देवभूमि उत्तरांचल में आ रहे तीर्थयात्रियो को अब बद्रीनाथ,केदारनाथ,गंगोत्री,आदि उत्तरांचल के तीर्थो पर प्रसाद के रूप में उत्तरांचल में पाये जाने वाले चौलाई,कुट्टू,व तिल से बना भोगपदार्थ(प्रसाद) मिला करेगा हैसको नामक संस्था ने स्थानीय महिलाओ को प्रसाद बनाने के इस काम में लगाया हैं देवभूमि की यात्रा पर प्रतिवर्ष लाखो श्रद्धालु लोग भगवान के दर्शनों हेतु आते हैं ऐसे में यदि राज्य में पायी जाने वाली वस्तुओ से ही अगर प्रसाद सामग्री प्रदान की जाए तो न सिर्फ़ राज्य को एक बेहतरीन रोज़गार मिलेगा बल्कि इससे आमदानी भी बढेगी साथ साथ राज्य में पाई जाने वाली इन वस्तुओ के विषय में जानकारी भी बढेगी ऐसा इस संस्था का सोचना हैं स्थानीय महिलाओ को इस सस्था ने समूहों के रूप में काम करने हेतु विभिन्न तीर्थ स्थलों में आउट लेट भी प्रदान किए हैं जहाँ इस वर्ष इन्होने बद्रीनाथ में ६ लाख, केदारनाथ में ३ लाख व यमनोत्री में १ लाख ६० हज़ार का प्रसाद बेचा चौलाई,कुट्टू,तिल व अन्य वस्तुओ को मिलाकर लड्डू के रूप में प्रसाद बनाया जाता हैं तथा उसे रिंगाल की टोकरी में रखकर तुलसी की माला से सजाया जाता हैं व अगरबत्ती के साथ प्रसाद के रूप में दिया जाता हैं यह सारी वस्तुए व्रत के दौरान भी खायी जाती हैं व देर तक ख़राब भी नही होती हैं वाकई इस तरह का प्रयास सराहनीय हैं
1 टिप्पणियाँ:
यह प्रयास वाकई सराहनीय है। एक और लाभ भी है कि इस विशेष प्रसाद को एक नई उत्तराखंडी पहचान मिलेगी। शायद बाल मिठाई भी शामिल की जा सकती थी।
घुघूती बासूती
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