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16.1.10

सम्मानित कीजिये उत्तर प्रदेश पुलिस को

त्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक अधिवक्ता के ऊपर अपहरण व हत्या का वाद दर्ज होता है ।पुलिस ने जांच की और कहा कि अधिवक्ता ने अपना जुर्म इकबाल कर लिया है। लाश का पंचायतनामा और उसके बाद पोस्मार्टम हुआ । अभियुक्त को कारागार में निरुद्ध कर दिया गया। न्यायलय में आरोप पत्र दाखिल हो गया बाद में जिस व्यक्ति की अपहरण व हत्या अधिवक्ता को 55 दिन जेल में रहना पड़ा हो, वह व्यक्ति जिन्दा है ।
कारागार में हजारो व्यक्ति बेगुनाह निरुद्ध हैं। उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है । जिस अपराध में निरुद्ध हैं , उस अपराध के घटनास्थल को भी उन्होंने नहीं देखा है। विवेचना में पुलिस ने उनके ऊपर लगाये गए आरोप मय साक्ष्य के सही पाए गए हैं । कुछ अपराधो में विवेचना अधिकारी पुलिस उपाधीक्षक होते हैं उन अपराधो में विवेचना का स्तर और भी घटिया है । कथित दहेज़ हत्या के मामलो में हजारो बेगुनाह स्त्रियाँ व पुरुष कारागार में निरुद्ध हैं। विवेचना अधिकारी ने कार्यालय के अन्दर ही बैठ कर विवेचनाएं कर डाली हैं। उनके लिए गुनाहगार व बेगुनाह व्यक्ति में कोई अंतर नहीं है जब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक अधिवक्ता के साथ ऐसा हो सकता है तो पूरे प्रदेश का हाल क्या होगा ? इसलिए ऐसी पुलिस को सलाम करने की जरूरत है, सम्मान करने की जरूरत है अन्यथा हमारा और आपका भी नंबर आ सकता है ।

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