बीमारी, बुढ़ापा और मृत्यु पर महात्मा बुद्ध ने जो भी चिंतन किया हो और निर्वाण या मोक्ष का हल तलाश किया हो, वास्तव में अब भी हम को यह सोचना है कि यह अभिशाप है या वरदान? प्रकृति, प्रबंधन के एक बड़े चैखटे में रखकर अगर हम देखें तो कह सकते हैं कि विनाश भी विकास या निर्माण का एक सोपान है। यह एक सतत् प्रक्रिया है।
जार्ज फर्नाडिस पूर्व केन्द्रीय रक्षा मंत्री तथा पूर्व राजग संयोजक इस समय उपरोक्त तीनों से संघर्षरत हैं। जार्ज ने अपने जीवन में बड़े संघर्ष किये हैं, एक समय तक ईमानदार कहे जाने वाले, ताबूत घोटाले के संदर्भ में बहुत बेईमान भी कहे गये, जो भी हो। कहा गया कि इस समय 25 करोड़ की सम्पत्ति के मालिक हैं और 25 वर्ष बाद पत्नी लैला कबीर तथा इकलौते बेटे शान फर्नाडिस उनकी सेवा के लिये आ गये हैं। अल्जाइमर्स से ग्रस्त होने के कारण जार्ज अपनी याददाश्त पूरी तरह से खो चुके हैं। जार्ज के भाई, मित्र और शुभचिंतक जिनमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजय सिंह तथा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वेंकट चैलैया भी हैं कहते हैं कि उनके आवास का मुख्य दरवाजा बन्द है, कोई नहीं जानता वह कहां और कैसे हैं पत्नी ने इनका खण्डन किया है।
इस समाचार को देखकर मुझे याद आया कि अनेक वर्षो पूर्व काशीराम की भी यही स्थिति थी जब उनकी माँ, भाईयों से मायावती का विवाद हुआ था तथा बात कोर्ट कचहरी तक पहुंची थी।
जार्ज फर्नाडिस अपनी जवानी में एक बड़े तेज तर्रार नेता थे, लेकिन जीवन के सत्य से कोई मुंह चुरा नहीं सकता, जो आया है वह जायेगा, जो स्वस्थ्य है वह बीमार भी होगा, जो आज जवान है वह कल बूढ़ा भी होगा, फिर अकड़ घमण्ड कब तक? धन बल कब तक साथ रहेगा, अतः विकास हेतु प्रयास अवश्या जारी रखे, साफ सुथरा जीवन व्यतीत करें अगर जवानी की नींद में ज्यादा मस्त न हो तो बुढ़ापे में डरेंगे भी नहीं, ऐसा न करें जवानी नींद भर सोया, बुढ़ापा देखकर रोया।
डॉक्टर एस.एम हैदर
1 टिप्पणियाँ:
george sahab bhut hi jivat ke insan the .tabhi to south ke ho kar bhi Bihar ko karmabhumi banaya.par insan ko samay ke aage jhukana parata hai.ise liye achhe karm ki bat ki jati hai.
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