'' हो्ली आई रे! होली आई रे!''
ललित जी का बिंदास व्यक्तित्व जितना ज़बरदस्त है उससे ज़्यादा श्रीमान जी का व्यक्तित्व. होली पर उनका आलेख
ज़रूर देखिये. हाँ तो आदरणीय साथियो साथिनियो, मित्रों,सबको मेरा प्रणाम एक पोस्ट इस ब्लॉग पर पेश करना मेरी नैतिक ज़िम्मेदारी है तो एक पाड कास्ट चिपका देता हूँ . अजय झा जी से हुई बात चीत पर आपकी नज़र-हो तो मज़ा आ जाएगा.
2 टिप्पणियाँ:
अजय भाई भंग की ठंडाई को तो मैं बहुत मिस कर रहा हूँ..काश, आपके पास होता.
बाकि तो सही बच निकले!! :)
बहुत अच्छा लगा अजय जी से मिल कर उन्हें बहुत बहुत शुभकामनायें। आपका धन्यवाद
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