उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय के सदस्यों द्वारा विधान परिषद् सदस्य चुनाव हो रहा है सरकार की मशीनरी सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशियों के लिए मतदाता प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्यों नगर परिषद्, टाउन एरिया आदि के सदस्यों को पकड़-पकड़ कर पुलिस द्वारा थानों में ले जाया जा रहा है उनको कहा यह जा रहा है कि वह सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी को वोट दे दें जिसके लिए थानाध्यक्ष तरह-तरह के प्रलोभन दे रहे हैं। प्रलोभन से न मानने वाले मतदाताओं को डराने धमकाने का भी कार्य पुलिस द्वारा जारी है। इस तरह से चुने गए विधान परिषद् सदस्य क्या जनता के प्रति उत्तरदायी होंगे या सम्बंधित पुलिस अधिकारियों के एजेंट के रूप में कार्य करते हुए माननीय सदस्यगण दिखेंगे। यहीं से पुलिस और राजनेताओं का गठजोड़ शुरू होता है पुलिस अपना मूल कार्य अप्रध्नियंत्रण छोड़कर माननीय सदस्यों के दम पर अपराधियों को संरक्षण देने का कार्य शुरू कर देते हैं उनके पर्वेक्षण अधिकारी राजनेताओं के दर से उनके खिलाफ कोई कार्यवाई भी नहीं कर सकते हैं । इस चुनाव में पक्ष और विपक्ष के प्रत्याशियों द्वारा उद्योगपतियों द्वारा प्राप्त रुपयों से मतदाताओं को पांच हजार रुपये से पचास हजार रुपये तक की बोली लग रही है। विभिन्न प्रत्याशियों द्वारा मतदाताओं को 10-15, 20-25 के समूह में इकठ्ठा कर उनके भोग-विलास की वस्तुएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। यह है हमारे देश के लोकतंत्र का नया संस्करण जिसमें सबकुछ जायज है ।
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