उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के स्तिथि अति गंभीर है। कोंट्रैक्ट किलर नीरज सिंह को जब जौनपुर पैसेंज़र से लेजाया जा रहा था तो कुछ हमलावरों ने उन दोनों सिपाहियों की हत्या कर अपराधी को छुड़ा कर लेकर चले गए । बरेली में अभी तक कर्फ्यू चल रहा था। आए दिन हत्याएं व लूटपाट का दौर जारी है एक तरफ पुलिस थानों मेंसिपाही व उपनिरीक्षकों की संख्या मानक से अत्यधिक कम है और इन पुलिस कर्मियों का अधिकांश समयसत्तारूढ़ दल के नेताओं के जलूस प्रदर्शन को कामयाब करने में लगा रहता है। पुलिस के उच्च अधिकारीयों कीकार्यप्रणाली विधिक न होने के कारण अफरातफरी का महल रहता है गंभीर अपराधों की विवेचना थाने में बैठकरहो जाती है। अंतर्गत धरा 161 सी.आर.पी.सी के बयान थाने व पुलिस उपाधीक्षक के कार्यालयों में ही हो जाती है ।
उच्च अधिकारीयों को मीडिया में छाए रहने के लिए कुछ गुडवर्क चाहिए उसके लिएसुनियोजित तरीके से गुडवर्क की भूमिका तैयार की जाती है अपराध के खुलासे में असली अपराधी को न पकड़ कर किसी न किसी नवयुवक मार पीट कर अपराधी घोषित कर दिया जाता है। बरेली दंगो के दौरान- डॉक्टर तौकीर रजा व धर्मनिरपेक्ष व्यक्तियों की गिरफ्तारी कर पुलिस प्रशासन ने अपनी योग्यता का परिचय दिया था और दंगे को भड़काने में मदद की, किन्तु आखिर में मजबूरन डॉक्टर तौकीर रजा को बिना शर्त रिहा करना पड़ा। पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था को बनाए रखने केसन्दर्भ में पुलिस के उच्च अधिकारी नाकामयाब हो रहे हैं और पिछले एक माह से लखनऊ में आयोजित रैली केलिए वाहनों की व्यवस्था करने में लगे रहे हैं। वाहन स्वामियों से जबदस्ती रैली के लिए वाहन लिए गए थे पूरे प्रदेश में रैली को कामयाब बनाने के लिए जबरदस्त वसूली की गयी थी तब जाकर उत्तर प्रदेश में लोकतंत्रकामयाब हुआ था ?
-सुमन
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