हमारा देश करप्शन की कू में चलता है,
जुर्म हर रोज़ नया एक निकलता है।
पुलिस गरीब को जेलों में डाल देती है,
मुजरिमे वक्त तो हाकिम के साथ चलता है।।
------
हर तरफ दहशत है सन्नाटा है,
जुबान के नाम पे कौम को बांटा है।
अपनी अना के खातिर हसने मुद्दत से,
मासूमों को, कमजोरों को काटा है।।
------
तुम्हें तो राज हमारे सरों से मिलता है,
हमारे वोट हमारे जरों से मिलता है।
किसान कहके हिकारत से देखने वाले,
तुम्हें अनाज हमारे घरों से मिलता है।।
------
तुम्हारे अज़्म में नफरत की बू आती है,
नज़्म व नसक से दूर वहशत की बू आती है।
हाकिमे शहर तेरी तलवार की फलयों से,
किसी मज़लूम के खून की बू आती है।।
- मो0 तारिक नय्यर
जुर्म हर रोज़ नया एक निकलता है।
पुलिस गरीब को जेलों में डाल देती है,
मुजरिमे वक्त तो हाकिम के साथ चलता है।।
------
हर तरफ दहशत है सन्नाटा है,
जुबान के नाम पे कौम को बांटा है।
अपनी अना के खातिर हसने मुद्दत से,
मासूमों को, कमजोरों को काटा है।।
------
तुम्हें तो राज हमारे सरों से मिलता है,
हमारे वोट हमारे जरों से मिलता है।
किसान कहके हिकारत से देखने वाले,
तुम्हें अनाज हमारे घरों से मिलता है।।
------
तुम्हारे अज़्म में नफरत की बू आती है,
नज़्म व नसक से दूर वहशत की बू आती है।
हाकिमे शहर तेरी तलवार की फलयों से,
किसी मज़लूम के खून की बू आती है।।
- मो0 तारिक नय्यर
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें