्तुगत स्तिथियों को देखने के बाद अब संदेह होने लगता है कि हम आजाद भारत के नागरिक हैं या ब्रिटिश कालीन भारत के नागरिक हैं ब्रिटिश कालीन भारत में भी राज्य द्वारा नागरिकों का उत्पीडन होता था लोकतान्त्रिक आजाद भारत में भी नागरिकों का उत्पीडन हो रहा है

सुमन
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ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,
सादर प्रणाम,

आज दिनांक २८.०४.२०१० को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत प्रकाशित पोस्ट -
ब्लोगोत्सव-२०१० : ऑनलाइन विश्व की आजाद अभिव्यक्ति है ब्लोगिंग
ब्लोगोत्सव-२०१० :दर्पण का कार्य तो वस्तु का बिम्ब प्रदर्शित करना है
रहस्य: हम किसी चीज़ को किसी जगह पर देखते हैं तो वह वास्तव में ‘उस जगह’ पर नहीं होती
ब्लोगोत्सव-२०१० : आज हम लेकर आये हैं श्यामल सुमन की ग़ज़ल
ब्लोगोत्सव में आज हम लेकर आये हैं संजीव वर्मा सलिल,
ललित शर्मा और रवि कान्त पांडे के गीत
ब्लोगोत्सव में आज श्रेष्ठ पोस्ट के अंतर्गत माँ की डिग्रियां और शारदा अरोरा की कविता
ब्लोगोत्सव-२०१० : बहुत कठिन है डगर पनघट की
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28.4.10

क्या गद्दारी हमारी परंपरा का हिस्सा है ?

हमारे देश के राजे महाराजे सामंत जमींदार ब्रिटिश साम्राज्यवाद के एजेंट के रूप में कार्य करते थे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्यवाद का दुनिया में सूरज अस्त होना शुरू हो गया था और उसकी जगह अमेरिकन साम्राज्यवाद ने ले ली थी ब्रिटिश साम्राज्यवाद के चाकर तभी से अमेरिकन साम्राज्यवाद के लिए कार्य करना शुरू कर दिया था। उनके लिए देश और सामाज का कोई अर्थ नहीं है उनको अपनी शानो-शौकत बनाये रखने के लिए हर कार्य करने के लिए यह शक्तियां तैयार रही हैं आजाद भारत में पहला पाकिस्तानी जासूस मोहन लाल कपूर था जो कुछ पैसे और शराब के लिए देश के ख़ुफ़िया राज पकिस्तान के जासूसों को बेच देता था। उसी कड़ी में भारतीय महिला राजनयिक माधुरी गुप्ता जो इस्लामाबाद में भारतीय उच्च आयोग में अधिकारी थी आई.एस.आई के लिए काम कर रही थी पकड़ी गयी । आई.एस.आई अमेरिकन साम्राज्यवाद की प्रतिनिधि संस्था है। आज हमारे देश में अमेरिकन साम्राज्यवादियों की सबसे मजबूत पकड़ है देश के उच्च नौकरशाह अगर अमेरिकन दूतावास की शराब व दावतें उड़ा रहे हैं तो उनके लिए कार्य भी करते हैं । पूँजीवाद का उच्च स्वरूप साम्राज्यवाद है जिसके हितों के पोषण के लिए हमारी सरकारें कारगर तरीके से कार्य करती हैं देश की बहुसंख्यक आबादी से उनका कोई सरोकार नहीं है आज मुख्य चुनौती साम्राज्यवादी शक्तियों से लड़ने के लिए है। भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों से किसी भी देश की खुफिया एजेंसी जब चाहे तब अपने मनमाफिक तरीके से कार्य कराती रहती है। इतिहास के पृष्ठों पर अगर नजर डाली जाए तो मोहन लाल कपूर माधुरी गुप्ता जैसे लोगों की बहुतायत है जिसे देखकर लगता है क्या गद्दारी हमारी परंपरा का हिस्सा है ?

27.4.10

मायावती का सी0बी0आई0 पर दोहरा मापदण्ड अपनाने का आरोप

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती जी हैं, जो अपने को दलित की बेटी कहते हुए नहीं थकतीं, हैं भी वह दलित की बेटी; लेकिन खुद वह दलित नहीं हैं बल्कि अब उनकी गिनती अतिविशिष्ट गणों में होती है। अगड़ा, पिछड़ा दलित, यह है सामाजिक बंटवारा और इसी सामाजिक बंटवारा को समाप्त करने के लिए संविधान में पिछड़ों और दलितों के आरक्षण की व्यवस्था की गई हैं, वह अलग है कि पिछड़ों में या दलितों में किसको दिया, किसको नहीं दिया। इसको लेकर देश कई बार जलते-जलते बचा है और आज भी देश का एक हिस्सा राजस्थान आग की लपेट में है।

मायावती जी ने राजनीति में रहकर कितना धन कमाया या अन्य किसी नेता ने राजनीति से कितना लाभ उठाया इसकी जानकारी देश के अधिकांश नागरिकों को है, चाहे वह हार के द्वारा हो या उपहार के द्वारा या फिर स्थानान्तरण और नियुक्ति के उद्योग के द्वारा। लाभ तो हर राजनेता उठाता है अगर मायावती जी ने उठाया तो बुरा क्या?

ज्ञात सूत्रों से अतिरिक्त धन रखने के मामले में सी0बी0आई0 विवेचना कर रही है, मायावती जी के खिलाफ, जिसे न्यायालय में चुनौती दी गई है। चुनौती देते हुए मायावती जी द्वारा कहा गया है कि उनके साथ दोहरा मापदण्ड अपनाया जा रहा है। दोहरा मापदण्ड अपनाया जाना गलत है और हर कोई उसे गलत कहेगा; लेकिन दोहरा मापदण्ड अपनाये जाने के आधार पर किसी भी राजनेता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही समाप्त करना कानूनी गलती होगी। मायावती जी के खिलाफ अगर विवेचना चल रही है तो उसका रोका जाना विधि सम्मत नहीं होगा बल्कि उचित तो यह होगा कि किस राजनेता के मुकाबले मायावती जी के साथ दोहरा मापदण्ड अपनाया जा रहा है, यह तथ्य मायावती जी स्वयं स्पष्ट करें और उनके इस स्पष्टीकरण के बाद उनके द्वारा बताये गये राजनेता के खिलाफ भी ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति रखने का मामला दर्ज करके विवेचना शुरू करना चाहिए और विवेचना में न्यायालय को दखल नहीं देना चाहिए, चाहे वह कोई भी न्यायालय हो।

एक राजनेता को फंसते देखकर दूसरा राजनेता जो उसी हमाम में नहाया हुआ होता है उसे बचाने की कोशिश करता है। नेता शासक दल का हो या विपक्ष दल का नेता होता है, वह जनोपयोगी चीजों का दाम बढ़ाने में भी एक साथ होता है और अपनी सुविधाएं बढ़ाने के पक्ष में भी। वह हम जन साधारण हैं जो नेताओं के लिए इंसान नहीं वोट की अहमियत रखते हैं, इसलिए आवश्यक है कि वोट की अहमियत रखने वाले ही यह बात कहें कि ज्ञात स्रोतों से अधिक धन रखने वाला अपराधी तो है ही जन साधारण से अधिक सुविधा प्राप्त करने वाला और केवल पांच साल में करोड़पति बन जाने वाला और अरब-खबरपतियों को मदद पहुंचाने वाला नेता जनता का दोषी है और उसे जनता की अदालत में इसके लिए जवाबदेह होना आवश्यक है और यह भी जरूरी है कि न्यायिक प्रक्रिया अपना काम करे और उसमें कोई व्यवधान न पैदा हो तथा हर नेता के साथ एक जैसी कार्यवाही हो और दोहरा मापदण्ड न अपनाया जाए।

मोहम्मद शुऐब एडवोकेट
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26.4.10

ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,

आज दिनांक २६ .०४.२०१० को ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत प्रकाशित पोस्ट का लिंक

ब्लोगोत्सव-२०१० : हम व्यस्क कब होंगे ?

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_25.html

चिट्ठाकारिता ने हमें एक नया सामाजिक आस्वादन दिया है

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_1872.html

हिन्दी ब्लॉगिंग की ताकत को कम करके आंकना बिल्कुल ठीक नहीं है:अविनाश वाचस्पति
आईये हिंदी ग़ज़ल की विकास यात्रा पर एक नजर डालते हैं..

मानवीय सर्जना का नवोन्मेष है यह.....गिरीश पंकज

हम लेकर आये हैं आज निर्मला जी की कुछ और गज़लें

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_2935.html

अपनी बात : हिन्दी ग़ज़ल की विकास यात्रा http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_6880.html

ब्लोगोत्सव-२०१० : नीरज गोस्वामी,गौतम राजरिशी और अर्श की गज़लें

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3288.html

निर्मला कपिला की तीन गज़लें

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3358.html

गौतम राजरिशी की दो गज़लें

नीरज गोस्वामी की दो ग़ज़लें
अर्श की तीन गज़लें

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3917.html

ब्लोगोत्सव-२०१०: श्रेष्ठ पोस्ट और बच्चों का कोना

बच्चों का कोना : शुभम सचदेव की तीन बाल-कहानियां
ब्लोगोत्सव-२०१० : आज का कार्यक्रम उत्सवी स्वर के साथ संपन्न
रश्मि प्रभा के उत्सवी स्वर

बुद्धिजीवी होना भी एक चस्का : डा० अरविन्द मिश्र



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तुम जो कहो वह सब सही, हम जो कहें वह सब गलत

अम्बेडकर जयन्ती समारोह के दौरान गोण्डा में बसपा के मंच पर पार्टी के पदाधिकारी हनुमान शरण शुक्ला की सरेआम हत्याकर दी गई।
इसी के बाद पार्टी की ओर से बढ़ चढ़ कर सफाई अभियान शुरू हुआ। मज़े की बात यह है कि इसके लिये प्रमुख सचिव ग्रह कुवंर फतेह बहादुर तथा डी0 जी0 पी0 करम वीर सिंह मैदान में उतर गये और प्रेस-कान्फ्रे़न्स में इस प्रकार बोले जैसे पार्टी-प्रवक्ता बयान दें। उन्हों ने मृतक के संबंध में कहा कि वह न तो बसपा का सदस्य था और न ही वह पार्टी की किसी समिति से जुड़ा था, वह हिस्ट्रीशीटर था, उसकी हत्या रंजिश में की गई। जब यह सवाल हुआ कि बसपा से नहीं जुड़ा था और तो मंच पर कैसे बैठा था ? और हथियार बंद लोग मंच तक कैसे पहुँचे ? इन के उत्तरों के लिये अधिकारी-गण बग़लें झांकने लगे।
अब दुसरा बयान मृतक की पत्नी पंचायत सदस्य मंजु देवी तथा पु़त्री प्रियंका शुक्ला का देखिये-पत्नी ने बताया कि वे बसपा ब्राह्मण भाई चारा समिति के तरब गंज विद्यान सभा क्षेत्र के अघ्यक्ष थे, उनको यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वे ब्राह्मण समाज को बसपा के पक्ष में एकजुट करें। यह भी बताया की वह जयन्ती के मौके़ पर तीन सौ से अधिक गाड़ियों द्वारा हजारों लोगों को लेकर गये थे। पत्रकारों से बातचीत में रूँधे गले और बह रहे आसुंओ के बीच कहा कि दुःख की घड़ी में शासन उन्हें बसपा कार्यकर्ता न होने की बात कहकर उनके ज़ख्मों को कुरेद रहा है। पुत्री ने कहा कि बसपा के प्रत्येक र्कायक्रम में उनकी बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी थी।
दोनों बयानों की तौल-नाप आप खुद करें। मैं तो बस मृतक की पत्नी और पुत्री को यह कहूँगा कि वे बहन कु0 मायावती और शासन प्रशासन के गुरगों को मुखातिब करके यह शेर पढ़ दें-

बात तुम्हारी आज तक कोई हुई है कब गलत?
तुम जो कहो वह सब सही, हम जो कहें वह सब गलत।

डॉक्टर एस.एम हैदर

25.4.10

नेट प्रेस से बातचीत में राज्यसभा सांसद ने कहा " जातपात की दीवार तोडऩे में सफलता नहीं मिली"

सफीदों, (हरियाणा) : हरियाणा के हिसार जिले के मिर्चपुर गांव में दलितों के घर कथित रूप से एक जाति विशेष के लोगों के द्वारा जलाए जाने की घटना से देश व प्रदेश के लोग सन्न हैं। मिर्चपुर गांव में राज्यसभा के सांसद ईश्र्वरसिंह दौरा करने के बाद एक उदघाटन के सिलसिले में सफीदों पहुंचे। इस मौके पर नेट प्रेस संवाददाता महावीर मित्तल ने इस मुद्दे पर उनके साथ खास बातचीत की। इस बातचीत में राज्यसभा सांसद ने कहा कि मिर्चपुर में दलितों के घरों को जलाए जाने की घटना अति निंदनीय है, शायद ही मै इस घटना को अपनी जिंदगी में भूला पाऊंगा। वहां पर चारों तरफ विनाश का मंजर है। चारों तरफ आग से जले दलितों के घर दिखाई दे रहे हैं। इस घटनामें घरों के साथसाथ एक अपाहिज लडक़ी व उसका पिता भी आग में स्वाहा हो गया। यह पूछे जाने पर कि आप इस घटना के लिए किसे जिमेदार मानते हैं तो उनका कहना था कि इस घटना को अंजाम देने वाले शरारती तत्व हैंतथा वहां का प्रशासन भी इस मामले में काफी हद तक दोषी है। वहां का प्रशासन स्थिति को संभाल नहींपाया।स्थिति बेकाबू होने के बावजूद भी वहां के प्रशासन ने उच्चाधिकारियों को सूचित नहीं किया जिसकी वजह से स्थिति अनियंत्रित हो गई। उन्होंने बताया कि घटना के बाद उस कालोनी में रहने वाले लोग डरे व सहमे हुए हैं।उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से इन गरीबों के साथ है। सभी परिवारों के नुकसान की भरपाई सरकार करेगी। इसके अलावा इन परिवारों को सरकार सरकारी जमीन में मकान बनवाकर इनका पुर्नवास करेगीयह पूछे जाने पर कि अलग से कालोनी बसाए जाने से ये दलित परिवार समाज की मुख्यधारा से कट जाएंगे पर राज्यसभा सांसद ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दलित समाज की समाज कि मुख्यधारा से जुड़ा ही कब था। मिर्चपुर ही नहीं बल्कि हरियाणा के गोहाना, हरसौला व सालवन के अलावा कई जगहों पर में दलितों पर जुल्म की घटनाएं घट चुकी है।आजादी के 63 सालों के बावजूद समाज से जातपात की दीवार को तोडऩे में सफलता हासिल नहीं हुई है।कांग्रेस सरकार ने इस दीवार को तोड़ने के लिए शुरू से ही प्रयास कर रही है लेकिन इस कार्य में व्यापक सफलता हासिल नहीं हुई है। सरकार द्वारा लागू विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद दलित वर्ग पिछड़ा हुआ है।उन्होंने कहा कि कई जाति व धर्म में पैदा होना किसी के बस की बात नहीं है। समाज किसी एक जाति से नहीं बनता बल्कि विभिन्न जातियों का समूह ही समाज है। उन्होंने कहा कि आज सबसे ज्यादा जरूरत जातिपाति की इस दीवार को तोडऩे की है तथा इस कार्य में समाज के सभी वर्गों के लोगों को आगे आना होगा।

पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य का हुआ जोरदार स्वागत

सफीदों, (हरियाणा) : समाज के सभी वर्गों को आगे बढ़ाने, सभी क्षेत्रों में बराबर विकास योजनाओं का क्रियान्वयन करवाने तथा लोगों का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करना ही हुड्डा सरकार का मुख्य ध्येय है। यह बात पूर्व मंत्री एवं सफीदों हलका के पूर्व विधायक बचन सिंह आर्य ने कही। वे भुसलाना गांव में आयोजित एक अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस समारोह की अध्यक्षता पूर्व मंत्री कुलबीर मलिक व पूर्व विधायक दयानंद शर्मा ने की। इस मौके पर लोगों ने सभी नेताओं का जोरदार स्वागत किया। उन्होंने कहा कि विकास व रोजगार के मामले सफीदों विधानसभा क्षेत्र किसी भी क्षेत्र से पीछे नहीं है।अन्य क्षेत्रों की तरह से मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां के युवाओं को रोजगार दे रहें हैं तथा विकास के लिए धन भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मेहरबानी से वे लगातार क्षेत्र का चौकीदारा करते रहेंगे तथा लोगों की समस्याओं का निराकरण करवाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा किसान वर्ग की खुशहाली के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। सरकार के कल्याणकारी फैसलों से प्रदेश में उन्नति के द्वार खुले हैं तथा बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलध होने से उनका भविष्य उज्ज्वल हुआ है। हुड्डा सरकार ने गांवों का सर्वांगीण विकास करने के लिए एक योजनाबद्ध दूरगामी कार्यक्रम बनाया है जिससे प्रत्येक गांव को मुचित विकास होना संभव हो सकेगा। प्रदेश के राजनीतिक दलों के पास हुड्डा सरकार के खिलाफ कोई भी मुद्दा नहीं बचा है।

लो क सं घ र्ष !: इन्साफ हो किस तरह कि दिल साफ नही है

परमाणु अस्त्रों के सम्बन्ध में अनेक मंचों पर जब चिंता जताई जाती है तब हमकों एक कहानी याद आ जाती है-कुछ लोग एक मुर्दा उठायें हुए शमशान की ओर जा रहे थे, मोटा ताजा होने के कारण जब उसके भारीपन का एहसास हुआ तो उपाय सोचने हेतु उसे उतारा गया, फिर मुंह की ओर से कफ़न खोला, बड़ी बड़ी मूँछे देखकर एक सज्जन ने राय यह दी कि इसकी मूँछें उखाड़ लो।
अस्त्रों के अप्रसार, निरस्त्रीकरण आदि के अनेक समझौते हुए, एन0 पी0 टी0, सी0 टी0 बी0 टी0 की संधियाँ काफी पहले की हैं, परन्तु समस्या जहाँ थी वही अब भी हैं। बात यह है कि हुल्लड़ वही देश मचाते है जिनके पास विश्व भर के परमाणु हथियारों का 95 ज़खीरा मौजूदा है। यह हुल्लड़ भी इसलिये होता है कि वे दुसरो पर निशाना साधते रहें और किसी को उनकी ओर उंगली उठाने का मोका ने मिले।
आप ग़ौर करें कि चीन के पास 200, इस्राईल के पास 200, भारत, पाकिस्तान के पास 100-100 परन्तु अमेरिका व रूस के मिला कर 22 हजार से अधिक परमाणु हथियार हैं।
अप्रेल 10 के दुसरे सप्ताह में इस मामलें पर दो स्थानों पर र्वातायें हुईं।
सप्ताह के आरम्भ में चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग में अमेरिका राष्ट्रपति ओबामा तथा रूसी राष्ट्रपति मेदवेदेन ने परमाणु हथियारों में 30 कटौती के समझौते पर हस्ताक्षर किये। यह संधि 1991 की स्र्टाट संधि (स्ट्राटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी ) की जगह लेगी।
सप्ताह के अंत में नाभिकीय सुरक्षा सम्मेलन अमेरिका ने आयोजित किया, जिसमें भारत समेत 47 देशों नें परमाणु प्रौद्योगिकी था सूचना के गलत हाथों में न पड़ने देने का संकल्प लिया। ताकि सामग्री सूचना एवं तकनीक आतंकियों तक न पहुंचे। इस सम्मेलन से कुछ दिन पूर्व अमेरिकी विदेशी मंत्री हिलेरी किलंटन ने एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी में भाषण देते हुए भारत पाकिस्तान को धमकाया यह कहते हुए कि इन्हीं देशों ने परमाणु संतुलन बिगाड़ा है। इसके लिये यह मुहावरा है उल्टे चोर कोतवाल को डांटे। इस भाषण में उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात यह जरूर कही कि परमाणु अप्रसार संधि के तीन छोर हैं, पहला निरस्त्रीकरण, दूसरा अप्रसार, तीसरा परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण इस्तेमाल।
हथियारों को घटाना, उनका अप्रसार, गलत हाथों में न पड़ना, इन सब बातों से बेहतर तो यही था कि मूल मुद्दे निरस्त्रीकरण पर दो टूक बाते की जाती। 1945 में इसकी भयावह तस्वीर सामने आई थी, जब अमेरिका ने नागासाकी शहर पर बम छोड़ा जिससे 90 हजार लोग मरे, फिर हिरोशियमा पर बम ब्लास्ट में एक लाख चालीस हजार जाने गई तथा 69 फीसदी इमारते नष्ट हो गई।
यह सच मानिये कि परमाणु प्रसार के मामले में अमेरिका की सब से बड़ा अपराधी है, 1945 के बाद से आज तक 65 वर्ष हो चुके हैं परन्तु मुख्य मुद्दे से ध्यान हटाने की बाते होती रहती हैक्ं। यदि पूर्ण निरस्त्रीकरण लागू हो जाये तो सभी समस्यायें सुलझ जायें। अब उत्तर कोरिया और ईरान यदि अपराधी हैं तो उन्हें सजा जरूर दीजिये लेकिन इस्राईल का दोष क्यों नजर नहीं आता?

इस दहर में सब कुछ है पा इन्साफ नहीं है।
इन्साफ हो किस तरह कि दिल साफ नही है।

डॉक्टर एस.एम हैदर

हम बचपन में...

मेरी ग़ज़ल अमर उजाला कोम्पेक्ट में  ( जो कविता के नाम से छप गई है )
बड़े आकार में देखने के लिए मैटर पर किल्क करें.

 
















 
प्रबल प्रताप सिंह

24.4.10

असुरक्षित रेल यात्रा

एक समय था जब रेल यात्रा सुरक्षित हुआ करती थी। धीरे-धीरे एक समय ऐसा आया जब रेलवे की टिकट खिड़कियों से लेकर टेª के अन्दर गिरहकटी हुआ करती थी। टिकट खिड़कियों पर लिखा रहता था गिरहकटों से सावधान। गिरहकटों से सावधान पर निगाह पड़ते ही लोग अपनी-अपनी जेब देखने लगते थे और इसी में गिरहकट भांप जाते थे कि उन्हें किस जेब पर हाथ साफ करना है। टिकट हाथ में आने के जब बचा हुआ पैसा टिकट खरीदने वाला अपनी जेब में डालता था तब वह अवाक रह जाता था क्योंकि उस वक्त तक उसकी जेब साफ हो चुकी थी। लम्बी दूरी के मुसाफिर के पीछे ट्रेन में भी गिरहकट लगे रहते थे और जेब साफ कर पाने की स्थिति में एक गिरहकट दूसरे गिरहकट के हाथ मुसाफिर को बेच दिया करता था और पूरे रास्ते में कहीं कहीं उसकी जेब साफ हो जाती या सामान गायब हो जाता था। ट्रेनों में टपके बाजी भी जोरों पर होती थी। प्लेटफार्म से ट्रेन के चलने के समय खिड़कियों से हाथ की घड़ियां, कान के झुमके वगैरह भी खींचने का चलन एक जमाने में जोरों पर था।

चोरी, गिरहकटी और टपकेबाजी के बाद टेª डकैतियों का युग आया। अक्सर टेª डकैतियां समाचार-पत्रों की खबरें बनी रहतीं और आज भी कभी-कभी टेª डकैती हो जाती है। टेª डकैती एक बड़ी घटना हुआ करती थी जिस पर सरकार तथा रेल विभाग का ध्यान गया और टेªनों में मुसाफिरों की हिफाज़त के लिए गार्ड भी तैनात किये गये और इस तरह डकैतियों का सिलसिला काफी हद तक थमा, अगर वह किसी पुलिस वाले के द्वारा डाली गयी हो क्योंकि ऐसी खबरें भी अक्सर आती रहती हैं।

राजनीति में भी आने वाले लोग ट्रेनों का दुरूपयोग करने से नहीं चूकते और नारा लगाते हुए चलते हैं - ‘‘एक पैर रेल में एक पैर जेल में’’ और इन रेल पर बिना टिकट चलने वालों के पैर जेल तो कभी नहीं गये लेकिन रेल में चढ़ने के बाद टिकट रखने वाले मुसाफिरों को तकलीफ जरूर पहुंचाया। स्लीपर क्लास वालों को बैठने का मौका देकर उनकी सीटें छीन लेते रहे, ये हैं राजनीतिक लोग; लेकिन वो लोग भी इन राजनीतिक लोगों से कम नहीं जिनकी जिम्मे देश की सुरक्षा सौपी गयी है। अक्सर फौजी लोग ट्रेन से आम मुसाफिरों को बाहर फेंक दिया करते हैं क्योंकि वह अपना अधिकार समझते हैं कि देश की सुरक्षा के बदले वे किसी भी आम नागरिक को चोट पहुंचायें।

इतना सब कुछ मैंने सिर्फ इसलिए कहा क्योंकि भाजपा की एक महारैली दिल्ली में थी, जिसमें पूरे देश के भाजपाई, देशभक्त उमड़ पड़े, एक बहुत बड़ा जत्था मुगलसराय से भी गया था। 20 अप्रैल, 2010 को 730 बजे ट्रेन- 2397 महाबोधी एक्सप्रेस मुगलसराय पहुंची, जिसके कोच नम्बर एस 5 में बर्थ नम्बर 1, 9, 10, 11, 12, 13 और 14 और एस 13 एस 14 में क्रमशः बर्थ नम्बर 13 और 23 अल्लाह की गाय के नाम से जाने जाने वाले तबलीग़ी जमात के लोग जाने को थे जो टेª पर सवार हुए जहां देखा कि उनकी सीटों पर दूसरे लोग बैठे हुए थे। उन लोगों ने अपनी सीट पर बैठे लोगों से सीट खाली करने को कहा, तो उन लोगों ने सीट नहीं खाली की जिसकी शिकायत सिक्योरिटी गार्ड से की गई। शिकायत करने पर भाजपाइयों ने नारेबाजी शुरू कर दी और कहा कि वे उस ट्रेन में कठमुल्लाओं को नहीं जाने देंगे और यह भी कहा कि अगर उनसे बल प्रयोग करके सीट खाली करा ली गई तो वे आगे जाकर कठमुल्लाओं को ट्रेन से बाहर फेंक देंगे। इसी के साथ ट्रेन के दूसरे डिब्बों में बैठे अपने दूसरे साथियों को बुलाने के उद्देश्य से नारेबाजी तेज कर दी, जिनकी मंशा भांप कर तबलीग़ी जमात के लोग ट्रेन से उतर गये और जाकर टिकट वापस कर दिया। ऐसी स्थिति में कौन हिम्मत करेगा, टेª से सफर करने की। जब वैध टिकट रखकर सफर करने वालों की सुरक्षा की कोई गारन्टी नहीं है और बिना टिकट चलने वालों के खिलाफ या बिना टिकट चलने वालों को सफर से रोकने के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई उचित कार्यवाही की जाए। है यह असुरक्षित रेल यात्रा, क्या आप इसके लिए तैयार हैं।

-मोहम्मद शुऐब एडवोकेट

23.4.10

साइबर का सबसे बड़ा घोटाला

भारतीय रेल के कर्मचारियों आई.आर.सी ( टिकट जारी करने वाली एजेंसी) ने मिलकर भारतीय साइबर अपराध में कीर्तिमान स्थापित किया हैभारतीय रेल के कर्मचारी ट्रेन को कुछ समय के लिए कंप्यूटर नेटवर्क पर गलत तरीके से ट्रेन को रद्द होना दिखा देते थेट्रेन रद्द होने से स्वतः टिकट बुक करने वाली एजेंसी के अकाउंट में बुक कराये गए टिकटों का रुपया वापस चला जाता था और वास्तव में ट्रेन रद्द नहीं होती थी जारी टिकट के यात्री उसी टिकट पर यात्रा भी करते थेसूत्रों के अनुसार एक वर्ष में 310 ट्रेनों को कई कई दिन कुछ समय के लिए रद्द दिखाया गया हैरद्द दिखाते ही जारी -टिकट का रुपया घपलेबाज एजेंसियों के पास चला जाता था-टिकट का रुपया अकाउंट में वापस होते ही ट्रेन को चलता हुआ दिखाया जाता था जिससे यात्री अपना सफ़र कर सके इस तरह से अरबों रुपयों का घोटाला किया जा चुका हैरेलवे में हर साल कई सौ करोड़ रुपयों का घोटाला मंत्रालय स्तर से लेकर निचले स्तर तक होता रहता हैइससे पूर्व रिलायंस टेलीफ़ोन कंपनी ने भारत संचार निगम के अधिकारीयों से मिलकर अंतर्राष्ट्रीय कालों को लोकल काल में दिखा कर कई सौ करोड़ रुपयों का घोटाला किया थाकई सौ करोड़ के घोटाले बाजों को कानून दण्डित करने में असमर्थ है लेकिन छोटे-मोटे चोर उच्चकों को जनता से लेकर पुलिस पीट-पीट कर मार डालती है
अंत में,
बंगलुरु स्टेडियम के बाहर हुए बम ब्लास्ट के सिलसिले में गिरफ्तार किये गए मेरठ के इमरान, काशिम तथा बिजनौर के सुनील मामूली अटैची चोर निकले

मेरी तस्वीर लेकर क्या करोगे...

22.4.10

प्रधानमंत्री की दोस्ती

अभी ताज़ा बयान है हमारे प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह कि उनकी दोस्ती ईरान के साथ है और ये दोस्ती अक्षुण रखने के लिए वह हर हाल में ईरान के साथ हैं। ऐसा ही दावा भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व0 चन्द्रशेखर ने भी इराक के साथ किया था और इराक के साथ दोस्ती बनाये रखने का दम भरते रहते थे। आज से नहीं सदैव से भारत फिलिस्तीन के साथ रहा है और फिलिस्तीन की हर सम्भव सहायता करने का दम भरता रहा है। कुछ ऐसा ही चरित्र अमेरिका का फिलिस्तीन के साथ रहा है और वह बराबर कहता रहा है कि फिलिस्तीन को वह इजराइल के हाथों बर्बाद नहीं होने देगा; लेकिन नतीजा सबका सामने है।

जिस वक्त इजराइल फिलिस्तीन बर्बरतापूर्ण हमले करता है, आम नागरिकों का संहार करता है, अस्पतालों और नागरिक क्षेत्रों पर हमले करके बेगुनाह और जिन्दगी से जूझ रहे बीमारों का संहार करता है, कुल मिलाकर खून की होली खेलता है। ऐसे वक्त पर अमेरिका बोल उठता है कि इजराइल गलत कर रहा है और वह उसे ऐसा नहीं करने देगा, लेकिन मामला ज्यों का त्यों बना रहता है। इजराइल की बर्बता बढ़ने पर अमेरिका भाषा बदली हुई है और वह फिलिस्तीन को इंसाफ दिलाने की बात कर रहा है।

अब देखिये भारत सरकार का व्यवहार, कथनी और करनी का अन्तर। दोस्ती फिलिस्तीन के साथ है लेकिन मदद इजराइल की। फिलिस्तीन कमजोर पड़ता है इसलिए मदद इजराइल से। भारत सरकार इधर काफी दिनों से फिलिस्तीन के साथ दोस्ती समाप्त करके इजराइल के साथ दोस्ती बढ़ाए हुए है। सुरक्षा हथियारों की खरीदारी देश के लिए घातक टेक्नोलाॅजी (चाहे वह किसी क्षेत्र में ही क्यों न हो), इजराइल की खूफिया एजेन्सी मोसाद की मदद, उससे प्रशिक्षण, सैनिक प्रशिक्षण प्राप्त करना भी भारत सरकार के एजेण्डे में है लेकिन दोस्ती और हमदर्दी फिलिस्तीन के साथ ही है।

देखा है भारत सरकार की दोस्ती इराक के साथ भी। भारत के प्रधानमंत्री कहते नहीं थकते थे कि भारत पूरी तरह इराक के साथ है। एक तरफ अमेरिका इराक की ताकत की जांच रासयनिक हथियारों की जांच के बहाने करके तत्कालीन इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के बड़बोलेपन की हकीकत जानना चाहता था और एशिया में अपना एक ठिकाना बनाने के लिए प्रयासरत था। इसमें वह कामयाब हुआ और हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री बराबर यह कहने के बावजूद कि वह अमेरिका की सैन्य सहायता नहीं करेंगे, वह चाहे किसी भी प्रकार की क्यों न हो अमेरिकी लड़ाका विमानों को ईंधन देते रहे, इसे क्या कहा जाए, अमेरिका के दबाव में काम करना या और कुछ!

अब परखना है अपने वर्तमान प्रधानमंत्री के दावे को, मनमोहन सिंह जी ने अभी कहा है कि वह पूरी तरह ईरान के साथ हैं और ईरान के साथ किसी प्रकार का प्रतिबंध लगाने के खिलाफ हैं। अभी बार-बार डेविड कोलमैन हेडली को अपनी कस्टडी में लेने का उनका दावा सफल नहीं हो सका है, अमेरिका के बुलावे पर वह हाजिरी देकर वापस आ गये हैं, अपनी बात मनवाने का दम उनके अन्दर नहीं है (हां, अमेरिका की हर बात मानने को वह तत्पर रहते हैं)। अमेरिका के साथ यह दोस्ती, दोस्ती तो नहीं कही जा सकती, उसे तावेदारी का नाम अवश्य दिया जा सकता है। एक तावेदार अपनी दोस्ती उस देश के कब तक कायम रख सकता है जबकि वह जिसके साथ दोस्ती का दम भरता है उस देश का दुश्मन नम्बर एक है, जिसका कि भारत के प्रधानमंत्री तावेदार हैं। मेरी नेक सलाह है कि प्रधानमंत्री जी ईरान के साथ दोस्ती का दावा करने के बजाय अपने देश की सम्प्रभुता बचाये रखें। यही देश के प्रति वफादारी है और दोस्ती भी।

मोहम्मद शुऐब एडवोकेट

21.4.10

केक को खा के सिवइयों का मजा भूल गये

हम ने सुना है कि यात्रियों केा गिरहकट एक दूसरे के हाथ बेच लिया करते थे, बोलियाँ लगवाकर नीलाम करते थे, बेचारे मुसाफिर को खबर तक होती थी। अब क्रिकेट प्रेमियों की भी जेब किसी किसी रूप में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कटती है। आप कहेंगे कि हम यह नहीं मानते, मानिये, यह तो मानेंगे कि आई0पी0एल0 (इण्डियन प्रीमियर लीग) जो बी0सी0सी0आई0 की एक उप समिति है, ने बड़ी बड़ी बोलियों पर मैचों की नीलामी की है। अब आप खुद सोचिये कि नीलामी छुड़ाने वाले घाटे का सौदा तो करेंगे नहीं, जितना खर्च करेंगे, उससे ज्यादा कहीं कहीं से प्राप्त करेंगे।
इतनी सी बात से आप यह सूत्र पा गये होंगे कि आई0पी0एल0 के कमिश्नर ललित मोदी और विदेश राज्यमंत्री शशि थुरूर के बीच झगड़ा किस बात का था और सुनंदा पुष्कर का क्या किस्सा है। सभी अपनी अपनी बचत में एक दूसरे की पोल खोल रहे थे और यह जनता है कि सब जानती है।
इस संक्षेप को अगर विस्तार दिया जाय तो कहानी लम्बी हो जायेगी काफी खुलासा हो चुका है।
बात पूछोगे तो बढ़ जायगी फिर बात बहुत।
बस थोड़ा और स्पष्ट कर दूं।
टवेंटी-20 मैंचेों को लोकप्रिय बनाने का श्रेय आई0पी0एल0 को मिला। तीन वर्ष पहले जब आई0पी0एल0 की आठ टीमों की नीलामी हुई, क्रिकेट जगत के साथ साथ कार्पोरेट जगत में भी हलचल मची। नई दो टीमों पुणे और कोच्चि की नीलामी पिछली आठ से भी अधिक थी।
अब थुरूर के विदेश राज्यमंत्री पद से जब इस्तीफा ले लिया गया तो मोदी के आरोपों का और भी खुलासा हो गया। सुनन्दा ने भी रेंदेयु से इस्तीफा दिया तथा यह भी सच्चाई सामने गई कि थुरूर ही के कारण उन्हें 19 प्रतिशत भागीदारी तथा 70 करोड़ की धनराशि मिली थी। जब आई0पी0एल0 की ब्राण्ड वैल्यू 4 अरब डालर से अधिक बढ़ी तो इससे ऐसे ऐसे राजनेताओं ने दिलचस्पी ली, जिनको क्रिकेट का ककहरा तक ज्ञात नहीं है। आई0पी0एल0 की फ्रेंचाइजी टीमों ने पूँजी बाजार का रूख किया और सट्टेबाजी भी खूब की, क्रिकेट व्यापार बन गया और क्रिकेट प्रेमियों के क्रेज़ को भुनाया गया।
सरकार ने इस्तीफ़ा लेने से पूर्व अपनी एजेन्सियों द्वारा सरकारी पता करा लिया, बी0 सी0 आई0 पर भी दाग़ देखे गये, अब वह भी जाँच के घेरे में है।
अब इसका दूसरा पहलू भी देखियों, क्रिकेट प्रेमी होना भीस्टेट्स सिम्बलबन चुका है, इनके कई वर्ग हैं, एक वर्ग उन बडे़ आदमियों या अभिजात्य वर्ग के युवाओं का है जो विलासिताओं के लिये अपने बड़ों द्वारा अर्जित धन को लुटाने के बहाने ढूढ़ते रहते हैं, दूसरा वर्ग उन छुटभैय्ये युवाओं का है जो धनी युवाओं की चाटुकारिता हेतु अपनी छोटी सम्पत्तियों का वारा न्यारा करके अपने को धनियों जैसा दिखाना चाहते हैं और उन्हीं की बगल में बैठना चाहते हैं। तीसरा वर्ग उन बेरोजागार ग्रामीण तथा शहरी युवाओं का है जो अपनी देशी बातों पर गर्व के बजाय हीनता का भाव रखता है। तथा विदेशी चीजों का दीवाना है। वह कबड्डी के बजाय अपने का क्रिकेट प्रेमी दिखाना पसन्द करता है। अकबर इलाहाबादी के सुपुत्र जब इंगलैण्ड पढ़ने गये तो उनमें यही भावना गई थी, अतः अकबर ने कविता रूप में एक पत्र भेज, जिसकी एक पंक्ति इस समय मुझे याद गई-

केक को खा के सिवइयों का मजा भूल गये

यदि मुझे दकियानूसी समझे तो क्या मैं यह कहने की हिम्मत करूं कि भारतीय गरीब बच्चों के लिये तो इस झूठे क्रेज से बेहतर तो मुंशी प्रेम चन्द का गुल्ली डण्डा था, जिसमें खर्च भी नहीं था और खुली हवा भी मिलती, अब तो बच्चे बंद कमरों में टी0वी0 से चिपके रहते हैं, स्वास्थ्य बनने के बजाय बिगड़ता है, तथा पढ़ाई लिखाई एवं घर के कामकाज भी कई कई दिन तक प्रभावित होते हैं सरकार खिलौना पकड़ा देती है या यूं कहिये कि नशे की गोली दे देती है जिससे वह मस्त होकर अपनी समस्याये भूल जाते हैं वे ऐसे आलसी बनते हैं कि तो काम करते हैं, ही सड़क पर निकल कर सरकार से काम मांगते हैं उल्टे सरकार की जय जय कार करते हैं क्रिकेट प्रेमी कृपाया मुझे क्षमा करें।
-डॉक्टर एस.एम हैदर

20.4.10

पाकिस्तान की हठधर्मी

26.11.2008 को हमला हुआ भारत के शहर मुम्बई में कई स्थानों पर। पुलिस द्वारा एक आतंकी अज़मल आमिर कस्साब को जिन्दा गिरफ्तार करने का दावा किया गया। यह जांच करना कि अज़मल आमिर कसाब कौन है, कहां से और कैसे आया, सम्बन्धित मुकदमे के विवेचक का काम था जो उन्होंने किया। उसकी संलिप्तता पर निर्णय न्यायालय को देना है जिससे मुझे कोई मतलब नहीं, इसलिए कि उसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। इसी मुकदमे में दो और लोगों को अभियुक्त बनाया गया जिनके नाम क्रमशः फहीम अरशद अन्सारी और सबाउद्दीन हैं। सबाउद्दीन को उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 ने 10.02.2008 को लखनऊ से और फहीम अरशद अन्सारी को 10.02.2008 को रामपुर से गिरफ्तार करने का दावा उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 द्वारा किया गया, जो गिरफ्तारी के बाद लखनऊ बरेली जेल में रखे गये और बराबर मुम्बई पर हुए हमले की तारीख तक उन्हीं जेलों में रहे, फिर भी उन्हें मुम्बई हमलों का अभियुक्त बताकर उनके विरूद्ध मुकदमे कायम किये गये और उन मुकदमों का परीक्षण मुम्बई की विशेष न्यायालय में हुआ। परीक्षण पूरा हो चुका है, बहस समाप्त हो चुकी है, निर्णय शेष है लेकिन यह सब होते हुए भी पाकिस्तान ने रट लगा रखी है कि अज़मल आमिर कस्साब और फहीम अन्सारी को उसके सुपुर्द किया जाए। घटना घटित होती है भारत में अभियुक्तों पर अभियोग है भारत की आतंकी घटना में शामिल रहने का, इन अभियुक्तों के खिलाफ पाकिस्तान भूभाग में कोई अपराध कारित करने का आरोप नहीं है और पाकिस्तान में अपराध कारित होने के कारण इन अभियुक्तों के खिलाफ पाकिस्तान की अदालत में कोई मुकदमा नहीं कायम किया जा सकता, फिर भी हठधर्मी है पाकिस्तान की, कि इन अभियुक्तों को उसके सुपुर्द किया जाए।

मुम्बई की आतंकी घटना में संलिप्तता बतायी जाती है डेविड कोलमैन हेडली की जो इस समय अमेरिका की गिरफ्त में है। यह वही डेविड कोलमैन हेडली है जिसके सम्बन्ध सी0आई00 से बताए गये हैं। इस डेविड कोलमैन हेडली को भारत द्वारा अमेरिका से दबी जुबान में मांगा गया है, कभी अमेरिका ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर उसे भारत को दिया जा सकता है और कभी बिल्कुल इसका उल्टा कहा गया है। अगर डेविड कोलमैन हेडली की संलिप्तता मुम्बई के 26.11.2008 की आतंकवादी घटना में पायी जाती है तो उसके प्रत्यावर्तन के लिए भारत द्वारा प्रयास किया जाना आवश्यक है क्योंकि वह भारत का अपराधी है। अगर पाकिस्तान भारत के अपराधी अज़मल आमिर कस्साब और फहीम अरशद अन्सारी को मांगता है तो उसकी ये हठधर्मिता डेविड कोलमैन हेडली के लिए अमेरिका के प्रति क्यों नहीं दिखाई देती? इसका मतलब साफ है कि पाकिस्तान अमेरिका के सामने घुटने टेक कर रहता है और उसी की शह पर वो भारत के सामने सीना तानकर हठधर्मी करता है।

अपराधिक घटना भारत भूभाग पर घटित होती है, संलिप्तता पाकिस्तानी नागरिक और एक समय में सी0आई00 के एजेन्ट रहे व्यक्ति की पायी जाती है, ऐसी स्थिति में विवेचना का अधिकार केवल हमारे देश को है। संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ का अधिकार हमारे देश की विवेचना करने वाली विवेचना एजेन्सी को है और यदि किसी विदेशी राष्ट्र में साक्ष्य पाये जाने की उम्मीद होती है तो उस साक्ष्य को ग्रहण करने का अधिकार भी हमारे देश की विवेचना करने वाली एजेन्सी को हैय लेकिन यहां तो सब कुछ उल्टा हुआ, घटना घटित होती है भारत में, विवेचना करती है अमेरिका की एफ0बी0आई0 प्रक्रिया को ताक पर रखकर घटना की चश्मदीद गवाह बतायी जाने वाली अनीता उदैया को एफ0बी0आई0 उठा ले जाती है अमेरिका और फिर वापस छोड़ जाती है लेकिन हमारे देश की सार्वभौमिकता इतनी बड़ी घटना पर चुप्पी साध लेती है। सम्प्रभुता एक अवयव है, देश का सरकार दूसरा अवयव है उसी का, भूमि और आबादी भी उसी के अवयव हैं लेकिन हमारी सम्प्रभुता को समाप्त करके देश को अपंग किया जाता है फिर भी हमारा एक अवयव जिसको सरकार के नाम से जानते हैं चुप्पी साध लेता है, फिर क्या करे ये भूभाग जिसके पास जु़बान नहीं है और आबादी जिसके हम अंग हैं डर के मारे उसकी जु़बान पर ताला लग जाता है। हम भी पाकिस्तान की तरह निरिह हैं क्योंकि जिस भाषा में पाकिस्तान हमसे बात करता है हम उसकी ही भाषा में उससे बात करते हैं बल्कि पाकिस्तान दुराग्रही होता है जिसको हम चरित्रगत नहीं कर पाते हैं और पाकिस्तान की भांति हम भी अमेरिकी साम्राज्य के सामने झुके रहते हैं, कभी-कभी हल्की सी आवाज़ इन्साफ के लिए बाहर आती है जैसाकि अभी ओबामा के साथ की गई मुलाकात में हमारे प्रधानमंत्री की आवाज बाहर आयी लेकिन फिर भी हम मजबूर हैं साम्राज्यवाद के समक्ष।

वाह रे पाकिस्तान! घटना तुम्हारे नागरिक हमारे घर में घुसकर कारित करें और फिर भी तुम उन्हें अपने घर ले जाने की जिद पर अड़े हुए हो। फहीम अरशद अन्सारी को किस कारण से तुम अपने देश ले जाना चाहते हो यह समझ से परे लगता है क्योंकि वह तुम्हारे देश का नागरिक भी नहीं है, वह नागरिक तो है भारत का। उसके खिलाफ तुम्हारे पास कोई मुकदमा भी नहीं है तो किस आधार पर तुम उसे ले जाना चाहते हो। यह फहीम अरशद अन्सारी तो 10.02.2008 को 0010 बजे रामपुर में 0प्र0 एस0टी0एफ0 के हाथों गिरफ्तार होना दिखाया गया है और उसके पास से तमाम चीजों के अलावा मुम्बई के नौ नक्शे लाइनदार कागज पर कलम से बनाये हुए और एक सादे कागज पर पेंसिल से बनाये हुए बरामद किया जाना दिखाया गया है। 10.02.2008 को रामपुर में बरामद किये गये नक्शों के आधार पर मुम्बई की घटना में भी उसे जोड़ दिया गया और कहा गया कि उसने घटना कारित करने के लिए नक्शे उपलब्ध कराये जबकि वह नक्शे मुकदमा अपराध संख्या-210/08 अन्तर्गत धारा 420/467/468/471/121 थाना कोतवाली रामपुर में रखा गया और उसी नक्शे के आधार पर बाद में मुम्बई में भी फहीम अरशद अन्सारी और सबाउद्दीन को अभियुक्त बनाया गया और वहां उनके विरूद्ध परीक्षण हुआ। उस नक्शे को मुम्बई की घटना से जोड़ने के लिए फहीम अन्सारी को तथाकथित रूप से जानने वाले एक गवाह नारूद्दीन महबूब शेख़ को अभियोग पक्ष द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसने न्यायालय में अपने बयान में कहा है कि जनवरी, 2008 में वह काठमाण्डू घूमने गया था जहां अचानक उसकी मुलाकात फहीम अरशद अन्सारी से हुई जिसे वह बचपन से जानता था। मुलाकात पर फहीम अरशद अन्सारी उसे अपने कमरे पर ले गया और कमरे में उसने सबाउद्दीन से परिचित कराया जिसने फहीम अरशद अन्सारी से पूछा कि क्या फहीम ने लकवी द्वारा सौंपा काम पूरा कर लिया, जिस पर फहीम ने अपने बैग से कागज निकालकर सबाउद्दीन को सौंपा और सबाउद्दीन को कागज देते वक्त कागज नीचे गिर गया जिसको गवाह ने नक्शे बताये हैं। नक्शों को देखकर महबूब शेख़ ने फहीम से पूछा भी कि क्या उसने नक्शे बनाने का कारोबार शुरू कर दिया है जिसका जवाब फहीम ने नहीं दिया लेकिन सबाउद्दीन ने कहा कि उसके कुछ दोस्त पाकिस्तान से आने वाले हैं दोस्तों को जरूरत है, जिसपर महबूब शेख़ ने कहा कि नक्शे तो आसानी से प्राप्य हैं फिर उसे नक्शे तैयार करने की क्या जरूरत पड़ी, जिस पर सबाउद्दीन ने बताया कि बाजार में मिलने वाले नक्शों में सभी सूचना सही नहीं होती, इसलिए सही सूचना प्राप्त करने के उद्देश्य से यह नक्शे तैयार कराये गये हैं। इस प्रकार वह नक्शे जिनके आधार पर मुम्बई पर आतंकवादी हमला होना बताया जाता है काठमाण्डू में फहीम अरशद अन्सारी द्वारा सबाउद्दीन को जनवरी, 2008 में सौंप देने के बाद फिर उसी के पास से 10.02.2008 को कैसे बरामद हुए और फिर बरामद होने के बाद एस0टी0एफ0 के पास और एस0टी0एफ0 द्वारा न्यायालय में दाखिल कर देने के बाद न्यायालय की कस्टडी में रहते हुए मुम्बई आतंकवादी घटना में कैसे प्रयोग में लाये गये, यह सवाल जवाब तलब हैं और इनका जवाब होते हुए भी पाकिस्तान हठधर्मी कर रहा है, फहीम अरशद अन्सारी को अपनी हिरासत में लेने की, जो जायज़ नहीं है और किसी भी आधार पर भारत के दोषियों को ले जाने का अधिकार पाकिस्तान को नहीं प्राप्त है।
-मोहम्मद शुऐब एडवोकेट